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कर्मचारी संगठनों की मांग, इस बार कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करे सरकार, वार्ता से हो समाधान - खेमराज चौधरी कमेटी

खेमराज कमेटी ने शुक्रवार को अपनी अंतिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री सौंप (Khemraj Committee submit report to CM) दी. अब कर्मचारी संगठनों ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग तेज कर दी है. कर्मचारी महासंघों ने कहा कर्मचारी जब भी आंदोलन का बिगुल बजाते हैं, तो सरकार कभी कमेटी बनाती है, कभी कमेटी की रिपोर्ट लेकर मांगों को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश करती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा.

Khemraj Committee submit report to CM, employees demand to present report in public
कर्मचारी संगठनों की मांग, इस बार कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करे सरकार, वार्ता से हो समाधान
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Published : Jan 2, 2023, 7:58 PM IST

क्या चाहते हैं राजस्थान के कर्मचारी... देखे वीडियो

जयपुर. प्रदेश में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं. गहलोत सरकार जनवरी में अपना अंतिम बजट भी पेश करने जा रही है. बजट से पूर्व प्रदेश के 8 लाख कर्मचारी लामबंद हो रहे हैं. कर्मचारियों की मांगों और उनके समाधान के लिए बनाई खेमराज कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार को खेमराज कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करनी (Employees demand to present report in public) चाहिए जिससे कि पता चल सके कि कमेटी ने कर्मचारियों के हित में क्या-क्या फैसले लेने के सुझाव अपनी रिपोर्ट में दिए हैं.

खेमराज कमेटी की रिपोर्ट पेश होने के बाद भी कर्मचारी महासंघ कह रहे हैं कि जब भी कर्मचारी आंदोलन का बिगुल बजाते हैं, तो सरकार कभी कमेटी बनाती है, कभी कमेटी की रिपोर्ट लेकर मांगों को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश करती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. महासंघ ने साफ कर दिया कि सरकार पहले कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करे, फिर द्विपक्षीय वार्ता कर मांगों का समाधान करे.

पढ़ें: सरकार ने कर्मचारियों से 4 साल तक नहीं किया संवाद, अब आंदोलन की राह पर कर्मचारी संगठन

कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट: मुख्यमंत्री की ओर से वर्ष 2021-22 के बजट में विभिन्न कर्मचारी एवं अधिकारी संगठनों की मांगों के अध्ययन एवं विश्लेषण के लिए एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की घोषणा की थी. बजट घोषणा की क्रियान्विति में सेवानिवृत्त आईएएस की अध्यक्षता में खेमराज चौधरी कमेटी का गठन किया गया. कमेटी ने कर्मचारी संगठनों से वार्ता कर उनकी मांगों और उसके समाधान की रिपोर्ट तैयार कर अपने सुझाव के साथ शुक्रवार रात मुख्यमंत्री को सौंप दी है. अब कमेटी की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट का परीक्षण कर कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई की जाएगी. कमेटी ने पूर्व में अपनी अंतरिम रिपोर्ट 2 फरवरी, 2022 को प्रस्तुत की थी, जिसकी क्रियान्वित की जा चुकी है.

ये दो मांग हो सकती है जल्द पूरी: सूत्रों की मानें तो प्रदेश की गहलोत सरकार चुनावी माहौल में कर्मचारियों को खुश करने के लिए दो बड़ी घोषणा ही जल्द करने जा रही है. इसमें पहली 9, 18 एवं 27 वर्ष की सेवा पर एसीपी के स्थान पर 8, 16, 24 और 32 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति पद का वेतनमान स्वीकृत किया जा सकता है. इस घोषणा का लाभ कमोबेश प्रदेश सभी 8 लाख कर्मचारियों को मिलेगा.

वहीं दूसरी प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारियों को शासन सचिवालय के समान वेतन भत्ते स्वीकृत किए जा सकते हैं. इस घोषणा से भी प्रदेश के 55 हजार से ज्यादा मंत्रालयिक कर्मचारी को लाभ मिलेगा. इसके साथ महासंघों के आंदोलन की घोषणा के बीच सीएम अशोक गहलोत जल्द कर्मचारी संगठनों के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं. जिसकी मांग कर्मचारी संगठन लगातार करते आ रहे हैं.

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत (राठौड़ गुट) के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि सरकार कांग्रेस की हो या बीजेपी की, जब भी कर्मचारी आंदोलन का बिगुल बजाते हैं, तो सरकार कभी कमेटी बनाती है, कभी कमेटी की रिपोर्ट लेकर मांगों को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश करती है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. कर्मचारी अब सरकार के किसी बहकावे में नहीं आने वाले. इससे पहले बीजेपी सरकार ने कर्मचारियों की आंदोलन को देखते हुए सामंत कमेटी बनाई. उसका कांग्रेस सरकार में भी कार्यकाल बढ़ता रहा, फिर जब लगा कि अब सावंत कमेटी के बार-बार बढ़ते कार्यकाल से भी नाराजगी बढ़ रही है, तो गहलोत सरकार ने सेवानिवृत्त आईएएस की अध्यक्षता में खेमराज चौधरी कमेटी का गठन किया.

पढ़ें: सरकार के खिलाफ 82 कर्मचारी संगठन लामबंद...बनी आंदोलन की रणनीति

उन्होंने कहा कि इस कमेटी का भी कार्यकाल दो बार बढ़ाया गया. जब कर्मचारियों ने बजट सत्र के दौरान आंदोलन का एलान कर दिया, तो अब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी. राठौड़ ने कहा कि रिपोर्ट सौंपने से कुछ नहीं होगा. इससे पहले भी सामंत कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी. उसको आज तक उजागर नहीं किया गया कि रिपोर्ट में क्या था. सरकार को चाहिए कि वो रिपोर्ट को सार्वजनिक करे और कर्मचारी संगठनों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करे. नही तो चुबाव ज्यादा दूर नहीं है. इन्हीं कर्मचारियों ने पहले भी कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंका था.

पढ़ें: खेमराज कमेटी की रिपोर्ट लागू करने को लेकर कर्मचारियों का हल्ला बोल, सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने की दी चेतावनी

2 साल से ठंडे बस्ते में सावंत कमेटी की रिपोर्ट: अखिल राजस्थान कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत (कविया गुट) के प्रदेश महामंत्री तेज सिंह राठौड़ ने कहा कि कर्मचारियों के आंदोलन के बीच सरकारें कमेटियां बना कर गुमराह करने की कोशिश होती रही है. पहले यतीन्द्र सिंह कमेटी, कृषण भटबागर कमेटी, गोविंद शर्मा कमेटी, सावंत कमेटी बनाई गई. सावंत कमेटी ने अपनी रिपोर्ट गहलोत सरकार को सौंप दी थी, लेकिन 2 साल से ज्यादा का वक्त बीतने के बावजूद भी सरकार ने अभी तक भी कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की. बल्कि उसके स्थान पर खेमराज कमेटी का गठन कर दिया. अब खेमराज कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. सरकार को चाहिए कि वो रिपोर्ट सार्वजनिक करे.तेजसिंह ने कहा कि कमेटियों से नहीं बल्कि कर्मचारियों से संवाद करने से ही समस्याओं का हल निकलेगा.

क्या चाहते हैं राजस्थान के कर्मचारी... देखे वीडियो

जयपुर. प्रदेश में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं. गहलोत सरकार जनवरी में अपना अंतिम बजट भी पेश करने जा रही है. बजट से पूर्व प्रदेश के 8 लाख कर्मचारी लामबंद हो रहे हैं. कर्मचारियों की मांगों और उनके समाधान के लिए बनाई खेमराज कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार को खेमराज कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करनी (Employees demand to present report in public) चाहिए जिससे कि पता चल सके कि कमेटी ने कर्मचारियों के हित में क्या-क्या फैसले लेने के सुझाव अपनी रिपोर्ट में दिए हैं.

खेमराज कमेटी की रिपोर्ट पेश होने के बाद भी कर्मचारी महासंघ कह रहे हैं कि जब भी कर्मचारी आंदोलन का बिगुल बजाते हैं, तो सरकार कभी कमेटी बनाती है, कभी कमेटी की रिपोर्ट लेकर मांगों को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश करती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. महासंघ ने साफ कर दिया कि सरकार पहले कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करे, फिर द्विपक्षीय वार्ता कर मांगों का समाधान करे.

पढ़ें: सरकार ने कर्मचारियों से 4 साल तक नहीं किया संवाद, अब आंदोलन की राह पर कर्मचारी संगठन

कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट: मुख्यमंत्री की ओर से वर्ष 2021-22 के बजट में विभिन्न कर्मचारी एवं अधिकारी संगठनों की मांगों के अध्ययन एवं विश्लेषण के लिए एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की घोषणा की थी. बजट घोषणा की क्रियान्विति में सेवानिवृत्त आईएएस की अध्यक्षता में खेमराज चौधरी कमेटी का गठन किया गया. कमेटी ने कर्मचारी संगठनों से वार्ता कर उनकी मांगों और उसके समाधान की रिपोर्ट तैयार कर अपने सुझाव के साथ शुक्रवार रात मुख्यमंत्री को सौंप दी है. अब कमेटी की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट का परीक्षण कर कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई की जाएगी. कमेटी ने पूर्व में अपनी अंतरिम रिपोर्ट 2 फरवरी, 2022 को प्रस्तुत की थी, जिसकी क्रियान्वित की जा चुकी है.

ये दो मांग हो सकती है जल्द पूरी: सूत्रों की मानें तो प्रदेश की गहलोत सरकार चुनावी माहौल में कर्मचारियों को खुश करने के लिए दो बड़ी घोषणा ही जल्द करने जा रही है. इसमें पहली 9, 18 एवं 27 वर्ष की सेवा पर एसीपी के स्थान पर 8, 16, 24 और 32 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति पद का वेतनमान स्वीकृत किया जा सकता है. इस घोषणा का लाभ कमोबेश प्रदेश सभी 8 लाख कर्मचारियों को मिलेगा.

वहीं दूसरी प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारियों को शासन सचिवालय के समान वेतन भत्ते स्वीकृत किए जा सकते हैं. इस घोषणा से भी प्रदेश के 55 हजार से ज्यादा मंत्रालयिक कर्मचारी को लाभ मिलेगा. इसके साथ महासंघों के आंदोलन की घोषणा के बीच सीएम अशोक गहलोत जल्द कर्मचारी संगठनों के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं. जिसकी मांग कर्मचारी संगठन लगातार करते आ रहे हैं.

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत (राठौड़ गुट) के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि सरकार कांग्रेस की हो या बीजेपी की, जब भी कर्मचारी आंदोलन का बिगुल बजाते हैं, तो सरकार कभी कमेटी बनाती है, कभी कमेटी की रिपोर्ट लेकर मांगों को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश करती है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. कर्मचारी अब सरकार के किसी बहकावे में नहीं आने वाले. इससे पहले बीजेपी सरकार ने कर्मचारियों की आंदोलन को देखते हुए सामंत कमेटी बनाई. उसका कांग्रेस सरकार में भी कार्यकाल बढ़ता रहा, फिर जब लगा कि अब सावंत कमेटी के बार-बार बढ़ते कार्यकाल से भी नाराजगी बढ़ रही है, तो गहलोत सरकार ने सेवानिवृत्त आईएएस की अध्यक्षता में खेमराज चौधरी कमेटी का गठन किया.

पढ़ें: सरकार के खिलाफ 82 कर्मचारी संगठन लामबंद...बनी आंदोलन की रणनीति

उन्होंने कहा कि इस कमेटी का भी कार्यकाल दो बार बढ़ाया गया. जब कर्मचारियों ने बजट सत्र के दौरान आंदोलन का एलान कर दिया, तो अब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी. राठौड़ ने कहा कि रिपोर्ट सौंपने से कुछ नहीं होगा. इससे पहले भी सामंत कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी. उसको आज तक उजागर नहीं किया गया कि रिपोर्ट में क्या था. सरकार को चाहिए कि वो रिपोर्ट को सार्वजनिक करे और कर्मचारी संगठनों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करे. नही तो चुबाव ज्यादा दूर नहीं है. इन्हीं कर्मचारियों ने पहले भी कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंका था.

पढ़ें: खेमराज कमेटी की रिपोर्ट लागू करने को लेकर कर्मचारियों का हल्ला बोल, सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने की दी चेतावनी

2 साल से ठंडे बस्ते में सावंत कमेटी की रिपोर्ट: अखिल राजस्थान कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत (कविया गुट) के प्रदेश महामंत्री तेज सिंह राठौड़ ने कहा कि कर्मचारियों के आंदोलन के बीच सरकारें कमेटियां बना कर गुमराह करने की कोशिश होती रही है. पहले यतीन्द्र सिंह कमेटी, कृषण भटबागर कमेटी, गोविंद शर्मा कमेटी, सावंत कमेटी बनाई गई. सावंत कमेटी ने अपनी रिपोर्ट गहलोत सरकार को सौंप दी थी, लेकिन 2 साल से ज्यादा का वक्त बीतने के बावजूद भी सरकार ने अभी तक भी कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की. बल्कि उसके स्थान पर खेमराज कमेटी का गठन कर दिया. अब खेमराज कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. सरकार को चाहिए कि वो रिपोर्ट सार्वजनिक करे.तेजसिंह ने कहा कि कमेटियों से नहीं बल्कि कर्मचारियों से संवाद करने से ही समस्याओं का हल निकलेगा.

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