जयपुर. देश में इन दिनों हिन्दी सिनेमा कठिन दौर से गुजर रहा है. कभी फिल्म के विषय तो कभी अन्य कारणों को लेकर फिल्म पर विवाद खड़ा हो जाता है. इन दिनों ज्यादातर फिल्में विवादों में आ जा रहीं हैं और फिर फिल्मों के बायकॉट की बात चलती है. बॉयकॉट ट्रेंड के चलते हिंदी सिनेमा को काफी नुकसान हो रहा है. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शुक्रवार को हिंदी फिल्मों के गीतकार और लेखक जावेद अख्तर फिल्मों के बायकॉट को लेकर अपनी राय रखी.
गीतकार और लेखक जावेद अख्तर ने फिल्म फिल्मों के बायकॉट अभियान को बंद करने की अपील की. जावेद अख्तर ने कहा कि हम फिल्मों से प्यार करते हैं, हम नेशन ऑफ मूवी भक्त हैं. उन्होंने कहा कि कहानी सुनना और सुनाना हमारे डीएनए में है. हमारी कहानी में गीत भी होते थे और यह कोई हिंदी फिल्मों ने इन्वेंट नहीं किया है. ऐसे में हिंदुस्तानी फिल्मों की इज्जत करनी चाहिए.
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हिंदी फिल्म का मतलब इंडियन फिल्म है और हमारी फिल्म 135 देशों में रिलीज होती है. हिंदुस्तानी सिनेमा विश्व का सबसे बड़ा गुडविल एंबेसडर है. अगर हेडकाउंट करेंगे तो हॉलीवुड के स्टार से ज्यादा हमारे स्टार को देखना दुनिया मे लोग पसंद करते हैं. दूसरे देशों मैं अमीरी हो सकती है. एशिया को छोड़ें अगर हम जर्मनी में जाएं और किसी को पता चले कि आप हिंदुस्तानी हैं तो सबसे पहले यही पूछा जाता है कि क्या आप शाहरुख खान को जानते हैं. जावेद अख्तर ने कहा कि हमारे एक्टर और फिल्में दुनिया में बहुत सम्मान पाते हैं इसको प्रोटेक्ट करना चाहिए.
अच्छे दिनों का हम हमेशा इंतज़ार करते हैं लेकिन कमबख्त आते ही नहीं
जावेद अखतर आज "टॉकिंग लाइफ" बुक पर बात कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह तब की कहानी है जब मैं होमलेस था और जॉब्लेस भी. असल में यह कन्वरसेशनल बायोग्राफी है. जावेद अख्तर ने कहा कि 80 और 90 के दशक में हमारे साहित्य को जरूर धक्का लगा था, लेकिन अब हमारे युवा और राइटर को पता है और उसे ललक है कुछ नया करने की. इस दौरान जावेद अख्तर ने मजाक-मजाक में यह भी कह दिया कि 75 में इमरजेंसी लगी थी उसी समय एंग्री यंग मैन वाली फिल्में रिलीज हुईं और अच्छे दिनों का हमने हमेशा इंतजार किया लेकिन कमबख्त अच्छे दिन आते नहीं हैं. अख्तर के अच्छे दिन नहीं आते की बात सुनते ही वहां मौजूद सभी लोग हंसने लगे.