जयपुर. शहर को स्मार्ट बनाने के मकसद से 7 साल पहले जयपुर में स्मार्ट सिटी योजना के तहत काम शुरू किए गए थे. स्मार्ट सिटी ने हेरिटेज कंजर्वेशन और बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर को ध्यान में रखते हुए 132 प्रोजेक्ट चिह्नित किए. हालांकि, इनमें से अब तक महज 52 प्रोजेक्ट ही पूरे हो पाए हैं. स्मार्ट सिटी मिशन के तहत केंद्र सरकार ने जून 2023 तक सभी 100 स्मार्ट सिटी का काम पूरा करने की डेडलाइन तय की है. ऐसे में अब जयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के पास महज 8 महीने का समय बचा है. इस दौरान उन्हें 80 प्रोजेक्ट पूरे करने होंगे. बीते 7 साल की रफ्तार को देखकर ये काम थोड़ा मुश्किल लग रहा है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में स्मार्ट सिटी सीईओ विश्राम मीणा ने बताया कि 7 साल पहले (Jaipur Smart City Project) स्मार्ट सिटी का सफर शुरू हुआ. इसके तहत 132 प्रोजेक्ट चिह्नित किए गए थे. इनमें से 52 प्रोजेक्ट पूरे कर लिए गए हैं और बचे हुए 80 प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है. सितंबर माह से हर महीने का एक एक्शन प्लान बनाया गया. प्रयास यही है कि हर महीने 14 से 15 प्रोजेक्ट पूरे किए जाएं. हालांकि, इस स्मार्ट सिटी के कुछ प्रोजेक्ट बहुत बड़े हैं, इसमें आईपीडी टावर, गणगौरी अस्पताल जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि जहां तक बात आईपीडी टावर की करें तो उसमें 125 करोड़ का कॉन्ट्रिब्यूशन है. जिसमें से 86 करोड़ ट्रांसफर किए जा चुके हैं. प्रयास यही है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की डेडलाइन खत्म होने से पहले सारी राशि इस्तेमाल हो जाए. बात करें गणगौरी अस्पताल को अपग्रेड करने की तो उसमें कुछ हेरिटेज से जुड़ी दिक्कतें आ रही थीं. शुरुआत में यहां हेरिटेज क्लीयरेंस में भी समय लगा और अब इस प्रोजेक्ट को टेकअप किया जा रहा है. ये ऐसे बड़े प्रोजेक्ट हैं जिनका काम जून 2023 के बाद भी चलता रहेगा. इससे स्पष्ट है कि भारत सरकार से मिलने वाली 50% रकम का पूरा इस्तेमाल कर लिया जाए. बाकी जो पैसा है वो स्टेट गवर्नमेंट और अर्बन लोकल बॉडीज से आना है.
दिसंबर तक पूरा होगा चौगान स्टेडियम : विश्राम मीणा ने बताया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत (Jaipur Smart City Project deadline) बहुउद्देशीय और बहुआयामी काम हाथ में लिए गए हैं. हेरिटेज कंजर्वेशन के काम के साथ ही बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत मेडिकल, एजुकेशन और स्पोर्ट्स के काम कराए जा रहे हैं. शहर में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के क्रम में चौगान स्टेडियम को अपग्रेड किया गया है. इसका काम अगले 2 से 3 महीने में पूरा करने का दावा करते हुए उन्होंने बताया कि चौगान स्टेडियम में फेस वन का काम पूरा हो चुका है, और फेस टू का काम किया जा रहा है. दिसंबर तक इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जाएगा.
सात साल पहले जयपुर 40वीं रैंक पर था. वहीं अब टॉप 10 में लगातार जगह बनाए हुए है. विश्राम मीणा ने कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन में आने वाले 100 शहर हैं, इनमें से 90 फीसदी से ज्यादा जयपुर से पीछे हैं. उम्मीद यही है कि बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए स्मार्ट सिटी मिशन की टाइमलाइन आगे बढ़ेगी. लेकिन प्रयास यही है कि टाइमलाइन के तहत ही स्मार्ट सिटी के बचे हुए प्रोजेक्ट पूरे हो जाएं.
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यूनेस्को के सवालों का किया जाएगा निराकरण : जयपुर के सामने दूसरे शहरों की तुलना में यूनेस्को (Jaipur Smart City Project pending Work) की गाइडलाइन भी एक बड़ी चुनौती है. यूनेस्को की टीम ने चौगान स्टेडियम, दरबार स्कूल यहां तक की अजमेरी गेट को संवारने पर सवाल उठाए थे. इसे लेकर विश्राम मीणा ने कहा कि यूनेस्को के सवालों का निराकरण किया जा रहा है. आवश्यक तब्दीली की जा रही है. साथ ही जो सुझाव आए थे, उन पर भी गौर किया जा रहा है. अब शहर के किसी भी प्रोजेक्ट को लेकर यूनेस्को से जुड़ा कोई प्रकरण नहीं है. सारे प्रोजेक्ट आमजन के लिए यहां की ऐतिहासिक विरासत को संजोते हुए तैयार किए जा रहे हैं.
स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ ने बताया कि नाइट बाजार का कंसेप्ट अभी भी मौजूद है. बस जगह में परिवर्तन किया गया है. ये प्रोजेक्ट पहले चौड़ा रास्ता में लाया जा रहा था, लेकिन यहां व्यापारियों को विश्वास में नहीं लेना एक भूल रही. वहीं व्यापारियों की मांग पर गौर करते हुए चौड़ा रास्ता से इस प्रोजेक्ट को शिफ्ट किया गया है. इस प्रोजेक्ट को जल महल की पाल पर शुरू किया जाएगा. यहां डेमो मार्केट सजाया भी जा चुका है. जहां तक नौ रोड को स्मार्ट रोड में तब्दील करने के प्रोजेक्ट की बात है, तो इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह ड्रॉप नहीं किया गया है. किशनपोल और चांदपोल को स्मार्ट रोड बनाने के बाद बजट से जुड़ी दिक्कतें थीं. ऐसे में अब बचे हुए सात रोड पर फेज मैनर में काम होगा. लेकिन इसमें स्मार्ट सिटी के बजाय अब जेडीए या हाउसिंग बोर्ड से फंड रिलीज कराया जाएगा.
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60 फीसदी काम बाकी : वहीं विश्राम मीणा ने ड्रेनेज सिस्टम पार्किंग सिस्टम के अधूरे प्रोजेक्ट को लेकर कहा कि जो भी प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं उन्हें पूरा जरूर किया जाएगा. यही नहीं उन प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद ऑपरेशन और मैनेजमेंट की व्यवस्था की जाएगी. फिलहाल रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट, स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट का जीर्णोद्धार, स्मार्ट टॉयलेट्स, दो स्मार्ट रोड और साइकिल शेयरिंग प्राजेक्ट का काम पूरा हो चुका है, लेकिन स्मार्ट टॉयलेट की स्थिति अभी बेहद खराब है.
विश्राम मीणा ने बताया कि केंद्र सरकार से अब तक मिला करीब 706 करोड़ खर्च हो चुका है. हालांकि अभी 92 करोड़ की लास्ट इंस्टॉलमेंट आना बाकी है. इसमें उनकी कंडीशन है कि स्टेट गवर्नमेंट और अर्बन लोकल बॉडीज का शेयर मिल जाएगा, तो अंतिम किश्त भी मिल जाएगी. बहरहाल, स्मार्ट सिटी के 80 प्रोजेक्ट फिलहाल चल रहे हैं. या यूं कहे कि अभी 60 फीसदी काम होना बाकी है. इसे लेकर दावा किया जा रहा है कि इन प्रोजेक्ट को डेडलाइन जून 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा. हालांकि, बड़े प्रोजेक्ट में अतिरिक्त समय लगना तय है. इसके लिए अनुमति भी मांगी जाएगी. चुनौती यही है कि अब तक 7 साल में 52 प्रोजेक्ट बनकर तैयार हुए हैं, ऐसे में आने वाले 8 महीने में हर महीने करीब 14 से 15 प्रोजेक्ट पूरा करने का टारगेट सेट किया है.