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Jaipur single lease case: यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और गृह सचिव को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अशोक पाठक की एसएलपी पर एकल पट्टा केस में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, राज्य के गृह सचिव व एसीबी के तत्कालीन डीएसपी संजीव कुमार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

notice from supreme court
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और गृह सचिव को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
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Published : Apr 17, 2023, 9:48 PM IST

सुप्रीम कोर्ट मेंं यह एसएलपी अशोक पाठक ने दायर की थी

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ एकल पट्टा केस खत्म करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के मामले में धारीवाल सहित राज्य के गृह सचिव व एंटी करेप्शन ब्यूरो (एसीबी) के तत्कालीन डीएसपी संजीव कुमार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश अशोक पाठक की एसएलपी पर दिए हैं. एसएलपी में राजस्थान हाईकोर्ट के 15 नवंबर 2022 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने एकल पट्टा मामले में एसीबी में दर्ज एफआईआर और निचली अदालत की कार्रवाई को शांति धारीवाल की हद तक रद्द कर दिया था.

ये भी पढ़ेंः Rajasthan High Court: यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को राहत, एकल पट्टा प्रकरण में एसीबी कोर्ट की कार्रवाई रद्द करने के आदेश

हाईकोर्ट ने की थी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखीः एसएलपी में कहा गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्ज केस की FIR को केवल शिकायतकर्ता के राजीनामे के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता. यह केस राज्य सरकार का केस है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ है. वहीं हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों की भी अनदेखी की है. सुप्रीम कोर्ट ने निचली कोर्ट को राज्य सरकार की क्लोजर रिपोर्ट व प्रोटेस्ट पिटीशन तय करने का निर्देश दिया था. जिस पर निचली कोर्ट ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट रद्द कर आगामी अनुसंधान का निर्देश दिया था. इसी दौरान धारीवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चल रहे अनुसंधान व निचली कोर्ट की कार्रवाई को रद्द करने का आग्रह किया था.

ये भी पढ़ेंः Single Lease Deed Case : एकल पट्टा प्रकरण में शांति धारीवाल व अन्य की भूमिका को लेकर अग्रिम जांच के आदेश

हाईकोर्ट ने रद्द कर दी थी निचली कोर्ट की कार्रवाईः धारीवाल का कहना था कि मामले में शिकायतकर्ता व उनके बीच सेटलमेंट हो गया है. इसलिए निचली कोर्ट व एसीबी की कार्रवाई को रद्द किया जाए. इस आधार पर हाईकोर्ट ने मामले में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप होते हुए भी याचिका मंजूर कर एसीबी व कोर्ट की कार्रवाई रद्द कर दी थी. जबकि निचली कोर्ट ने 29 जनवरी, 2022 के आदेश में स्पष्ट कहा था कि जांच एजेंसी सही तरीके से जांच नहीं कर रही है और केस डायरी में एक साल से एंट्री भी दर्ज नहीं की है. मामले में अभियोजन ने हाईकोर्ट से तथ्यों को छिपाया है. इसलिए मामले में सर्वोच्च अदालत आवश्यक दिशा-निर्देश दे.

यह है पूरा मामलाः एसीबी ने वर्ष 2014 में परिवादी रामशरण सिंह की गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को एकल पट्टा जारी करने में हुई धांधली की शिकायत पर मामला दर्ज किया था. एसीबी ने मामले में कंपनी के प्रोपराइटर शैलेंद्र गर्ग, यूडीएच के पूर्व सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन-10 के तत्कालीन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, निष्काम दिवाकर और गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारियों अनिल अग्रवाल व विजय मेहता के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

सुप्रीम कोर्ट मेंं यह एसएलपी अशोक पाठक ने दायर की थी

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ एकल पट्टा केस खत्म करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के मामले में धारीवाल सहित राज्य के गृह सचिव व एंटी करेप्शन ब्यूरो (एसीबी) के तत्कालीन डीएसपी संजीव कुमार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश अशोक पाठक की एसएलपी पर दिए हैं. एसएलपी में राजस्थान हाईकोर्ट के 15 नवंबर 2022 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने एकल पट्टा मामले में एसीबी में दर्ज एफआईआर और निचली अदालत की कार्रवाई को शांति धारीवाल की हद तक रद्द कर दिया था.

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हाईकोर्ट ने की थी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखीः एसएलपी में कहा गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्ज केस की FIR को केवल शिकायतकर्ता के राजीनामे के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता. यह केस राज्य सरकार का केस है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ है. वहीं हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों की भी अनदेखी की है. सुप्रीम कोर्ट ने निचली कोर्ट को राज्य सरकार की क्लोजर रिपोर्ट व प्रोटेस्ट पिटीशन तय करने का निर्देश दिया था. जिस पर निचली कोर्ट ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट रद्द कर आगामी अनुसंधान का निर्देश दिया था. इसी दौरान धारीवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चल रहे अनुसंधान व निचली कोर्ट की कार्रवाई को रद्द करने का आग्रह किया था.

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हाईकोर्ट ने रद्द कर दी थी निचली कोर्ट की कार्रवाईः धारीवाल का कहना था कि मामले में शिकायतकर्ता व उनके बीच सेटलमेंट हो गया है. इसलिए निचली कोर्ट व एसीबी की कार्रवाई को रद्द किया जाए. इस आधार पर हाईकोर्ट ने मामले में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप होते हुए भी याचिका मंजूर कर एसीबी व कोर्ट की कार्रवाई रद्द कर दी थी. जबकि निचली कोर्ट ने 29 जनवरी, 2022 के आदेश में स्पष्ट कहा था कि जांच एजेंसी सही तरीके से जांच नहीं कर रही है और केस डायरी में एक साल से एंट्री भी दर्ज नहीं की है. मामले में अभियोजन ने हाईकोर्ट से तथ्यों को छिपाया है. इसलिए मामले में सर्वोच्च अदालत आवश्यक दिशा-निर्देश दे.

यह है पूरा मामलाः एसीबी ने वर्ष 2014 में परिवादी रामशरण सिंह की गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को एकल पट्टा जारी करने में हुई धांधली की शिकायत पर मामला दर्ज किया था. एसीबी ने मामले में कंपनी के प्रोपराइटर शैलेंद्र गर्ग, यूडीएच के पूर्व सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन-10 के तत्कालीन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, निष्काम दिवाकर और गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारियों अनिल अग्रवाल व विजय मेहता के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

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