जयपुर. कांग्रेस वॉर रूम में प्रत्याशियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर निकले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर आश्वस्त नजर आए. साथ ही बाड़ेबंदी जैसी संभावनाओं को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस के प्रत्याशियों पर भरोसा है. प्रत्याशियों को बुलाना सिर्फ एक प्रक्रिया है, ताकि पर्यवेक्षकों के साथ मीटिंग हो सके और बीजेपी की ड्रामेबाजी को रोका जा सके.
राजस्थान विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के ठीक बाद कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए एआईसीसी ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है. राजस्थान में भूपिंदर सिंह हुड्डा, मधुसूदन मिस्त्री, मुकुल वासनिक और शकील अहमद खान को पर्यवेक्षक बनाया गया है, जिनके साथ 4 दिसंबर को मीटिंग होगी. इससे पहले शनिवार देर रात वॉर रूम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रदेश भर के कांग्रेस कैंडीडेट्स से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वार्ता की.
वॉर रूम से निकलकर मीडिया से मुखातिब होते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सभी कैंडिडेट से बात की है, सभी में बहुत उत्साह है. सभी कैंडिडेट मुस्तैदी से मतगणना के लिए जाएंगे. कई अधिकृत उम्मीदवार खुद जाते हैं, कई उनके एजेंट जाते हैं. ये प्रक्रिया सभी जगह चलती है. सभी से कोऑर्डिनेटर किया है, सभी प्रत्याशियों में जीतने का कॉन्फिडेंस है. कांग्रेस जीतेगी और स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाएंगे.
वहीं, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि कांग्रेस के प्रत्याशियों में हाई स्पिरिट है. अगर उन्हें कोई शंका होती तो ये उनके चेहरे से पता चल जाता. जहां तक बाड़ेबंदी की बात है तो कांग्रेस के लीडर्स और कार्यकर्ताओं पर विश्वास है. सभी जयपुर में रहकर ही बात करेंगे. बीजेपी वाले जरूर भागते फिर रहे हैं. कांग्रेस की लीडरशिप वीक नहीं, स्ट्रांग है. भागने वाली बातें वो करते हैं, जिन्हें कोई शंका होती है. कांग्रेस राजस्थान और हिंदुस्तान में मजबूती के साथ लोगों के साथ खड़ी है. पहली बार देखा है कि किसी स्टेट में सरकार होने के बावजूद कार्यकर्ताओं ने बहुत हाई स्पिरिट में काम किया है और इतना काम किसी और स्टेट में नहीं हुआ है. जहां तक कैंडिडेट को बुलाने का सवाल है तो जब पंजाब में 17 प्रत्याशी जीत कर आए थे तो ही पार्टी ने विधायकों को बुला लिया था. ये तो एक प्रक्रिया है, जिसमें मीटिंग होगी. ऑब्जर्वर लगे हैं जो सुबह 10:00 ही बैठ जाएंगे. उसके बाद विधायकों को बुलाकर के मीटिंग होगी और प्रस्ताव पास होगा. कांग्रेस को किसी बात का डर नहीं. बीजेपी वालों को जरूर डर रहता है और वो ड्रामेबाजी भी करते हैं. उस ड्रामेबाजी को रोकने के लिए जल्द से जल्द प्रत्याशियों को बुलाया जा रहा है.
वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि जो गुड गवर्नेंस और योजनाएं थी, सत्ता और संगठन में समन्वय से काम किया, कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर नेताओं ने चुनाव लड़ा. शीर्ष नेतृत्व ने यहां आकर कैंपेन किया है. भारत जोड़ो यात्रा से जो शुरुआत हुई और योजनाओं का इंपैक्ट हुआ. 10 गारंटी, आगे के लिए 7 गारंटी और घोषणा पत्र का असर पड़ा है और कांग्रेस सरकार ने पिछला घोषणा पत्र इंप्लीमेंट कर दिया. इसलिए नई घोषणा पत्र पर जनता ने विश्वास किया है. बीजेपी ने ढाई लाख रोजगार देने का वादा किया, जबकि कांग्रेस ने चार लाख रोजगार देने का वादा किया है.
मातृशक्ति के लिए जो फूड पैकेट, गैस सिलेंडर, पेंशन, 50 लाख का इलाज, गृह लक्ष्मी योजना से मातृशक्ति, युवा और किसान सभी सेटिस्फाइड है. सभी मानते हैं कि कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जो कहती है, वो करती है. 36 कौमों को साथ लेकर के चलती है, जबकि बीजेपी का कोई कैंपेन नहीं था. पीएम मोदी आते थे और अनर्गल बातें करते थे, जो प्रधानमंत्री के स्तर की नहीं होती थी. जबकि बीजेपी के लोकल नेता फेल थे, जबकि कांग्रेस का नेतृत्व, गुड गवर्नेंस और योजनाएं लोगों को वोट देने के लिए प्रभावित कर रहा था. जिसकी वजह से भारी बहुमत के साथ कांग्रेस सरकार बना रही है और चुकी कांग्रेस का पूर्ण बहुमत आ रहा है, इसलिए निर्दलीयों से संपर्क करना, नहीं करना, कोई मायने नहीं रखता. पिछले कार्यकाल को देखते हुए निर्दलीय उम्मीदवार खुद सरकार में शामिल होना चाहेंगे. हालांकि, बाड़ेबंदी को लेकर बेंगलुरु में रिजॉर्ट बुक होने के सवाल को उन्होंने हंसकर टाल दिया.