जयपुर. प्रदेश की राजधानी जयपुर में ट्रैफिक मैनेजमेंट और अपराध नियंत्रण के लिए अत्याधुनिक कैमरे लगाने की दिशा में कवायद की जा रही है. इसके तहत शहर के हर एंट्री और एग्जिट पॉइंट से लेकर 100 स्थानों पर अत्याधुनिक तकनीक से लैस ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रोकॉग्निजेशन (एएनपीआर) कैमरे लगाए जाएंगे. इसके साथ ही 272 पीटीजेड कैमरे भी लगाए जाएंगे. इन कैमरों को घुमाया जा सकता है और इनमें जूम करने की सुविधा भी होती है.
इसके कई फायदे हैं. पहला फायदा यह होगा कि शहर में एंट्री और एग्जिट का हर पॉइंट हर समय तीसरी आंख की निगरानी में रहेगा. दूसरा फायदा यह है कि शहर के किसी भी इलाके में कभी भी कोई वाहन यातायात नियम तोड़ता पाया जाता है तो उसके घर पहुंचने से पहले ही मोबाइल पर चालान पहुंच जाएगा. चालान में इस बात का भी उल्लेख होगा कि वाहन चालक ने किस जगह नियम तोड़ा है और उसकी फोटो भी चालान में दिखाई देगी. इसके साथ ही अत्याधुनिक कैमरों का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अपराध नियंत्रण में भी इनसे काफी मदद मिलेगी.
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (यातायात एवं प्रशासन) राहुल प्रकाश का कहना है कि जयपुर ट्रैफिक पुलिस में अभी भी आईटीएमएस का संचालन चल रहा है. लेकिन अभी कैमरों की संख्या कम है. अब शहर के हर एंट्री-एग्जिट पॉइंट सहित 100 स्थानों पर 400 एएनपीआर कैमरे और 272 पीटीजेड कैमरे लगाने के लिए जयपुर पुलिस आयुक्तालय ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DoIT) को पत्र लिखा है. अब जल्द से जल्द इस मसौदे को धरातल पर लाने का प्रयास किया जा रहा है. इससे मैन्युअल चालान की व्यवस्था खत्म की जा सकेगी.
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इस तरह काम करता है आईटीएमएस : उन्होंने बताया कि आईटीएमएस में कैमरों में एक खास तरह का सॉफ्टवेयर लगाया जाता है. जो नंबर प्लेट्स को स्पष्ट तरीके से रीड करने में सक्षम होता है. ऐसे में जो गाड़ी यातायात नियमों का उल्लंघन करती है. उसके नंबर प्लेट को रीड कर वाहन मालिक की पहचान की जाती है. इस सिस्टम से वाहन मालिक का पता और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर भी मिल जाता है. इसके आधार पर यातायात नियम के उल्लंघन का चालान उसके पते पर और मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है.
अत्याधुनिक तकनीक के यह हैं दो बड़े फायदे : इस सिस्टम से जयपुर की सड़कों पर 24 घंटे और सातों दिन निगहबानी संभव हो सकेगी. रात के समय जब यातायात पुलिसकर्मी ट्रैफिक पॉइंट्स पर नहीं रहते तब भी नियम तोड़ने पर चालान संभव होगा. इसका एक बड़ा फायदा यह भी होगा कि चालान प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार या दुर्व्यवहार के आरोपों पर अंकुश लगाया जा सकेगा. मैन्युअली चालान में इस तरह के आरोप लगना आम बात है.
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अपराध पर अंकुश लगाने में भी मिलेगी मदद : राहुल प्रकाश का कहना है कि इस तकनीक का चालान सिस्टम के साथ ही कानून व्यवस्था और अपराध नियंत्रण पर भी बड़ा असर पड़ेगा. जयपुर शहर में एंट्री और एग्जिट की जितनी भी सड़कें हैं. वहां यह कैमरे लगाए जाएंगे. इससे कोई भी गाड़ी कब शहर में आई और कब बाहर गई. इसका आसानी से पता किया जा सकेगा.
कैमरा स्वयं करेगा गाड़ी की तलाश : उन्होंने बताया कि इसके अलावा इन कैमरों के सॉफ्टवेयर में एक पॉप-अप सिस्टम की भी डिमांड की है. जिसमें अगर किसी गाड़ी का पुलिस पीछा या तलाश कर रही है तो उसे फाइंड के लिए डालना होगा और जहां पर भी वह गाड़ी चल रही होगी या जिस कैमरे के सामने से गुजरेगी. उस जगह को स्क्रीन पर पॉप अप करके बता देगा. ऐसे में जिस गाड़ी को सर्च किया जा रहा है, वह किस लोकेशन पर है. यह स्क्रीन पर दिखाई देगा. जिस गाड़ी का पुलिस पीछे कर रही है. उसे रोकने में भी आसानी रहेगी. इससे अपराध पर नियंत्रण में आसानी होगी. इसके साथ ही वारदात कर भागने वाले बदमाशों को भी पकड़ने में मदद मिल सकेगी.