जयपुर. जिले की स्थाई लोक अदालत ने बीमित किसान की मृत्यु के मामले में उसके आश्रित को बीमा राशि देने में हुई देरी को सेवादोष करार देते हुए दी जयपुर सेन्ट्रल कॉपरेटिव बैंक पर 61 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. अदालत ने हर्जाना राशि की वसूली बीमा राशि देने में हुई देरी के लिए लापरवाही बरतने वाले अफसर व कर्मचारियों के वेतन से वसूलने की छूट दी है. इसके साथ ही एलआईसी को भी निर्देश दिया है कि वह प्रार्थी को 5 लाख रुपए की बीमा राशि परिवाद दायर करने की तारीख 9 जुलाई 2020 से नौ फीसदी ब्याज सहित एक महीने में भुगतान करे. इसमें से ब्याज राशि का भुगतान बैंक करे. लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी अनूप सक्सेना व दीपक चाचान ने यह आदेश रेनवाल निवासी श्रवण कुमार के परिवाद पर दिए.
परिवाद में कहा गया कि परिवादी के पिता सुखाराम ने विपक्षी बैंक के यहां 9 जून 2014 को कृषक समृद्दि योजना के तहत बैंक खाता खुलवाया था. उसने प्रीमियम राशि 2475 रुपए का भुगतान कर एलआईसी की जीवन सुरक्षा बीमा योजना में बीमा भी करवाया. वहीं 8 अप्रैल 2015 को उसके पिता की आकस्मिक मौत हो गई. प्रार्थी ने जब विपक्षी बीमा निगम व बैंक के समक्ष बीमा राशि के लिए क्लेम किया तो उसे 5 लाख रुपए नहीं दिए.
इसे स्थाई लोक अदालत में चुनौती देने पर एलआईसी ने जवाब में कहा कि बैंक की ओर से उनके समक्ष 5 लाख रुपए का बीमा क्लेम फार्म नहीं भिजवाया था. बैंक ने जो फार्म भिजवाये थे, वो अलग-अलग राशि के थे. बैंक ने ही उन्हें गलत क्लेम फॉर्म भेजा है और इसके लिए वे जवाबदेह नहीं हैं. अदालत ने तथ्यों का आंकलन कर कहा कि एलआईसी को बैंक के गलत क्लेम फॉर्म भिजवाने पर उससे स्पष्टीकरण लेना चाहिए था, लेकिन एलआईसी ने ऐसा नहीं किया और न कोई कार्रवाई की.