जयपुर. शहरी सरकार के मुखिया और नगर निगम आयुक्त के बीच विवाद बरकरार है. स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर मेयर से पूछे गए सवाल पर उन्होंने अपना पल्ला झाड़ा लिया. एडमिनिस्ट्रेशन का काम कमिश्नर की ओर से देखे जाने की बात कहते हुए उन्हें जनता से जुड़े हुए मुद्दों को जल्द निस्तारण करने की नसीहत भी दे डाली.
स्वच्छता सर्वेक्षण का दूसरा चरण अपने अंतिम दौर में चल रहा है. बहुत जल्द केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई कमेटी इसे लेकर अंक जारी करेगी. लेकिन जयपुर नगर निगम को इस बार कोई खास फायदा होता नहीं दिख रहा. जिसका एक कारण निगम कमिश्नर और मेयर के बीच सामंजस्य के अभाव को माना जा सकता है. यूं तो स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर के हर एक बाशिंदे की भूमिका है. लेकिन शायद जयपुर के मेयर कमिश्नर के साथ चल रहे विवाद के चलते अपनी भूमिका को भूल गए.
ईटीवी भारत ने जब स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर मेयर से सवाल किया तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए इस सवाल को कमिश्नर की तरफ मोड़ दिया. उन्होंने कहा कि इस काम को कमिश्नर देख रहे हैं, इसलिए इस संबंध में उनसे बात करें. पूरा प्रशासनिक काम कमिश्नर देख रहे हैं. इस दौरान उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि जनता से जुड़े हुए मुद्दों को जल्द निस्तारित करना भी कमिश्नर का दायित्व है.
जयपुर नगर निगम का इतिहास भी यही रहा है. जहां ना तो मेयर अशोक लाहोटी और कमिश्नर रवि जैन की बनी. और यही हालात मेयर ज्योति खंडेलवाल और कमिश्नर जगरूप सिंह यादव के बीच थे. ऐसे में ये कोई नया मसला नहीं है. लेकिन फिलहाल इस कोल्ड वार में जयपुर का नुकसान हो रहा है.