जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने माता-पिता और दो भाईयों की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अभियुक्त को निर्दोष माना है. उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदी को तुरंत रिहा करने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश राजेंद्र शर्मा की अपील पर दिए. वहीं अदालत ने प्रकरण में राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया है. वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार की ओर से उक्त याचिका में आरोपी को फांसी देने की मांग की गई थी.
सभी गवाह पक्षद्रोही हुएः हाईकोर्ट ने अपने दिए ऑर्डर में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से सभी गवाह पक्षद्रोही हो गए हैं. सभी गवाहों ने अपने दिए बयानों में अपीलार्थी द्वारा उनके सामने अपना जुर्म स्वीकार करने की पुष्टि नहीं की है. इसके अतिरिक्त फॉरेंसिक रिपोर्ट में मृतकों के अमाशय में कीटनाशक था. जबकि इंजेक्शन के द्वारा कीटनाशक देने पर वह पेट के अंदर नहीं मिलता. इसके अलावा घटना वाले दिन कमरे का दरवाजा भी अंदर से बंद पाया गया था. जानकारी के अनुसार यह घटना 13 सितंबर 2008 को हुई थी. जिसमें छीतरमल उनकी वाइफ चंदा तथा दो बेटे क्रमशः सुरेश व शुभकरण की लाश कमरे में मिली थी.
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निचली अदालत ने 2014 में सुनाई थी सजाः इस मामले में पुलिस ने रिश्तेदार मोहनलाल की रिपोर्ट पर राजेंद्र को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने आरोप पत्र में कहा कि राजेंद्र मेडिकल संबंधित काम करता था और उसने चारों को पीलिया का टीका लगाने के नाम पर जहर का इंजेक्शन लगाकर हत्या कर दी. वहीं निचली अदालत ने ट्रायल पूरा कर 11 जून, 2014 को अपीलार्थी को हत्या के आरोप में दोषसिद्ध कर आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इस आदेश को अपील में चुनौती दी गई. वहीं राज्य सरकार की ओर से सजा को नाकाफी बताते हुए उसे फांसी देने की गुहार लगाई गई थी.