जयपुर. ग्रेटर नगर निगम को स्थाई महापौर 10 नवंबर को मिल जाएगा. मेयर, पार्षद और कमिश्नर के बीच हुए विवाद के बाद से ग्रेटर निगम में लगातार महापौर का चेहरा बदलता रहा. 2 साल में दो बार सौम्या गुर्जर जबकि दो बार शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाया गया. हालांकि, अब निर्वाचन आयोग ने ग्रेटर निगम में महापौर के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है. ऐसे में अब भाजपा के दावेदारों से लेकर पूर्व में हुए विष्णु लाटा प्रकरण पर चर्चाएं तेज हो गई हैं. भले ही यहां बीजेपी के पास बहुमत है बावजूद इसके नया चेहरा चुनना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है.
ग्रेटर नगर निगम में भले ही बीजेपी का बोर्ड हो, लेकिन इन्हीं बीजेपी के पार्षदों के बीच गुटबाजी (Greater Nagar Nigam mayor by election Date) भी देखी जा सकती है. इसका फायदा कांग्रेसी उठा सकते हैं. कांग्रेस पूर्व में महापौर पद पर चुनाव लड़ा चुकी दिव्या सिंह पर एक बार फिर दांव खेल सकती है. पिछले बोर्ड में बीजेपी से बागी होकर विष्णु लाटा ने अपने ही बोर्ड के खिलाफ चुनाव लड़ा था और कांग्रेस पार्षदों का साथ लेकर महापौर की कुर्सी संभाली थी. इसी प्रकरण को याद करते हुए फिलहाल बीजेपी की नींद उड़ी हुई है.
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ये है ग्रेटर नगर निगम का गणित : ग्रेटर नगर निगम में 150 वार्डों में बीजेपी के 88 पार्षद जीत कर आए हैं. 2 पार्षद बीजेपी समर्थित रहे, जबकि 7 निर्दलीय पार्षदों का समर्थन मिला. वर्तमान में राज्य सरकार ने 3 बीजेपी और 1 निर्दलीय बीजेपी समर्थित पार्षद को बर्खास्त किया है. ऐसे में 150 की जगह 146 पार्षद नया महापौर चुनेंगे. इसमें बीजेपी के पास निर्दलीय समर्थित पार्षदों के साथ 93 का आंकड़ा है. जबकि कांग्रेस में 52 पार्षद जीत कर आए और 1 निर्दलीय पार्षद कांग्रेस समर्थित है.
ये पार्षद बर्खास्त :
- सौम्या गुर्जर (महापौर)
- अजय सिंह चौहान
- पारस जैन
- शंकर शर्मा
बीजेपी के इन नामों पर चर्चा : ग्रेटर नगर निगम में महापौर पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है. ऐसे में बीजेपी में एक बार फिर विद्युत समिति (बी) की अध्यक्ष सुखप्रीत बंसल, वर्तमान कार्यवाहक महापौर शील धाभाई, विद्युत समिति (ए) की चेयरमैन रश्मि सैनी और कच्ची बस्ती सुधार समिति के अध्यक्ष भारती लख्यानी के नामों पर प्रमुखता से मंथन किया जाएगा. इनमें से कोई एक बीजेपी की दावेदार हो सकती है. इन 4 दावेदारों में सुप्रीत बंसल और शील धाभाई का नाम पहले भी महापौर की दावेदारी में था.
जानकारी के अनुसार गुटबाजी और सेंधमारी की खबरों के बीच बीजेपी शहर संगठन सक्रिय हो गया है. यदि कांग्रेस अपना प्रत्याशी खड़ा करती है या फिर बीजेपी से कोई बागी होता है, तो पार्षदों की बाड़ाबंदी भी करनी पड़ सकती है.