जयपुर. अगर आपसे आंखों पर पट्टी बांधकर कुछ पढ़ने को कहा जाए तो क्या आप पढ़ पाएंगे? शायद नहीं, क्योंकि टेक्निकली ये मुमकिन नहीं है. वहीं, जयपुर की भाविका आंखों पर पट्टी बांधकर न सिर्फ पढ़-लिख लेती हैं, बल्कि ड्राइंग, कलरिंग, यहां तक की सुई में धागा तक पिरो लेती हैं. कुछ लोग इसे सिक्स्थ सेंस कहते हैं तो कुछ वरदान समझते हैं. हालांकि असल में भाविका जिस कला को जानती हैं, उसे 'मिड ब्रेन एक्टिवेशन' या 'थर्ड आई एक्टिवेशन' कहा जाता है.
सूंघकर बताती है रंग : 11 साल की भाविका आंखों पर पट्टी बांधकर लगातार, बिना गलती किए सिर्फ सूंघकर ये बता देती हैं कि क्या लिखा है, वो किस रंग का है. इसके अलावा भाविका बिना देखे चित्र बनाकर उसमें रंग तक भर देती हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में भाविका ने बताया कि मिड ब्रेन एक्टिवेशन या थर्ड आई एक्टिवेशन एक कला है, जिसके जरिए आंखों पर पट्टी बांधकर कोई भी रंग, कोई भी शब्द, नम्बर सिर्फ सूंघकर बताया जा सकता है. इसके अलावा बंद आंखों से सुई में धागा पिरोने, चित्र बनाने जैसी एक्टिविटी भी की जा सकती है.
3 साल पहले शुरू की ट्रेनिंग ईटीवी भारत की टीम के सामने भाविका की आंखों पर कॉटन पैड्स के साथ थ्री लेयर की पट्टी बांधी गई. इसके बाद उन्होंने सामने रखे टॉय के कलर भी बताए, बुक में बने हुए चित्र बताए, यही नहीं जेब में से निकाले गए इंडियन करेंसी की डिजिट तक बता दी. इसके साथ बोर्ड पर लिखे गए शब्दों को भी भाविका ने आंखों पर पट्टी बांध कर भी स्पष्ट बता दिया. भाविका ने सुई में धागा पिरोया, तिरंगा बनाकर उसमें सही रंग भरे और किताब में पेज नंबर तक निकाल दिया. भाविका ने बताया कि उन्हें इस कला में उनके पिता ने महारथ हासिल कराई. करीब 3 साल पहले उन्होंने इसकी ट्रेनिंग शुरू की थी.
सिक्स्थ सेंस होता है जागृत : भाविका के पिता हीरालाल नाथोलिया ने बताया कि न सिर्फ भाविका बल्कि उन्होंने अन्य करीब 50 बच्चों को भी इस कला में ट्रेंड किया है. ये प्राचीन कला है जो धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है. फिलहाल इस पर रिसर्च शुरू हुआ है और इसे अब मिड ब्रेन एक्टिवेशन के नाम से जाना जा रहा है. इस कला में योग, अभ्यास, ब्रेन जिम और फास्ट फूड अवॉइड करते हुए विशेष तरह म्यूजिक के साथ एक्सरसाइज कराई जाती है. इससे सिक्स्थ सेंस इतना जागृत हो जाता है कि जो काम एक आम इंसान खुली आंखों से कर सकता है, वो बच्चे आंखों पर पट्टी बांधकर भी कर लेते हैं.
चमत्कार नहीं विज्ञान है : उन्होंने बताया कि भाविका कि फिलहाल पहली और दूसरी स्टेज चल रही है. आगे इस ट्रेनिंग में किसी भी चीज को बच्चे को सूंघा कर छिपा दिया जाए तो उसे भी ढूंढ कर निकाल सकते हैं. उन्होंने बताया कि महाभारत काल में संजय इसी कला के उदाहरण हैं. इसे चाहे वरदान कहा जाए या चमत्कार, लेकिन ये एक कला है, विज्ञान है. इस कला से ऐसे बच्चे जो जन्म से देख नहीं पाते, उन्हें जोड़ा जाए तो उनका भविष्य संवर सकता है.