जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग, जयपुर प्रथम ने वाहन से 50 रुपए अधिक टोल वसूली करने को सेवा दोष माना है. इसके साथ ही आयोग ने टाटियावास टोल प्लाजा और जयपुर-रींगस टोल रोड प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर पर 35 हजार रुपए हर्जाना लगाया है. वहीं, आयोग ने परिवादी से अधिक वसूले गए 50 रुपए भी 3 फरवरी 2016 से भुगतान करने तक 9 फीसदी ब्याज सहित देने को कहा है. आयोग अध्यक्ष सूबे सिंह व सदस्य नीलम शर्मा ने यह आदेश गिरधारी लाल के परिवाद पर दिए.
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि रसीद पर बार कोड के अलावा नंबर भी थे और पूरा सिस्टम ही कंप्यूटराइज्ड होने के चलते वाहन की सभी जानकारी उसमें होती है. ऐसे में विपक्षी केवल फटी हुई पर्ची का हवाला देकर टोल की अवैध वसूली नहीं कर सकते. विपक्षी को इसकी जांच करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया है जो साफ तौर पर विपक्षी का सेवादोष ही है. परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने 27 दिसंबर 2015 को कार से सीकर जाते समय टोल प्लाजा, टाटियावास के काउंटर पर 80 रुपए जमा करवाकर रसीद ली थी. इसकी वैधता 28 दिसंबर तक थी.
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रसीद फटी बता कर वसूले रुपए : वहीं, जब परिवादी रसीद की वैधता अवधि में सीकर से वापस टोल प्लाजा आया तो टोल कर्मचारियों ने उसकी रसीद को फटी हुई बताया और उससे टोल के लिए 50 रुपए वसूल लिए. परिवाद में बताया गया कि रसीद पर नंबर साफ तौर पर अंकित थे. इसके बावजूद भी टोल कर्मचारियों ने उससे पचास रुपए की जबरन वसूली लिए. ऐसे में उसे क्षतिपूर्ति सहित अधिक ली गई राशि वापस दिलाई जाए.