जयपुर. राजधानी के चौमूं थाना इलाके में संचालित मां वैष्णो पेट्रोल्यूब फैक्ट्री में दबिश की कार्रवाई को अंजाम देते हुए कमिश्नर स्पेशल टीम ने नकली डीजल बनाने का पर्दाफाश किया है. कमिश्नर स्पेशल टीम की सूचना पर राजस्थान के विभिन्न जिलों में करीब एक दर्जन से भी अधिक स्थानों पर पुलिस की छापेमारी जारी है. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए फैक्ट्री मालिक को गिरफ्तार कर फैक्ट्री को सील किया है. कार्रवाई के चलते करोड़ों की राजस्व और जीएसटी चोरी का खुलासा हुआ है.
कमिश्नरेट स्पेशल टीम ने रसद विभाग, सेल्स टैक्स और जीएसटी विभाग के साथ एक संयुक्त कार्रवाई को अंजाम देते हुए नकली डीजल बनाने वाली फैक्ट्री का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने कार्रवाई को अंजाम देते हुए फैक्ट्री के मालिक अर्जुन लाल यादव को गिरफ्तार किया है. प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी ने कोटपूतली, अजमेर, बीकानेर, भीलवाड़ा और हनुमानगढ़ में भी नकली डीजल बनाने का प्लांट शुरू करने की बात कबूली है, जिस पर इन तमाम जिलों में भी पुलिस द्वारा छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है.
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जयपुर के चौमूं में आरोपी ने पिछले 5 साल से काले ऑयल को रिफाइन करने का प्लांट लगा रखा है और पर्यावरण विभाग से इसका लाइसेंस भी रखा है. वर्तमान में डीजल के रेट अधिक होने पर आरोपी ने बड़े स्तर पर अवैध तरीके से नकली डीजल तैयार करना शुरू किया है.
ऐसे तैयार किया जाता है नकली डीजल
नकली डीजल बनाने वाली फैक्ट्री का पर्दाफाश करने के बाद जब वहां पर जांच पड़ताल की गई, तो इस बात का खुलासा हुआ कि वाहनों के इंजन से निकलने वाले कायल ऑयल को 20 से 25 रुपये प्रति लीटर खरीद कर उसमें क्ले मिट्टी मिलाई जाती है. उसके बाद बड़े बॉयलर प्लांट में एक बार में 8 हजार लीटर काला तेल डालकर 400 से 450 डिग्री तापमान तक गर्म करने के बाद ठंडा कर दूसरे बॉयलर में रिफाइन किया जाता है. उसके बाद दूसरे बॉयलर में रिफाइन हुए ऑयल को एक बार फिर से रिफाइन करते हुए उसे तीसरे बॉयलर में खाली किया जाता है.
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तीसरे बॉयलर में तैयार होकर आए ऑयल को डीजल बताकर मार्केट में लंबे रूट पर चलने वाली बसों, ट्रकों एवं पिकअप चालकों को बेच दिया जाता था. इसके साथ ही माइनिंग में लगी हुई जेसीबी व अन्य उपकरणों के लिए भी इस नकली डीजल को बेचा जाता था. इस पूरी कार्रवाई में उपस्थित सेल्स टैक्स, जीएसटी व रसद विभाग के अधिकारियों द्वारा की गई पड़ताल में फैक्ट्री मालिक द्वारा करोड़ों रुपये की राजस्व चोरी और करोड़ों रुपये की जीएसटी की चोरी किए जाने का खुलासा हुआ है. इस के संबंध में विभागों द्वारा अलग से कार्रवाई की जा रही है.