जयपुर. 13 मई 2008 को जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट की शनिवार को बरसी है. उस मनहूस दिन शाम को 7:20 मिनट पर पहले बम ब्लास्ट के साथ एक के बाद एक 8 बम धमाकों ने ग़ुलाबी नगरी को दहलाकर रख दिया था. धमाकों में 71 लोग की जान गई थी, जबकि 185 से ज्यादा लोग घायल हो गए. इस सीरियल बम ब्लास्ट को 15 साल पूरे हो गए . वक्त के साथ शरीर पर लगे जख्म भरने के साथ ही सब कुछ सामान्य हो चला था. इस बीच 29 मार्च को आए हाईकोर्ट के आदेश ने इन जख्मों को फिर से हरा कर दिया.
सरकार की कमजोर पैरवी के बीच आरोपियों को बरी कर दिया गया. कोर्ट के इस फैसले से ब्लास्ट के पीड़ित ही नहीं बल्कि जयपुर के हर नागरिक को निराशा हुई. माना जा रहा है कि विधानसभा के चुनावी माहौल में आए इस फैसले ने विपक्ष में बैठी बीजेपी को बैठे बिठाए एक ऐसा मुद्दा दे दिया, जिसके जरिये अपने हाथ से निकले पुराने जयपुर शहर के किले को मजबूत कर सके.
बीजेपी ने अपनाया आक्रमक रुखः मामला संवेदनाओं से जुड़ा था, लिहाजा बीजेपी ने फैसला आने के साथ कांग्रेस सरकार पर आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया. बीजेपी लगातार ब्लास्ट के मुद्दे पर कभी धरना दे कर तो , कभी मशाल जुलूस के जरिए सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां तक कि पीड़ित परिवारों के साथ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई . बीजेपी जयपुर ब्लास्ट जैसे सेंटीमेंट वाले मुद्दे के जरिए जयपुर शहर की 8 और उससे सटी हुई दो सीटों पर अपने खोए हुए जनाधार को फिर से हासिल करने की मंशा में है. हालांकि ब्लास्ट के आरोपियों को मिली राहत में किस सरकार की लापरवाही रही, इसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक दूसरे पर छींटाकशी कर रही हैं . इतना ही नहीं पीएम मोदी ने कर्नाटक चुनाव सभा और सिरोही सभा में जयपुर ब्लास्ट के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा था.
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15 साल पहले हुआ था सीरियल ब्लास्टः बता दें कि 13 मई को 15 साल पहले जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट से दहल गया था. एक के बाद एक 8 बम धमाकों में 71 लोगों की जान गई और 185 लोग घायल हो गए थे . ब्लास्ट के बाद तत्कालीन राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने आतंकियों को पकड़ने के लिए एक एंटी टेररिस्ट स्क्वाड बनाई. ATS ने इस मामले में कुल 13 लोगों को आरोपी बनाया था, लेकिन उनमें से 3 आज फरार हैं.
वहीं, 3 दिल्ली और हैदराबाद की जेल में तो 2 चर्चित बाटला हाउस मुठभेड़ में मारे गए थे, बाकी के पांच में से 4 को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई तो 1 को बरी कर दिया गया था. इसके बाद 29 मार्च को हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फांसी के फैसले को खारिज करते हुए 4 आरोपियों को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया . जिसमें सैफूर्रहमान, सैफ, सलमान और सरवर आजमी को राहत मिली थी, हालांकि हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करते हुए पूर्व के आदेश को स्टे करते हुए नोटिस जारी किया है.
जयपुर के सभी 250 वार्डों में धरना और हनुमान चालीसाः चुनावी माहौल में आए फैसले पर सियासत भी जोरों पर है . बीजेपी इसे मुद्दा बनाते हुए ब्लास्ट की 15वीं बरसी पर आरोपियों को हाईकोर्ट से मिली राहत के खिलाफ 13 मई को जयपुर के सभी 250 वार्डों में सुबह 12 से 1 बजे तक धरना प्रदर्शन करके हनुमान मंदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ करेगी. बीजेपी की और से किए जा रहे इस धरने प्रदर्शन पर गहलोत सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने पलटवार किया.
प्रताप सिंह ने कहा कि जयपुर में जब बम ब्लास्ट हुए उस समय बीजेपी की सरकार थी, वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थी, उन्हीं के निर्देश पर अधिकारियों ने जांच की, लेकिन चार्जशीट पेश करने में इतनी खामियां रख दी कि हाईकोर्ट से आरोपियों को राहत मिल गई. अब 15 साल बाद बीजेपी के नेता मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं. अगर बीजेपी को इतने ही पीड़ित परिवारों की चिंता थी तो फिर विशेष पैकेज क्यों नहीं दिया ? तत्कालीन सरकार ने मजबूती से केस की जांच करवा लेती तो आज आरोपियों को राहत नहीं मिलती.
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वसुंधरा सरकार से नेशनल एजेंसी से जांच की मांग की थीः खाचरियावास ने कहा कि उस समय कांग्रेस विपक्ष में थी उसके नाते हमने अपना विरोध दर्ज कराया और तत्कालीन वसुंधरा सरकार से नेशनल एजेंसी जांच कराने की मांग की थी. उस समय भाजपा सरकार ने हमारी बात नहीं मानी . उस समय सरकार की लापरवाही आज भारी पड़ी है , वहीं खाचरियावास के बयान पर बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने बताया कि प्रताप सिंह को पहले पूरी जानकारी जुटानी चाहिए , जिस वक्त ब्लास्ट हुए उस वक्त प्रदेश में भले ही बीजेपी की सरकार थी, लेकिन केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी.
नेशनल जांच एजेंसी केंद्र सरकार के निर्देश पर काम करती है . कांग्रेस सिर्फ भगवा आतंकवाद का नारा देकर काम कर रही थी , उस वक्त भी कांग्रेस वर्ग विशेष को खुश करने के लिए काम कर रही थी. उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा प्रदेश की गहलोत सरकार भी वही काम कर रही है, सिर्फ वोट बैंक के लिए तुष्टिकरण की राजनीति चल रही है.
ये है जयपुर शहर का चुनावी गणितः दरअसल जयपुर शहर बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है. विधानसभा के चुनाव हों या लोकसभा के बीजेपी ने कमोबेश जीत हासिल की. परिसीमन के बाद के आंकड़े देखें तो जयपुर शहर में 7 विधानसभा सीटें प्रत्यक्ष और 3 विधानसभा सीटों का आंशिक हिस्सा जयपुर शहर में है. जिसमें से सांगानेर , विद्याधर नगर , मालवीय नगर , किशन पोल , हवा महल , आदर्श नगर और सिविल लाइन ये विधानसभा क्षेत्र सीधे जयपुर शहर में हैं. वहीं, झोटवाड़ा , आमेर और बगरू इनके कुछ क्षेत्र जयपुर शहर में आते हैं.
खास बात ये है कि तीन विधानसभा सीट तो वो है, जहां परिसीमन के बाद से बीजेपी कभी नहीं हारी है. जिसमें सांगानेर , विद्याधर नगर , मालवीय नगर विधानसभा सीट है. इसके आलावा झोटवाड़ा , आदर्श नगर और किशन पोल वो विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां दो बार बीजेपी ने जीत दर्ज की, लेकिन 2018 के चुनाव में हार का सामने करना पड़ा. माना जा रहा है कि अब बीजेपी की कोशिश होगी कि जयपुर बम ब्लास्ट जैसे सेंटीमेंट वाले मुद्दे के जरिए जयपुर शहर की खोई हुई जमीन को फिर से मजबूत किया जाए.