जयपुर. इन दिनों साइबर ठग विभिन्न सरकारी वेबसाइट और कई प्रतिष्ठित संस्थानों के नाम से मिलती-जुलती वेबसाइट बनाकर (Frauds using Fake website similar to original) लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. लोग विभिन्न सर्च इंजन पर वेबसाइट को सर्च करते हैं और रिजल्ट में सबसे ऊपर दिखने वाली वेबसाइट को सही मानकर लिंक पर क्लिक कर ठगी का शिकार हो जाते हैं. यूजर इस चीज को बिल्कुल भी वेरीफाई नहीं करते हैं कि जिस वेबसाइट पर वह क्लिक कर रहे हैं या अपने निजी जानकारी एंटर कर रहे हैं वह असली है या नहीं. यूजर की इसी लापरवाही का फायदा ठग उठाते हैं और बड़ी आसानी से यूजर के खाते से राशि ठग लेते हैं.
सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन को ठगों ने बनाया हथियार : साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि (Fake website similar to original to trap Users) साइबर ठग इन दिनों सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के जरिए लोगों को अपनी ठगी का शिकार बना रहे हैं. इस ऑप्शन के जरिए साइबर ठग विभिन्न सरकारी व नामी प्रतिष्ठानों के नाम से मिलती हुई हूबहू फर्जी वेबसाइट बनाकर उसे सर्च ऑप्शन में सबसे ऊपर शो करते हैं. फर्जी वेबसाइट के नाम के अक्षरों में घालमेल किया जाता है, जिसे यूज़र पकड़ नहीं पाता और वह उसे असली वेबसाइट मानकर उस पर सर्फिंग करने लगता है. फर्जी वेबसाइट पर फेक ट्रांजैक्शन जनरेट करके लोगों से ठगी की जाती है. यहां तक कि ठगों ने विभिन्न ई-वॉलेट कंपनियों की फर्जी वेबसाइट और ऐप बनाकर भी लोगों से ठगी करना शुरू कर दिया है.
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सरकारी योजनाओं के नाम पर की जा रही ठगी : आयुष भारद्वाज ने बताया (Fake messages for online Frauds) कि साइबर ठग इन दिनों लोगों को मैसेज भेज कर विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेने का झांसा देकर ठगी का शिकार बना रहे हैं. सरकारी वेबसाइट से मिलती-जुलती वेबसाइट बनाकर लोगों को लिंक भेजे जाते हैं. इसके बाद लिंक पर क्लिक कर लोगों को उस वेबसाइट पर जाने और विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए छोटा अमाउंट रजिस्ट्रेशन के नाम पर मांगा जाता है. रजिस्ट्रेशन के झांसे में आकर लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं.
सर्च इंजन पर नहीं करें भरोसा, यूआरएल जांचे : आयुष भारद्वाज का कहना है कि ठगी का शिकार होने से बचने के लिए यूजर को सर्च इंजन पर भरोसा नहीं करना चाहिए. किसी भी वेबसाइट पर सर्फिंग करने से पहले उसकी यूआरएल को जांच लेना चाहिए और यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उस वेबसाइट का नाम सही है या नहीं. जितनी भी सरकारी योजनाएं होती हैं उनकी तमाम वेबसाइट .gov और .nic के डोमेन पर बनी होती है. जिसे जांच कर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि वेबसाइट असली है या फर्जी. यदि इन डोमेन पर कोई वेबसाइट नहीं बनी है और वह सरकारी वेबसाइट होने का दावा कर रही है तो यह मान कर चलिए कि वह वेबसाइट पूरी तरह से फर्जी है. इसके साथ ही यूज़र यदि किसी अन्य प्रतिष्ठित कंपनी या प्रतिष्ठान की वेबसाइट पर सर्फिंग कर रहा है और यदि उसके बारे में उसे ज्यादा जानकारी नहीं है तो ऐसे वेबसाइट पर अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड की जानकारी को शेयर करने से बचना चाहिए.
ठगी के मामले (Online Frauds in Rajasthan)
- राजधानी जयपुर में झालाना लेपर्ड रिजर्व व आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व में आने वाले विदेशी सैलानियों के साथ सफारी की ऑनलाइन बुकिंग के नाम पर ठगी की जा रही है. सफारी के लिए टिकट बुकिंग वन विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट के जरिए होती है. लेकिन साइबर ठगों ने इससे मिलती-जुलती कई वेबसाइट और पेज बना रखे हैं, जिसके जरिए बुकिंग के नाम पर ठगी की जा रही है. ठगों की ओर से ज्यादातर विदेशी सैलानियों को निशाना बनाया जा रहा है और सफारी की ऑनलाइन बुकिंग के नाम पर अमाउंट से चार से पांच गुना ज्यादा राशि हड़पी जा रही है.
- इसी तरह से त्योहारी सीजन को देखते हुए राजधानी जयपुर के कुछ प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों के नाम से फर्जी वेबसाइट और पेज बनाकर भी ठगों ने मिठाई व अन्य सामान की होम डिलीवरी के नाम पर ठगी की है. कई नामी प्रतिष्ठानों के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाकर ऑनलाइन ऑर्डर लेने का झांसा देकर लोगों से राशि हड़पी गई है.