जयपुर. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 12 मई को नर्स डे मनाया जाता है. इस दिन नर्सों का सम्मान किया जाता है. साथ ही उनके अधिकारों पर चर्चा होती है. इस दिन को नोबेल नर्सिंग सेवा की शुरुआत करने वाली फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिवस के उपलक्ष में मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नर्सों के काम को याद किया जाता है. साथ ही उनका सम्मान किया जाता है. राजधानी जयपुर में इस दिन नर्सों का सम्मान किया जा रहा है, लेकिन प्रदेश की तकरीबन 70 हजार महिला नर्सेज आज भी कुछ मूलभूत अधिकारों के साथ सुविधाओं से महरूम हैं. वुमन नर्सेज एसोसिएशन की अध्यक्ष विनीता शेखावत से ईटीवी भारत ने खास बात की. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में 6-6 महीने अपने घर परिवार, बच्चों से दूर रहकर प्रदेश की नर्सेज ठीक उसी तरह से मानव की सेवा की जिस तरह से मध्य 19वीं शताब्दी के दौरान, क्रीमियन युद्ध के समय, फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने युद्ध से घायल सैनिकों इलाज का जिम्मा लिया था. हालांकि, ये अलग बात है कि उनकी सेवा का प्रतिफल सरकार ने देने की घोषणा की वो आज भी पूरी नहीं हुई.
फ्लोरेंस नाइटिंगेल कौन थी ? : विनीता शेखावत बताती हैं कि युद्ध के समय, फ्लोरेंस नाइटिंगेल नाम की एक महिला जिसे 'लेडी विद द लैंप' के नाम से जाना जाता है. उन्होंने युद्ध से घायल सैनिकों का इलाज का जिम्मा लिया. उन्होंने दिन रात उन घायलों की सेवा में लगा दिया. उस वक्त एक पेशे के रूप में नर्सिंग का अभ्यास करने का विचार दिमाग में आया. उन्होंने पेशेवर रूप से महिलाओं को नर्स के रूप में प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया, जिससे यह एक महान पेशा बन गया. शेखावत कहती हैं कि फ्लोरेंस एक कठिन परिश्रम करने वाली महिला थीं, जो उपचार और पोषण के लिए एक जुनून थीं और उनके असाधारण प्रयासों ने रेड क्रॉस समाज के लिए उनका रास्ता बना दिया. आज के मौजूदा दौर में नर्सेज को धरती के भगवान के रूप में देखा जाता है. फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म दिन पर विश्व भर में इस दिन को बहुत अच्छे से मनाया जाता है. इस दिन चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाली नर्सेज को सम्मानित भी किया जाता है.
नर्स दिवस पर महिला नर्स धरने पर : विनीत शेखवात ने कहा कि आज हम अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मना रहे. दूसरी ओर ANM और LHV नर्सिंग संवर्ग जिसमें महिला नर्सिंग हैं वो पिछले 12 दिन यानी 1 मई से शहीद स्मारक पर धरना दे रही हैं. उनकी दो प्रमुख मांग हैं. पहली- थर्ड ग्रेड टीचर की तर्ज पर 3600 पे ग्रेड दिया जाए. दूसरी मांग- पद नाम बदलने की, लेकिन ये छोटी छोटी मांग है जिसे सरकार पूरा नहीं कर रही. जिसके चलते दिन रात इन महिला नर्सिंग स्टाफ को धरने पर बैठना पड़ रहा है.
वर्क प्लेस पर सुविधाएं बेहतर हो : विनीता शेखवात ने कहा कि नर्सेज स्टाफ में 80 फीसदी से ज्यादा महिला नर्सिंग स्टाफ हैं. लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं, वर्क प्लेस पर सुविधाएं नहीं है. हम सरकार से लगातार मांग करते आ रहे है कि महिला नर्सिंग के लिए भी अन्य राज्यों में जिस तरह से स्टाफ क्वाटर की व्यवस्था है वो मिले. महिला नर्सिंग स्टाफ तीन शिफ्ट में दिन रात काम करती हैं. ऐसे में रेस्ट रूम, हाइजीन टॉइलट्स की लंबे समय से मांग कर रहे है. विनीत शेखवात ने कहा कि कई बार महिलाओं को कुछ पर्सनल परेशानी होती है जिसकी वजह से उन्हें वर्किंग प्लेस पर बेहतर सुविधाएं चाहिए. सरकार से पीरियड्स लीव की डिमांड की थी, लेकिन सरकार ने पूरी नहीं की, हम चाहते है कि अगर सरकार लीव नहीं देती है तो कम से कम वर्किंग प्लेस पर रेस्ट रूम की व्यवस्था करें, ताकि महावारी के वक्त महिला नर्सेज रेस्ट कर सके. शेखवात ने कहा कि महिलाएं कुछ जिम्मेदारियों से बंधी होती है. उनको पूरा करने में कई बार उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ती है. अगर सरकारी सुविधाओं को बेहतर करें तो और ज्यादा महिलाएं नर्सिंग पेशे में आएंगी.
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कोरोना काल की प्रोत्साहन राशि नही मिली : विनीता शेखवात ने कहा कि कोरोना काल में जब वायरस के कारण पूरी दुनिया में लोग पीड़ित थे, तब डॉक्टरों के साथ नर्सों की भूमिका बहुत अहम हो गई थी. किसी भी रोगी के स्वास्थ्य के लिए एक डॉक्टर जितना अहम भूमिका में होता है, उतना ही महत्वपूर्ण रोल नर्स का भी होता है. कोरोना काल के दौरान महिला नर्स कर्मचारियों ने अपने घर परिवार को छोड़कर ठीक उसी तरह से आम जनता की सेवा की, जिस तरह से युद्ध के समय, फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने युद्ध से घायल सैनिकों इलाज का जिम्मा लिया था. महिला नर्सेज एक दो नहीं बल्कि 6-6 महीने अपने परिवार, बच्चों के पास नहीं गईं. प्रदेश की नर्सेज ने संकल्प लिया था कि जब तक कोविड महामारी खत्म नहीं हो जाएगी और आम जन जीवन सामान्य नहीं हो जाते जब तक घर नहीं जाएंगे.