जयपुर. मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर गिरीश गौतम रविवार को जयपुर के प्रवास पर रहे, जहां इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान के सभागार में मीडिया फाउंडेशन की ओर से आयोजित भारतीय युवा संसद कार्यक्रम के समापन सत्र में शिरकत की. संयुक्त राष्ट्र के विश्व लोकतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में यह आयोजन किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गिरीश गौतम ने युवाओं में बढ़ती हताशा और डिप्रेशन का जिक्र करते हुए कहा कि आज प्रतिस्पर्धा के युग में असफलता से युवा हताश-निराश हो जाते हैं. लेकिन जीवन में यह सीख याद रखनी चाहिए कि असफलता अंत नहीं है और सफलता अंतिम नहीं है.
इसलिए असफलता से हारकर निराश नहीं होनी चाहिए और कोई सफलता मिलने ज्यादा प्रयास और परिश्रम करना चाहिए. उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि जो बीत गया उसका पश्चाताप नहीं करना है और भविष्य से भयभीत नहीं होना है. उन्होंने कोटा में बढ़ रहे खुदकुशी के मामलों पर भी चिंता जाहिर की.
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विधानसभा में एक दिन महिलाओं और युवाओं के लिए गिरीश गौतम ने मध्य प्रदेश विधानसभा की व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा कि पहले महिला और पहली बार चुनकर आए विधायकों को अपनी बात रखने का मौका कम मिल पाता था. इसलिए उन्होंने स्पीकर बनने के बाद व्यवस्था की कि जब सदन चलता है तो सप्ताह में एक दिन सिर्फ महिला विधायकों को ही सवाल पूछने और अपनी बात रखने की अनुमति होती है. इसी तरह एक दिन पहली बार चुनकर विधानसभा पहुंचे विधायकों के लिए तय किया जाता है.
कानून की सफलता के लिए समाज की स्वीकार्यता अहम : उन्होंने कहा कि आजादी से पहले बाल विवाह को लेकर कानून बनाया गया, लेकिन लंबे समय तक यह कानून निष्प्रभावी रहा. अब जब समाज में चेतना आई तब बाल विवाह कानून भी प्रभावी हुआ है और बाल विवाह को रोकने में काफी हद तक सफलता मिली है. यह कानून की वजह से नहीं, बल्कि समाज की जागरूकता की वजह से संभव हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि हमारे संविधान इस बात का वर्णन है कि हमारी अदालतें न्याय की अदालत नहीं है, कानून की अदालत है. कोर्ट के समक्ष जो सबूत पेश किए जाते हैं. उनके आधार पर सजा होती है. इसलिए कोई कितने भी बड़े पद पर बैठ जाए कानून के विरोध में नहीं जा सकता.
प्रतिभागियों को दिए स्मृति चिह्न : मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक आशुतोष जोशी ने बताया कि भारतीय युवा संसद के समापन समारोह के मुख्य अतिथि एमपी विधानसभा के स्पीकर गिरीश गौतम ने युवा प्रतिभागियों के सवालों के रोचक सवालों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया और आयोजन से जुड़े स्वयंसेवकों और प्रतिभागियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित भी किया.