जयपुर. प्रदेश में पहले पेट्रोल में एथेनॉल नहीं मिलाया जाता था. लेकिन भारत सरकार का आदेश था की पेट्रोल में एथेनॉल मिलाकर बेचा जाए. तीन महीने पहले हमारे प्रदेश में भी पेट्रोल में 10 फीसदी एथेनॉल मिलाकर बेचा जाना लगा. एथेनॉल की मिलावट से दो फायदे होते हैं. एक तो यह सस्ता होता है, जिससे सरकार को विदेशी मुद्रा काम खर्चनी पड़ती है. दूसरा पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से प्रदूषण का स्तर भी कम होता है.
लेकिन वाहन में कुछ परेशानी भी पैदा करता है. असल में यदि पानी चला जाए तो वह एथेनॉल को पानी में तब्दील कर देता है. यानि दस फीसदी एथेनॉल में दस फीसदी भी पानी चला जाए तो पेट्रोल में पानी की मात्रा दोगुनी हो जाती है. ऐसे में पानी भारी होने के चलते पेट्रोल टैंक में सबसे बॉटम में यानि पेंदे में चला जाएगा, जिससे गाड़ी को पेट्रोल की बजाय पानी की आपूर्ति होगी और गाड़ी झटके खाकर बंद हो जाएगी. जबकि पहले यदि गाड़ी में दस फीसदी भी पानी जाता था और पेट्रोल में एथेनॉल नहीं होता था. इसलिए पानी की मात्रा उतनी ही रहती थी, जितनी वास्तविक मात्रा होती थी.
पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने दावा किया है कि उनके पंपो पर आने वाले पेट्रोल टैंक अब पूरी तरह से वाटर प्रूफ होने के साथ-साथ ही उनके अंदर भी ऐसी कोटिंग की जाती है की पानी घुस नहीं सकता. इतना ही नहीं रास्ते में भी कोई चालक और परिचालक उसमें पानी नहीं मिला सकता. क्योंकि पंप पर तेल का टैंकर पहुंचने के बाद वह जियो जोन में आता है. इसके बाद उन्हें कंपनी से एक ओटीपी दिया जाता है और ओटीपी को चाबी में डालने के बाद ही पेट्रोल टैंक खुलता है. यानि अब मिलावट की संभावना न के बराबर है. इसके बाद भी वह एक पेस्ट के माध्यम से पेट्रोल में पानी की जांच करते हैं, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है. इसका प्रैक्टिकल भी करके एसोसिएशन पदाधिकारियों ने मीडिया को दिखाया.
पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का कहना है कि उनकी ओर से पेट्रोल में पानी को जाने से बचाने के उपाय किए जा रहे हैं. लेकिन बावजूद उसके बीच सफर में वाहन के बार-बार रुकने पर पेट्रोल की क्वालिटी पर सवाल खड़ा होता है, जिसके लिए वाहन चालकों को जागरूक करना जरूरी है. पेट्रोल टैंक में किसी भी तरह की लीकेज को चेक करवाना चाहिए. कहीं से उसमें पानी नहीं चला जाए. साथ ही वाहन की सर्विस के दौरान भी सावधानी बरतनी चाहिए. वाहन की सर्विस के दौरान भी सावधानी बरतनी चाहिए. वाहन की सर्विस के दौरान टैंक में पानी के घुसने की संभावना रहती है.