ETV Bharat / state

अगर आपकी भी गाड़ी रास्ते में बार-बार बंद हो जाती है तो ये खबर आपके लिए है - आपकी गाड़ी

अगर आप अपनी कार या बाइक की सर्विस करवा चुके हैं. फिर भी वह सफर के दौरान झटके खाकर बार-बार बंद होती है तो हो सकता है कि आपके पेट्रोल में पानी मिक्स हो. तीन महीने पहले तेल कंपनियों द्वारा पेट्रोल में 10 फीसदी एथेनॉल मिलाकर बेचने से यह समस्या बढ़ी है. वाहन चालक को इस समस्या से बचाने के लिए राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने बुधवार को प्रेसवार्ता कर कुछ उपाय बताए, जिनके इस्तेमाल से आप भी सफर में अनावश्यक परेशानी से बच सकते हैं.

अगर आपकी भी गाड़ी रास्ते में बार-बार बंद हो जाती है तो ये खबर आपके लिए
author img

By

Published : Jun 26, 2019, 8:39 PM IST

जयपुर. प्रदेश में पहले पेट्रोल में एथेनॉल नहीं मिलाया जाता था. लेकिन भारत सरकार का आदेश था की पेट्रोल में एथेनॉल मिलाकर बेचा जाए. तीन महीने पहले हमारे प्रदेश में भी पेट्रोल में 10 फीसदी एथेनॉल मिलाकर बेचा जाना लगा. एथेनॉल की मिलावट से दो फायदे होते हैं. एक तो यह सस्ता होता है, जिससे सरकार को विदेशी मुद्रा काम खर्चनी पड़ती है. दूसरा पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से प्रदूषण का स्तर भी कम होता है.

अगर आपकी भी गाड़ी रास्ते में बार-बार बंद हो जाती है तो ये खबर आपके लिए

लेकिन वाहन में कुछ परेशानी भी पैदा करता है. असल में यदि पानी चला जाए तो वह एथेनॉल को पानी में तब्दील कर देता है. यानि दस फीसदी एथेनॉल में दस फीसदी भी पानी चला जाए तो पेट्रोल में पानी की मात्रा दोगुनी हो जाती है. ऐसे में पानी भारी होने के चलते पेट्रोल टैंक में सबसे बॉटम में यानि पेंदे में चला जाएगा, जिससे गाड़ी को पेट्रोल की बजाय पानी की आपूर्ति होगी और गाड़ी झटके खाकर बंद हो जाएगी. जबकि पहले यदि गाड़ी में दस फीसदी भी पानी जाता था और पेट्रोल में एथेनॉल नहीं होता था. इसलिए पानी की मात्रा उतनी ही रहती थी, जितनी वास्तविक मात्रा होती थी.

पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने दावा किया है कि उनके पंपो पर आने वाले पेट्रोल टैंक अब पूरी तरह से वाटर प्रूफ होने के साथ-साथ ही उनके अंदर भी ऐसी कोटिंग की जाती है की पानी घुस नहीं सकता. इतना ही नहीं रास्ते में भी कोई चालक और परिचालक उसमें पानी नहीं मिला सकता. क्योंकि पंप पर तेल का टैंकर पहुंचने के बाद वह जियो जोन में आता है. इसके बाद उन्हें कंपनी से एक ओटीपी दिया जाता है और ओटीपी को चाबी में डालने के बाद ही पेट्रोल टैंक खुलता है. यानि अब मिलावट की संभावना न के बराबर है. इसके बाद भी वह एक पेस्ट के माध्यम से पेट्रोल में पानी की जांच करते हैं, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है. इसका प्रैक्टिकल भी करके एसोसिएशन पदाधिकारियों ने मीडिया को दिखाया.

पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का कहना है कि उनकी ओर से पेट्रोल में पानी को जाने से बचाने के उपाय किए जा रहे हैं. लेकिन बावजूद उसके बीच सफर में वाहन के बार-बार रुकने पर पेट्रोल की क्वालिटी पर सवाल खड़ा होता है, जिसके लिए वाहन चालकों को जागरूक करना जरूरी है. पेट्रोल टैंक में किसी भी तरह की लीकेज को चेक करवाना चाहिए. कहीं से उसमें पानी नहीं चला जाए. साथ ही वाहन की सर्विस के दौरान भी सावधानी बरतनी चाहिए. वाहन की सर्विस के दौरान भी सावधानी बरतनी चाहिए. वाहन की सर्विस के दौरान टैंक में पानी के घुसने की संभावना रहती है.

जयपुर. प्रदेश में पहले पेट्रोल में एथेनॉल नहीं मिलाया जाता था. लेकिन भारत सरकार का आदेश था की पेट्रोल में एथेनॉल मिलाकर बेचा जाए. तीन महीने पहले हमारे प्रदेश में भी पेट्रोल में 10 फीसदी एथेनॉल मिलाकर बेचा जाना लगा. एथेनॉल की मिलावट से दो फायदे होते हैं. एक तो यह सस्ता होता है, जिससे सरकार को विदेशी मुद्रा काम खर्चनी पड़ती है. दूसरा पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से प्रदूषण का स्तर भी कम होता है.

अगर आपकी भी गाड़ी रास्ते में बार-बार बंद हो जाती है तो ये खबर आपके लिए

लेकिन वाहन में कुछ परेशानी भी पैदा करता है. असल में यदि पानी चला जाए तो वह एथेनॉल को पानी में तब्दील कर देता है. यानि दस फीसदी एथेनॉल में दस फीसदी भी पानी चला जाए तो पेट्रोल में पानी की मात्रा दोगुनी हो जाती है. ऐसे में पानी भारी होने के चलते पेट्रोल टैंक में सबसे बॉटम में यानि पेंदे में चला जाएगा, जिससे गाड़ी को पेट्रोल की बजाय पानी की आपूर्ति होगी और गाड़ी झटके खाकर बंद हो जाएगी. जबकि पहले यदि गाड़ी में दस फीसदी भी पानी जाता था और पेट्रोल में एथेनॉल नहीं होता था. इसलिए पानी की मात्रा उतनी ही रहती थी, जितनी वास्तविक मात्रा होती थी.

पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने दावा किया है कि उनके पंपो पर आने वाले पेट्रोल टैंक अब पूरी तरह से वाटर प्रूफ होने के साथ-साथ ही उनके अंदर भी ऐसी कोटिंग की जाती है की पानी घुस नहीं सकता. इतना ही नहीं रास्ते में भी कोई चालक और परिचालक उसमें पानी नहीं मिला सकता. क्योंकि पंप पर तेल का टैंकर पहुंचने के बाद वह जियो जोन में आता है. इसके बाद उन्हें कंपनी से एक ओटीपी दिया जाता है और ओटीपी को चाबी में डालने के बाद ही पेट्रोल टैंक खुलता है. यानि अब मिलावट की संभावना न के बराबर है. इसके बाद भी वह एक पेस्ट के माध्यम से पेट्रोल में पानी की जांच करते हैं, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है. इसका प्रैक्टिकल भी करके एसोसिएशन पदाधिकारियों ने मीडिया को दिखाया.

पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का कहना है कि उनकी ओर से पेट्रोल में पानी को जाने से बचाने के उपाय किए जा रहे हैं. लेकिन बावजूद उसके बीच सफर में वाहन के बार-बार रुकने पर पेट्रोल की क्वालिटी पर सवाल खड़ा होता है, जिसके लिए वाहन चालकों को जागरूक करना जरूरी है. पेट्रोल टैंक में किसी भी तरह की लीकेज को चेक करवाना चाहिए. कहीं से उसमें पानी नहीं चला जाए. साथ ही वाहन की सर्विस के दौरान भी सावधानी बरतनी चाहिए. वाहन की सर्विस के दौरान भी सावधानी बरतनी चाहिए. वाहन की सर्विस के दौरान टैंक में पानी के घुसने की संभावना रहती है.

Intro:जयपुर- अगर आप अपनी कार या बाइक की सर्विस करवा चुके हैं फिर भी वह सफर के दौरान झटके खाकर बार-बार बंद होती है, तो हो सकता है आपके पेट्रोल में पानी मिक्स हो। राजस्थान में 3 महीने पहले तेल कंपनियों द्वारा पेट्रोल में 10 फ़ीसदी एथेनॉल मिलाकर बेचने से यह समस्या बढ़ी है। एथेनॉल पानी में मिलाकर खुद भी पानी हो जाता है और पानी की दोगुनी मात्रा से गाड़ी बार-बार बंद हो जाती है। मॉनसून में वाहन चालक को इस समस्या से बचाने के लिए राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने प्रेस वार्ता कर सुझाए कुछ उपाय, जिनके इस्तेमाल से आप भी सफर में अनावश्यक परेशानी से बच सकते है।


Body:राजस्थान में पहले पेट्रोल में एथेनॉल नहीं मिलाया जाता था लेकिन भारत सरकार का आदेश था कि पेट्रोल में एथेनॉल मिलाकर बेचा जाए। 3 महीने पहले हमारे प्रदेश में भी पेट्रोल में 10 फीसदी एथेनॉल मिलाकर बेचा जाना लगा। एथेनॉल की मिलावट से दो फायदे होते है। एक तो यह सस्ता होता है जिससे सरकार को विदेशी मुद्रा काम खर्चनी पड़ती है, दूसरा पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से प्रदूषण का स्तर भी कम होता है। लेकिन वाहन में कुछ परेशानी भी पैदा करता है। असल में यदि पानी चला जाए तो वह एथेनॉल को पानी में तब्दील कर देता है। यानी दस फीसदी एथेनॉल में दस फीसदी भी पानी चला जाए तो पेट्रोल में पानी की मात्रा दोगुनी हो जाती है। ऐसे में पानी भारी होने के चलते पेट्रोल टैंक में सबसे बॉटम में यानी पेंदे में चला जाएगा जिससे गाड़ी को पेट्रोल की बजाय पानी की आपूर्ति होगी और गाड़ी झटके खाकर बंद हो जाएगी। जबकि पहले यदि गाड़ी में दस फीसदी भी पानी जाता था और पेट्रोल में एथेनॉल नहीं होता था इसलिए पानी की मात्रा उतनी ही रहती थी जितनी वास्तविक मात्रा होती थी।

पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने दावा किया है कि उनके पंपो पर आने वाले पेट्रोल टैंक अब पूरी तरह से वाटर प्रूफ होने के साथ साथ ही उनके अंदर भी ऐसी कोटिंग की जाती है कि पानी घुस नहीं सकता। इतना ही नहीं रास्ते में भी कोई चालक व परिचालक उसमें पानी नहीं मिला सकता क्योंकि पंप पर तेल का टैंकर पहुंचने के बाद वह जियो जोन में आता है। इसके बाद उन्हें कंपनी से एक ओटीपी दिया जाता है और ओटीपी को चाबी में डालने के बाद ही पेट्रोल टैंक खुलता है यानी अब मिलावट की संभावना ना के बराबर है। इसके बाद भी वह एक पेस्ट के माध्यम से पेट्रोल में पानी की जांच करते हैं जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है जिसका प्रैक्टिकल भी करके एसोसिएशन पदाधिकारियों ने मीडिया को दिखाया।

पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का कहना है कि उनकी ओर से पेट्रोल में पानी को जाने से बचाने के उपाय किए जा रहे हैं लेकिन बावजूद उसके बीच सफर में वाहन के बार-बार रुकने पर पेट्रोल की क्वालिटी पर सवाल खड़ा होता है जिसके लिए वाहन चालकों को जागरूक करना जरूरी है। पेट्रोल टैंक में किसी भी तरह की लीकेज को चेक करवाना चाहिए। कहीं से उसमें पानी नहीं चला जाए साथ ही वाहन की सर्विस के दौरान भी सावधानी बरतनी चाहिए। वाहन की सर्विस के दौरान भी सावधानी बरतनी चाहिए। वाहन की सर्विस के दौहरान टैंक में पानी के घुसने की संभावना रहती है।

बाईट- सुनीत बगई, अध्यक्ष, राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.