जयपुर. साल 2020 की शुरुआत में सब कुछ सामान्य था, लेकिन फरवरी-मार्च में देश में कोरोना की दस्तक हुई और अप्रैल-मई तक हालात बिगड़ने लगे. देश में लॉकडाउन भी लगा और राजस्थान भी इससे अछूता नहीं रहा. राजस्थान में भी लंबे समय तक लॉकडाउन रहा, क्योंकि लॉकडाउन की शुरुआत राजस्थान सरकार ने ही की थी. इस दौरान आम जनजीवन रुक सा गया, लेकिन किसानों की खेती जारी रही. किसानों ने कृषि पर कोरोना का असर नहीं पड़ने दिया.
हालांकि मार्च-अप्रैल में जब रबी की फसलों की कटाई होती है, उस समय लॉकडाउन के चलते हरियाणा और पंजाब से राजस्थान में फसल कटाई के लिए आने वाली मशीनें थ्रेशर आदि नहीं आ पाए. ऐसे में राजस्थान में कई जिलों में किसानों की गेहूं, चना,जो और सरसों की फसल खेतों में लंबे समय तक खड़ी रही. वहीं मंडिया बंद होने से भी किसानों को अपनी खड़ी फसलों से निकली उपज को संभाल कर रखने में मुश्किलें आई और इससे कुछ नुकसान भी हुआ.
उपज अच्छी हुई, लेकिन दाम नहीं मिला अच्छा...
उन्हीं किसानों को अच्छी उपज होने के बावजूद उसके सही दाम हासिल करने में दिक्कत हुई. प्रदेश में चने की सरकारी खरीद खरीद 25% भी नही हुई जिसके खिलाफ किसानों को दिल्ली कूच करने का ऐलान करना पड़ा. वहीं बाजरे का उत्पादन तो खूब हुआ लेकिन उसकी खरीद में अब तक बाधा आ रही है और बाजार मूल्य से 1000 से 1200 रुपए प्रति क्विंटल कम तक में किसानों को बाजरा बेचना पड़ रहा है. वहीं इस कोरोना काल मे पशुपालक और सब्जी उत्पादक किसानों को थोड़ा बहुत नुकसान जरूर हुआ है, क्योंकि उनको अपने माल का सही दाम नहीं मिल पाया.
राजस्थान की प्रमुख फसलें...
राजस्थान की प्रमुख फसलों की बात करें तो रबी की फसलों में गेहूं, चना, जौ, सरसों और अलसी तारामीरा और मसूर की फसल प्रमुख हैं. कपास अक्टूबर-नवंबर और जनवरी-फरवरी में रुपए की आती है और इसकी उपज मार्च-अप्रैल से आना शुरू हो जाती है. खरीफ की फसलों में बाजरा ज्वार मूंगफली कपास मक्का गन्ना सोयाबीन और चावल हैं. हालांकि राजस्थान में चावल नाम मात्र का होता है. इन फसलों में गेहूं उत्पादन में राजस्थान देश में चौथे स्थान पर है. जबकि जौ उत्पादन में राजस्थान का देश में दूसरे स्थान है. वहीं ज्वार उत्पादन में राजस्थान चौथे स्थान पर काबिज है. मक्के के उत्पादन में राजस्थान 8वें नंबर पर आता है. कपास की खेती में राजस्थान उत्पादन की दृष्टि से चौथे स्थान पर आता है.
कोरोना काल में पैदावार में नहीं आई कोई कमी...
कोरोना काल के दौरान देश भर में लगभग हर सेक्टर में कोई ना कोई नुकसान हुआ. लेकिन किसान या खेती का सेक्टर से लगभग अछूता रहा. यही कारण है कि इस महामारी के दौर में भी राजस्थान में इन फसलों के उत्पादन में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आई. आलम यह रहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल पैदावार भी अच्छी हुई है. हालांकि कोरोना के इस काल में किसानों को मिलने वाले कुछ अनुदान की राशि भी लंबे समय तक अटकी रही. खासतौर पर फॉर्म कृषि पौण्ड के लिए मिलने वाला अनुदान बीते 6 से 7 महीने से अटका हुआ है. वहीं साल 2020 में सरकारी रिकॉर्ड में बदहाली या कर्जे के चलते किसी भी किसान ने आत्महत्या की हो ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है. सहकारिता मंत्री भी यही कहते हैं और किसान नेता भी कि कोरोना काल में पैदावार में कोई गिरावट नहीं आई.
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केंद्रीय कृषि बिल के खिलाफ विधानसभा में आए विधेयक...
साल 2020 के अंत में केंद्रीय कृषि कानूनों पर जोरदार सियासत जारी है. राजस्थान भी इससे अछूता नहीं रहा. केंद्र सरकार ने जब कृषि बिलों को कानून की शक्ल दी तो राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में इन बिलों के खिलाफ विधेयक लेकर आई. राजस्थान सरकार कुल 4 अलग-अलग विधेयक कृषि और किसानों से जुड़े लेकर आई. हालांकि अब तक इन विधेयकों पर राज्यपाल की मुहर नही लग पाई है. इनमें एक विधेयक सिविल प्रक्रिया संहिता राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 में किसानों की 5 एकड़ तक की जमीन ना तो बैंक कुर्क कर सकते हैं और ना ही नीलाम
कृषि कानून को लेकर सियासत जारी है...
किसानों के नाम पर सियासत जारी है. प्रदेश के कई किसान नेता दिल्ली कूच कर चुके हैं. तो कुछ किसान कृषि कानून के समर्थन में भी हैं. मतलब साल 2020 किसानों आमदनी की दृष्टि से कुछ खास नहीं रहा लेकिन सियासत के लिहाज से सुर्खियों में रहा.