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जयपुर में बिना सुरक्षा इंतजाम के धड़ल्ले से चल रहे हैं अवैध रूफटॉप रेस्टोरेंट....फायर एनओसी भी नहीं

राजधानी में कमर्शियल मॉल, आवासीय कॉम्पलेक्स और रिहायशी घरों की छतों पर रूफटॉप रेस्टोरेंट, बार और डिस्कोथेक संचालित हो रहे हैं. ये तमाम रेस्टोरेंट अवैध तो हैं ही साथ ही इन रेस्टोरेंट के पास ना तो फायर एनओसी है और ना ही आग लगने पर बचने के कोई साधन.

रूफटॉप पर चल रहे अवैध रेस्टोरेंट
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Published : May 29, 2019, 8:37 AM IST

जयपुर. आपने वो कहावत तो सुनी होगी एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा. कुछ यही हालात राजधानी के रूफटॉप पर संचालित रेस्टोरेंट्स के हैं. एक तो ये रेस्टोरेंट अवैध हैं, दूसरा इन रेस्टोरेंट्स के पास फायर एनओसी भी नहीं है. जयपुर में ऐसे एक दो नहीं कई दर्जन रूफटॉप रेस्टोरेंट चल रहे हैं.

कमर्शियल मॉल हो या फिर आवासीय कॉम्पलेक्स की छत सभी जगह पर अवैध रूप से यहां रूफटॉप रेस्टोरेंट खुलते जा रहे हैं. ईटीवी भारत ऐसे ही एक रूफटॉप रेस्टोरेंट में पहुंचा जो शहर के रिहायशी इलाके सी स्कीम में स्थित है. ब्लैकआउट नाम से संचालित ये रेस्टोरेंट 2 फ्लोर पर चलता है.

रूफटॉप पर चल रहे अवैध रेस्टोरेंट

इसकी छत पर बखूबी ढंग से वुडन वर्क किया गया है. यहां तक कि फ्लोर भी लकड़ी का ही बना हुआ है. यहां एक बार में तकरीबन डेढ़ सौ लोगों के बैठने की जगह है. हर शाम यहां पर लोगों का मजमा जुटता है. लेकिन इस रेस्टोरेंट के संचालक को अपने कस्टमर्स की परवाह नहीं है.

यही वजह है कि इतने बड़े रेस्टोरेंट में सुरक्षा के कोई भी इंतजाम नहीं किए गए. यहां ना तो किसी तरह के फायर इक्विपमेंट है.और ना ही इमरजेंसी एग्जिट. इस रेस्टोरेंट में यदि आग लगती है, तो लोगों की जिंदगी भगवान भरोसे ही होगी.

जयपुर. आपने वो कहावत तो सुनी होगी एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा. कुछ यही हालात राजधानी के रूफटॉप पर संचालित रेस्टोरेंट्स के हैं. एक तो ये रेस्टोरेंट अवैध हैं, दूसरा इन रेस्टोरेंट्स के पास फायर एनओसी भी नहीं है. जयपुर में ऐसे एक दो नहीं कई दर्जन रूफटॉप रेस्टोरेंट चल रहे हैं.

कमर्शियल मॉल हो या फिर आवासीय कॉम्पलेक्स की छत सभी जगह पर अवैध रूप से यहां रूफटॉप रेस्टोरेंट खुलते जा रहे हैं. ईटीवी भारत ऐसे ही एक रूफटॉप रेस्टोरेंट में पहुंचा जो शहर के रिहायशी इलाके सी स्कीम में स्थित है. ब्लैकआउट नाम से संचालित ये रेस्टोरेंट 2 फ्लोर पर चलता है.

रूफटॉप पर चल रहे अवैध रेस्टोरेंट

इसकी छत पर बखूबी ढंग से वुडन वर्क किया गया है. यहां तक कि फ्लोर भी लकड़ी का ही बना हुआ है. यहां एक बार में तकरीबन डेढ़ सौ लोगों के बैठने की जगह है. हर शाम यहां पर लोगों का मजमा जुटता है. लेकिन इस रेस्टोरेंट के संचालक को अपने कस्टमर्स की परवाह नहीं है.

यही वजह है कि इतने बड़े रेस्टोरेंट में सुरक्षा के कोई भी इंतजाम नहीं किए गए. यहां ना तो किसी तरह के फायर इक्विपमेंट है.और ना ही इमरजेंसी एग्जिट. इस रेस्टोरेंट में यदि आग लगती है, तो लोगों की जिंदगी भगवान भरोसे ही होगी.

Intro:राजधानी में कॉमर्शियल मॉल, आवासीय कंपलेक्स और रिहायशी घरों की छतों पर रूफटॉप रेस्टोरेंट, बार और डिस्कोथेक संचालित हो रहे हैं। ये तमाम रेस्टोरेंट अवैध तो है ही, साथ ही इन रेस्टोरेंट के पास ना तो फायर एनओसी है। और ना ही आग लगने पर बचने के कोई साधन।


Body:आपने वो कहावत तो सुनी होगी एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा। कुछ यही हालात राजधानी के रूफटॉप पर संचालित रेस्टोरेंट्स के हैं। एक तो ये रेस्टोरेंट अवैध हैं, दूसरा इन रेस्टोरेंट्स के पास फायर एनओसी भी नहीं है। जयपुर में ऐसे एक दो नहीं कई दर्जन रूफटॉप रेस्टोरेंट चल रहे हैं। कॉमर्शियल मॉल हो या फिर आवासीय कांपलेक्स की छत अवैध रूप से यहां रूफटॉप रेस्टोरेंट खुलते जा रहे हैं। ईटीवी भारत आज ऐसे ही एक रूफटॉप रेस्टोरेंट में पहुंचा जो शहर के रिहायशी इलाके सी स्कीम में स्थित है। ब्लैकआउट नाम से संचालित ये रेस्टोरेंट 2 फ्लोर पर चलता है। इसकी छत पर बखूबी ढंग से वुडन वर्क किया गया है। यहां तक कि फ्लोर भी लकड़ी का ही बना हुआ है। यहां एक बार में तकरीबन डेढ़ सौ लोगों के बैठने की जगह है। हर शाम यहां पर लोगों का मजमा जुटता है। लेकिन इस रेस्टोरेंट के संचालक को अपने कस्टमर्स की परवाह नहीं है। यही वजह है कि इतने बड़े रेस्टोरेंट में सुरक्षा के कोई भी इंतजाम नहीं किए गए। यहां ना तो किसी तरह के फायर इक्विपमेंट है। और ना ही इमरजेंसी एग्जिट। इस रेस्टोरेंट में यदि आग लगती है, तो लोगों की जिंदगी भगवान भरोसे ही होगी।


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