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काऊ सेस के तौर पर वसूले 1100 करोड़ रुपए, कोर्ट ने पूछा-गौवंश के लिए क्या उपयोग किया - Revenue collected from cow cess in Rajasthan

राज्य सरकार की ओर से स्टाम्प ड्यूटी में 10 फीसदी काऊ सेस लगाया था. इससे साल 2015-16 से लेकर 2021-22 के दौरान करीब 1100 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ. इसे लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने संंबंधित विभागों से इस राशि का गौवंश और आवारा पशुओं के लिए उपयोग को लेकर जवाब तलब किया है.

High court sought reply in use of cow cess from related departments
काऊ सेस के तौर पर वसूले 1100 करोड़ रुपए, कोर्ट ने पूछा-गौवंश के लिए क्या उपयोग किया
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Published : Jan 4, 2023, 8:17 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में गायों के संरक्षण और आवारा पशुओं से होने वाली दुर्घटनाओं से जुड़े मामले में मुख्य सचिव, एसीएस गृह, एसीएस सड़क परिवहन और प्रमुख वन सचिव सहित अन्य से जवाब मांगा है. अदालत ने पूछा है कि काऊ सेस के जरिए एकत्रित किए गए करीब 1100 करोड़ रुपए का गायों के संरक्षण के लिए क्या उपयोग किया गया. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश पार्षद लक्ष्मण सिंह व अन्य की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता दीनदयाल शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार ने गौवंश के संरक्षण के लिए स्टाम्प ड्यूटी में 10 फीसदी काऊ सेस लगाया था. इस सेस के जरिए वर्ष 2015-16 में 13.16 करोड़ रुपए, वर्ष 2016-17 में 138.44 करोड़ रुपए, वर्ष 2017-18 में 257.98 करोड़ रुपए, वर्ष 2018-19 में 266.13 करोड़ रुपए, वर्ष 2019-20 में 292 करोड़ रुपए, वर्ष 2020-21 में 345.99 करोड़ रुपए और वर्ष 2021-22 में राज्य सरकार को 418.72 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं.

पढ़ें: Special: प्रदेश में गायों के नाम पर वसूला जाता है करोड़ों का टैक्स, फिर भी बेकदरी का शिकार

इसके बावजूद गौ संरक्षण के लिए कोई कार्य नहीं हो रहा है और आए दिन प्रदेशभर में गायों सहित अन्य आवारा पशुओं से एक्सीडेंट होते हैं. जिससे न केवल वाहन चालकों की मौत हो जाती है, बल्कि पशु का जीवन भी खत्म हो जाता है. जबकि पूरे प्रदेश में करीब 16 हजार हेक्टेयर चारागाह भूमि उपलब्ध है. इसलिए राज्य सरकार इस खाली गौचर जमीन पर फैंसिंग का कार्य करे और यहां गायों व अन्य पशुओं के रहवास के लिए व्यवस्था कराए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में गायों के संरक्षण और आवारा पशुओं से होने वाली दुर्घटनाओं से जुड़े मामले में मुख्य सचिव, एसीएस गृह, एसीएस सड़क परिवहन और प्रमुख वन सचिव सहित अन्य से जवाब मांगा है. अदालत ने पूछा है कि काऊ सेस के जरिए एकत्रित किए गए करीब 1100 करोड़ रुपए का गायों के संरक्षण के लिए क्या उपयोग किया गया. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश पार्षद लक्ष्मण सिंह व अन्य की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता दीनदयाल शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार ने गौवंश के संरक्षण के लिए स्टाम्प ड्यूटी में 10 फीसदी काऊ सेस लगाया था. इस सेस के जरिए वर्ष 2015-16 में 13.16 करोड़ रुपए, वर्ष 2016-17 में 138.44 करोड़ रुपए, वर्ष 2017-18 में 257.98 करोड़ रुपए, वर्ष 2018-19 में 266.13 करोड़ रुपए, वर्ष 2019-20 में 292 करोड़ रुपए, वर्ष 2020-21 में 345.99 करोड़ रुपए और वर्ष 2021-22 में राज्य सरकार को 418.72 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं.

पढ़ें: Special: प्रदेश में गायों के नाम पर वसूला जाता है करोड़ों का टैक्स, फिर भी बेकदरी का शिकार

इसके बावजूद गौ संरक्षण के लिए कोई कार्य नहीं हो रहा है और आए दिन प्रदेशभर में गायों सहित अन्य आवारा पशुओं से एक्सीडेंट होते हैं. जिससे न केवल वाहन चालकों की मौत हो जाती है, बल्कि पशु का जीवन भी खत्म हो जाता है. जबकि पूरे प्रदेश में करीब 16 हजार हेक्टेयर चारागाह भूमि उपलब्ध है. इसलिए राज्य सरकार इस खाली गौचर जमीन पर फैंसिंग का कार्य करे और यहां गायों व अन्य पशुओं के रहवास के लिए व्यवस्था कराए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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