जयपुर. हेरिटेज नगर निगम में कांग्रेस और निर्दलीय पार्षद अपने बोर्ड के साथ-साथ विधायकों की भी मुखालफत कर रहे हैं. दो साल से समितियों के गठन का इंतजार कर रहे पार्षदों ने अब स्पष्ट शब्दों में इसे विधायकों की कमी बताते हुए कहा है कि यदि विधायक कमेटियों का गठन नहीं करना चाहते हैं, तो निगम बोर्ड को भंग क्यों नहीं कर देते. साथ ही उन्होंने ठप पड़े विकास कार्यों को लेकर निगम में अफसरशाही हावी होने की बात भी कही.
हेरिटेज नगर निगम में 100 पार्षदों वाले बोर्ड में कांग्रेस के 47 पार्षद हैं. वहीं जीतकर आए 11 में से 9 निर्दलीय पार्षदों ने समर्थन देते हुए कांग्रेस का बोर्ड बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. बीते दिनों खुद महापौर ने कमेटियां नहीं बनने के पीछे मुख्य कारण हेरिटेज क्षेत्र के चार विधायकों में तालमेल नहीं बैठ पाना बताया था. वहीं सभी विधायकों का अपने-अपने क्षेत्र से जीतकर आए पार्षदों को ज्यादा से ज्यादा कमेटियां दिलवाने की चाह भी एक बड़ा कारण है. लाइसेंस, बीपीसी, फाइनेंस, उद्यान, लाइट और सफाई जैसी मलाईदार समितियों को लेकर विधायकों में काफी खींचतान चल रही है.
हालांकि विधायकों के इस विवाद को खत्म करने के लिए पिछले साल 21 निर्धारित कमेटियों के अलावा अतिरिक्त 7-8 अतिरिक्त समितियां बनाने का प्रस्ताव भी तैयार किया था. लेकिन नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने इन अतिरिक्त कमेटियों को बनाने के मंसूबे पर पानी फेर दिया. कारण था कि ग्रेटर निगम में जब 21 कमेटियों के अलावा 7 अतिरिक्त कमेटियां बनी थी, तब सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए सभी कमेटियों को रद्द कर दिया था. और अपने ही इस आदेश के खिलाफ हो नहीं जा सकते थे.
उधर, कांग्रेस पार्षदों का आरोप है कि विधायकों की दखलंदाजी के कारण हेरिटेज निगम में दो वर्ष में समितियों का गठन नहीं हो पाया. इस वजह से निर्दलीय पार्षद कई बार नाराजगी जाहिर कर चुके (Councilors fumes over non formation of committees) हैं. वरिष्ठ कांग्रेस पार्षद उमर दराज ने कहा कि आज समितियां नहीं बनने से निगम में अफसरशाही हावी हो चुकी है. अधिकारी पार्षदों को जवाब नहीं देते. अब सीएम, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और यूडीएच मंत्री को पत्र लिखा और उसमें ये भी स्पष्ट लिख दिया है कि वो हेरिटेज निगम में समितियों का गठन करें अन्यथा अब कांग्रेस पार्षद अपने ही बोर्ड के खिलाफ धरने पर भी बैठेंगे. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि विधायक रफीक खान समितियां बनाने में अड़ंगा लगा रहे हैं. चारों विधायक एक दूसरे पर डाल रहे हैं. यदि समितियां नहीं बनाने चाहते, तो नगर निगम के बोर्ड को ही भंग कर दो.
आपको बता दें कि 3 नवंबर, 2020 को चुनाव का परिणाम आने के बाद कांग्रेस अल्पमत में थी. कांग्रेस ने 100 में से 47 ही सीटें जीती थीं, लेकिन 11 में से 9 निर्दलीयों ने कांग्रेस को समर्थन देकर न सिर्फ बोर्ड बनाया बल्कि मेयर मुनेश गुर्जर को भी जीताया. इसके बाद से ये निर्दलीय इस आस में बैठे हैं कि उन्हें भी चैयरमेन की कुर्सी मिलेगी. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ, निर्दलीय पार्षद पिछले डेढ़ साल में 4 बार से ज्यादा बार विरोध कर चुके हैं. बोर्ड को भंग करने तक की चेतावनी दे चुके हैं. लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ. ऐसे में अब निर्दलीय पार्षदों को कांग्रेस पार्षदों का समर्थन मिल रहा है और ये पार्षद खुलकर कांग्रेस बोर्ड के साथ-साथ विधायकों की मुखालफत कर रहे हैं.