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Rajasthan High Court: मेयर पद से निलंबन के मामले में राज्य सरकार को 6 अक्टूबर तक जवाब पेश करने के निर्देश - Munesh Gurjar case next hearing on October 6

हेरिटेज नगर निगम की निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर की याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी.

Munesh Gurjar suspension case
निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर की याचिका पर सुनवाई
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 27, 2023, 8:19 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर को पुन: निलंबित करने के मामले में राज्य सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर को तय की है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर की याचिका पर दिए. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल मेहता ने कहा कि उनकी ओर से मामले में कैविएट लगाई गई है. ऐसे में वे प्रकरण में जवाब पेश करना चाहते हैं. इसलिए उन्हें जवाब पेश करने के लिए समय दिया जाए. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर तक टाल दी.

याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने याचिकाकर्ता का निलंबन नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 के प्रावधानों व तथ्यों के विपरीत जाकर किया है. मामले में उसके खिलाफ प्रावधानों के खिलाफ जाकर जांच की गई और इसमें वो ही तथ्य थे, जो कि पंचनामा रिपोर्ट व एफआईआर से साबित नहीं हो पाए हैं. इसलिए उसके निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाई जाकर उसे रद्द किया जाए.

पढ़ें: मेयर पद से फिर से निलंबन को मुनेश गुर्जर ने हाईकोर्ट में दी चुनौती, कल होगी सुनवाई

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने गत 22 सितंबर को आदेश जारी कर मुनेश गुर्जर को हेरिटेज निगम के मेयर पद से निलंबित कर दिया था. निलंबन आदेश में कहा गया कि नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 के प्रावधानों के तहत उन पर पद के दुरुपयोग व कर्तव्य पालन में प्रतिकूल आचरण का आरोप लगाया है. नगर निगम के पट्टे जारी करने की एवज में मेयर के पति सुशील गुर्जर की ओर से रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में प्रथम दृष्टया मुनेश भी शामिल है और इसके लिए वह भी पूरी तरह से दोषी व उत्तरदायी है.

पढ़ें: राजस्थान : रिश्वत मामले में चल रही न्यायिक जांच प्रभावित करने की संभावना के मद्देनजर मुनेश गुर्जर को फिर किया गया निलंबित

ऐसे में उसे मेयर पद से निलंबित किया जा रहा है. इससे पहले भी राज्य सरकार ने मुनेश को उनके पति सुशील गुर्जर से जुड़े इसी मामले में शामिल मानते हुए निलंबित किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी थी. वहीं बाद में राज्य सरकार ने निलंबन आदेश को वापस ले लिया था. जिसमें बाद हाईकोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया था.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर को पुन: निलंबित करने के मामले में राज्य सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर को तय की है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर की याचिका पर दिए. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल मेहता ने कहा कि उनकी ओर से मामले में कैविएट लगाई गई है. ऐसे में वे प्रकरण में जवाब पेश करना चाहते हैं. इसलिए उन्हें जवाब पेश करने के लिए समय दिया जाए. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर तक टाल दी.

याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने याचिकाकर्ता का निलंबन नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 के प्रावधानों व तथ्यों के विपरीत जाकर किया है. मामले में उसके खिलाफ प्रावधानों के खिलाफ जाकर जांच की गई और इसमें वो ही तथ्य थे, जो कि पंचनामा रिपोर्ट व एफआईआर से साबित नहीं हो पाए हैं. इसलिए उसके निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाई जाकर उसे रद्द किया जाए.

पढ़ें: मेयर पद से फिर से निलंबन को मुनेश गुर्जर ने हाईकोर्ट में दी चुनौती, कल होगी सुनवाई

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने गत 22 सितंबर को आदेश जारी कर मुनेश गुर्जर को हेरिटेज निगम के मेयर पद से निलंबित कर दिया था. निलंबन आदेश में कहा गया कि नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 के प्रावधानों के तहत उन पर पद के दुरुपयोग व कर्तव्य पालन में प्रतिकूल आचरण का आरोप लगाया है. नगर निगम के पट्टे जारी करने की एवज में मेयर के पति सुशील गुर्जर की ओर से रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में प्रथम दृष्टया मुनेश भी शामिल है और इसके लिए वह भी पूरी तरह से दोषी व उत्तरदायी है.

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ऐसे में उसे मेयर पद से निलंबित किया जा रहा है. इससे पहले भी राज्य सरकार ने मुनेश को उनके पति सुशील गुर्जर से जुड़े इसी मामले में शामिल मानते हुए निलंबित किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी थी. वहीं बाद में राज्य सरकार ने निलंबन आदेश को वापस ले लिया था. जिसमें बाद हाईकोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया था.

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