जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों के बाद भी झुंझुनू के नाटास गांव के पास की काटली नदी में 800 बीघा जमीन से अतिक्रमण नहीं हटाने पर नाराजगी जताई है. वहीं अदालत ने कहा है कि नदी में जितने भी कच्चे व पक्के अतिक्रमण हैं, उन्हें नहीं हटाया तो इसमें लापरवाही बरतने वाले अफसर 4 जुलाई को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर हों. अदालत ने अफसरों से पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए.
जस्टिस अशोक कुमार गौड और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश सुमित्रा की अवमानना याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता धर्मवीर ठोलिया और अधिवक्ता हिमांशु ठोलिया ने बताया कि काटली नदी की जमीन करीब 1700 बीघा है. इसमें करीब 800 बीघा जमीन पर अतिक्रमण है. अतिक्रमण करने में नाटास सरपंच के परिजनों सहित अन्य रसूखदार लोग भी शामिल हैं. इससे नदी के बहाव क्षेत्र में पानी नहीं आता व नदी सूखी रहती है. लोगों ने नदी में ही कुएं व ट्यूबवेल खोद लिए हैं और बिजली कनेक्शन लेकर सिंचाई कर रहे हैं.
इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने पर अदालत ने पूर्व आदेश से कहा था कि जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित पीएलपीसी कमेटी मामले में अतिक्रमियों को सुनवाई का मौका देकर तीन माह में इन्हें हटाने पर निर्णय करे. इसके बावजूद आदेश की पालना नहीं की गई. ऐसे में इसे अवमानना याचिका के जरिए चुनौती दी गई. जिस पर अदालत ने सरकार से जवाब देने के लिए कहा, लेकिन सरकार ने जवाब के लिए समय मांगा. इस पर अदालत ने कहा कि लगता है कि अतिक्रमण हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की गई है. ऐसे में आगामी सुनवाई तक नदी के अतिक्रमण नहीं हटे तो जिम्मेदार अफसर हाजिर हों.