जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एकल पट्टा प्रकरण में की जांच सीबीआई से कराने के संबंध में दायर याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी है. जस्टिस बिरेन्द्र कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश रामशरण सिंह की याचिका में उनके पुत्र सुरेन्द्र सिंह की ओर से दायर प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए दिए. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता बनने के लिए प्रार्थना पत्र पेश करने वाले अशोक पाठक को कहा है कि वह चाहे तो नए सिरे से सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका दायर कर सकते हैं.
आगे सुनवाई नहीं चाहते थे: प्रकरण में पूर्व में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, पूर्व आईएएस जीएस संधू, आरएएस ओंकार मल सैनी व निष्काम दिवाकर सहित अन्य को आरोपी बनाया गया था. हालांकि हाईकोर्ट पूर्व में शांति धारीवाल के खिलाफ निचली अदालत की कार्रवाई को रद्द कर चुका है. वहीं तीनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ लंबित मुकदमे को वापस लेने की अनुमति भी दी जा चुकी है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता रामशरण सिंह की ओर से उनके बेटे सुरेंद्र सिंह ने कहा कि रामशरण सिंह का देहांत हो चुका है. वे मामले की सुनवाई आगे नहीं चाहते थे और वह भी प्रकरण में आगे कार्रवाई नहीं चाहता. इसलिए मामले की जांच सीबीआई से कराने के संबंध में पूर्व में दायर इस याचिका को वापस लेने की अनुमति दी जाए.
केस वापस लेने का अधिकार नहीं: वहीं अशोक पाठक की ओर से अधिवक्ता संदीप खंडेलवाल ने कहा कि मामले में मिलीभगत से ऐसा किया जा रहा है. रामशरण सिंह ने मुकदमे के लिए सेशन कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर लड़ाई लड़ी है. वहीं भ्रष्टाचार का अपराध समाज के प्रति होता है. यह संपत्ति को लेकर कोई वाद नहीं है. इसलिए याचिकाकर्ता के बेटे को केस वापस लेने का अधिकार नहीं है. इसके अलावा मामले में सीबीआई भी अपना जवाब पेश कर चुकी है. इसलिए इस प्रार्थना पत्र को खारिज किया जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिका वापस लेने का प्रार्थना पत्र मंजूर कर लिया.
पढ़ें: Single lease deed case: पूर्व आईएएस संधू सहित तीन को मिली राहत
यह था मामला: मामले के अनुसार एसीबी ने वर्ष 2014 में परिवादी रामशरण सिंह की गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को एकल पट्टा जारी करने में हुई धांधली की शिकायत को लेकर मामला दर्ज किया था. एसीबी ने मामले में कंपनी के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग, यूडीएच के पूर्व सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन-10 के तत्कालीन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, निष्काम दिवाकर और गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारियों अनिल अग्रवाल व विजय मेहता के खिलाफ मामला दर्ज किया था. हाईकोर्ट ने 15 नवंबर, 2022 को आदेश जारी कर एसीबी में दर्ज एफआईआर और निचली अदालत की कार्रवाई को शांति धारीवाल की हद तक रद्द कर दिया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने संधू सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने को हरी झंडी दे दी थी.