जयपुर. राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को मारवाड़ चिकित्सा विश्वविद्यालय विधेयक 2023 पर विचार और पारण के समय अपनी बात रखते हुए पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी ने एक बार फिर जातिगत जनगणना करने की मांग सरकार के सामने रखी. हरीश चौधरी ने कहा कि किसी विश्वविद्यालय में अगर ओबीसी का आरक्षण नहीं देकर हमारे साथ अन्याय हो, तो यह हमारे लिए सबसे बड़ा चर्चा का विषय है.
हरीश चौधरी ने कहा कि हम विश्वविद्यालय में ओबीसी आरक्षण मांग कर कोई भीख नहीं मांग रहे, यह संविधान ने हमें अधिकार दिया है. चौधरी ने आज विधानसभा में अपनी बात रखते हुए कहा कि जोधपुर के एमएलए विश्वविद्यालय में ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था नहीं है, जो दुख की बात है जबकि संविधान में ओबीसी के आरक्षण की व्यवस्था है. ऐसे में किसी अन्य यूनिवर्सिटी में ऐसी व्यवस्था नहीं हो इसीलिए हम पहले ही यह बात रख रहे हैं. हरीश चौधरी ने कहा कि राजस्थान हो या केंद्र कही भी ओबीसी के लिए रिजर्वेशन नहीं है. रिजर्वेशन इकोनामिक बैकवर्ड ओबीसी के लिए है. यह ओबीसी बैकवर्ड रिजर्वेशन राजस्थान में कुछ संस्थाओं में 27 प्रतिशत है, जिसे पूरे राजस्थान में लागू किया जाना चाहिए.
हरीश चौधरी ने राजस्थान सरकार से मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार जातिगत जनगणना नहीं करती है, तो इसकी शुरुआत हमें राजस्थान से करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र की मौजूदा सरकार जातिगत जनगणना नहीं करवाएगी क्योंकि यह संविधान पर भरोसा रखने वाले लोग नहीं हैं. उन्होंने कहा कि ेब-ेज रिजर्वेशन में बढ़ोतरी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री काल में हुई. ऐसे में अब ओबीसी आरक्षण भी 27 प्रतिशत करने और जातिगत जनगणना करवाने का काम भी अशोक गहलोत ही कर सकते हैं.
बीजेपी पर कसा तंजः हरीश चौधरी ने गुरुवार को बाड़मेर मेडिकल कॉलेज के बारे में अपनी बात रखते हुए भाजपा नेताओं के बार-बार मेडिकल कॉलेज लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धन्यवाद देने पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री काल में हम बाड़मेर में मेडिकल यूनिवर्सिटी लेकर आए, लेकिन राजेंद्र राठौड़ ने 5 साल में यह मेडिकल कॉलेज शुरू नहीं करवाया. उन्होंने कहा कि टिकट की चिंता और चर्चा का खेल अलग है और वह सफर भी अलग है. उन्होंने राजेंद्र राठौड़ का नाम लेते हुए कहा कि राजेंद्र राठौड़ का टिकट का सफर कल्याण सिंह कालवी के साथ शुरू हुआ और अभी वासुदेव देवनानी के साथ है. उन्होंने कहा कि यह टिकट का खेल निराला है, लेकिन इस टिकट के खेल का जिक्र सदन में नहीं करना चाहिए.