जयपुर. प्रदेश भर में शुक्रवार को तेजा दशमी का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. हालांकि, हर साल की तरह इस बार तेजाजी मंदिरों में भव्य मेलों का आयोजन नहीं हो पाया. भक्तों के बिना मंदिर भी सूने नजर आए. कोरोना महामारी के चलते इस बार तेजाजी के मंदिरों में मेले स्थगित कर दिया गया. लेकिन, सभी वीर तेजाजी के मंदिरों में पुजारियों और मंदिर सेवकों ने वीर तेजाजी महाराज की पूजा-अर्चना कर खीर, पुए और पूरी का भोग लगाया.
आमेर, जयसिंहपुरा खोर और जमवारामगढ़ में भी तेजा दशमी का पर्व हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया. इस अवसर पर तेजाजी महाराज के मंदिर और उनकी प्रतिमाओं को फूलों के विशेष श्रृंगार किया गया. लेकिन, आमेर में जाजोलाई की तलाई स्थित प्राचीन तेजाजी मंदिर में तेजाजी की झांकियां इस साल नहीं निकाली गई. भक्तों ने तेजाजी महाराज को प्रसाद चढ़ाकर परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की.
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गौरतलब है कि हर साल आमेर में मेले के दौरान सर्प झांकी के दौरान भक्तों को आशीर्वाद दिया जाता था. लेकिन, कोरोना महामारी की वजह से इस बार सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए. कहा जाता है कि आमेर के तेजाजी मंदिर की खासियत है कि यहां हर साल तेजा दशमी को सर्प देवता खुद प्रकट होकर तेजाजी महाराज के सेवक के गले में विराजमान होते हैं और इसके बाद तेजाजी महाराज के सेवक इसे अपने गले में धारण कर पूरे मेले में घोड़े पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देते हैं. आमेर के इस मंदिर में मेले के दौरान निकाली जाने वाली सर्प झांकी भक्तों का आकर्षण का केंद्र बनती रही है.
आमेर के तेजाजी मंदिर सेवक नारायण लाल ने बताया कि तेजा दशमी का यह पर्व हर साल भादवा शुक्ल दशमी के दिन मान्य जाता है. आमेर में तेजादशमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन, इस बार कोरोना महामारी के चलते जाजोलाई की तलाई स्थित तेजाजी मंदिर में मेला नहीं लग पाया. मंदिर में प्रसाद चढ़ाने आने वाले लोगों को सैनिटाइज करके ही प्रवेश दिया गया.
उन्होंने बताया कि मेले से पहले 9 दिनों तक तेजाजी की बिंदोरी निकाली जाती है. बिंदोरी घर-घर जाकर सवारी के रूप में भक्तों को दर्शन देती है. तेजा दशमी के एक दिन पहले रात्रि जागरण किया जाता है. तेजादशमी के दिन तेजाजी का रंग-बिरंगे फूलों से श्रृंगार कर विशेष प्रकार की झांकी सजाई जाती है. सुबह से ही भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए लग जाती है. तेजाजी को खीर, पुए, पूड़ी का भोग लगाया जाता है. आमेर के तेजाजी मंदिर की मान्यता है कि यहां आए परेशान व्यक्ति हंसते हुए जाते हैं. वर्षो पुराने इस मंदिर में नाग देवता दर्शन देते हैं, जिसको तेजाजी के सेवक गले में डालकर परिक्रमा करते हैं.
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बता दें कि मान्यता ये भी है कि किसी भी प्रकार के जहरीले जानवर, सर्प, कीड़े-मकोड़े काटने पर वीर तेजाजी महाराज की कृपा से जहर निकल जाता है. तेजाजी महाराज को लोक देवता के नाम से भी जाना जाता है. इस साल कोरोना महामारी के चलते जयसिंहपुरा खोर तेजाजी मंदिर, सांगानेर तेजाजी मंदिर, शास्त्री नगर तेजाजी मंदिर, आमेर और जमवारामगढ़ सहित जयपुर शहर में विभिन्न तेजाजी मंदिरों में मेलों का आयोजन नहीं हो सका.