जयपुर. प्रदेश में वीरांगनाओं के धरने के मामले में अब राज्यपाल कलराज मिश्र ने हस्तक्षेप किया है. कलराज मिश्र ने बुधवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर शहीदों की वीरांगनाओं की देखभाल और उनका सम्मान सुनिश्चित करने के लिए कहा है. मिश्र ने कहा कि देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों के परिवार की देखभाल और उनका यथोचित सम्मान राज्य का दायित्व है.
सकारात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं: राज्यपाल ने सीएम गहलोत को पत्र लिखकर कहा कि सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा के साथ मधुबाला, सुंदरी, मंजू जाट और रेणु सिंह ने मुलाकात कर इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान करने को लेकर पत्र दिया है. देश के लिए सर्वोच्च बलिदान करने वाले वीर सपूतों के परिवार की देखभाल और उनका यथोचित सम्मान राज्य का दायित्व है. सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वीरांगनाओं के अनुरोध पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए कल्याणकारी राज्य की विचारधारा के अनुरूप कार्यवाही की जाए. राज्यपाल ने उम्मीद जताई कि इस प्रकरण की गंभीरता और विशिष्ट प्रकृति को देखते हुए तत्काल सकारात्मक कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिए जाएं.
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9 दिन से चल रहा धरना: बता दें कि राजधानी जयपुर में पिछले 9 दिन से वीरांगनाओं का धरना चल रहा है. वीरांगनाओं की मांग है कि शहीद हुए उनकी पति के नाम पर स्कूल, कॉलेज और सड़क का नाम रखा जाए. इसके साथ ही उनके पति की मूर्ति सांगोद चौराहे पर लगाई जाए. दो वीरांगनाओं ने पति की जगह देवर की नौकरी की भी मांग सरकार के सामने रखी है. इन मांगों को लेकर वीरांगनाओं के साथ राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा भी धरने पर बैठे हैं. हालांकि अब इस पूरे मामले में बीजेपी भी किरोड़ी लाल मीणा के समर्थन में उतर आई है. बीजेपी नेताओं ने वीरांगनाओं की मांग को पूरा करने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात कर हस्तक्षेप करने की मांग की थी.
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बता दें कि वीरांगना में से एक शहीद रोहिताश लांबा की पत्नी मंजू जाट पिछले 4 दिन से आमरण अनशन पर बैठी हैं. सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि महिला दिवस के दिन इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि वीरांगना को अपनी छोटी-छोटी मांग को लेकर अनशन करना पड़ रहा है. सरकार की उपेक्षा और तानाशाही से आहत होकर वीरांगना इच्छा मृत्यु की मांग कर रही है. यह हमारी सरकार की तानाशाही सोच का परिणाम है.