जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र रविवार को नारायण सिंह सर्किल स्थित भट्टारक जी की नसियां में भगवान महावीर 2550वीं निर्वाणोत्सव समिति की ओर से आयोजित 'अहिंसा रथ प्रवर्तन' कार्यक्रम में शिरकत की. यहां उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान महावीर आध्यात्मिक क्रांति के विराट (Kalraj Mishra inaugurated Mahavir Nirvana Utsav) व्यक्तित्व थे. उनके उपदेशों में सहज रूप में जीवन जीने के गहरे अर्थ समाहित हैं जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं.
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने राज-वैभव को छोड़ आत्म कल्याण का मार्ग चुना. उन्होंने सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य और ब्रह्मचर्य जैसे मूलभूत पंचशील सिद्धांत पहले स्वयं अपने जीवन में उतारे. अपने आदर्श जीवन से दूसरों को संदेश दिया कि आपकी जो अपेक्षा दूसरों से है, पहले वो स्वयं पर चरितार्थ करें. उन्होंने आचार्य श्री सुनील सागर की सराहना की. साथ ही 'अहिंसा रथ' अहिंसा, सदाचार और शाकाहार की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने की (Mahavir Nirvana Utsav in Jaipur) आशा व्यक्त की.
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राज्यपाल ने कहा कि मनु स्मृति में धर्म के दस लक्षण बताए गए हैं. ये हैं धैर्य, क्षमा, संयम, चोरी न करना, शौच यानी स्वच्छता, इन्द्रियों को वश में रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना. इनका पालन करना ही धर्म है. उन्होंने कहा कि 'ईशावास्योपनिषद में तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः' का मंत्र दिया गया है जिसका मतलब है त्यागपूर्वक भोग करो. राज्यपाल मिश्र ने कहा कि भगवान महावीर ने सभी जीवों से मैत्री रखने के साथ हृदय में क्षमा के भाव संजोए रखने का संदेश दिया. जैन धर्म में क्षमा की ये विरल दृष्टि भगवान महावीर की ही देन है.
उन्होंने कहा कि महावीर का जीव हिंसा नहीं करने का मार्ग पारिस्थिकी संतुलन का वैज्ञानिक आधार लिए है. कार्यक्रम की शुरुआत में राज्यपाल ने उपास्थितजनों को संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया. इस दौरान मौजूद आचार्य सुनील सागर ने कहा कि श्रमण परंपरा और वैदिक परंपरा इस देश की महान परम्पराएं हैं जो प्राचीन काल से ही साथ चलती आ रही हैं. संविधान में जिन मूल कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है, वही जैन धर्म की भी महत्वपूर्ण शिक्षाएं हैं. उन्होंने इस अवसर पर सभी से स्वभाषा, संस्कृति और सुसंस्कारों को अपनाने का आह्वान किया.