जयपुर. महाराजा माधो सिंह की ओर से अर्पित की ये एकमात्र ऐसी पोशाक है जिसे श्री जी को हर साल धारण कराई जाती है. बाकी ठाकुर जी को कोई भी पोशाक दोबारा धारण नहीं करवाई जाती. गोविंद देव जी के अलावा आनंद कृष्ण बिहारी मंदिर और ब्रज निधि मंदिर में भी पूर्व महाराजा ने पोशाकें चढ़ाई थी. जिन्हें गोवर्धन पूजा के दिन भगवान को धारण करवाने की परंपरा रही है.
सूर्य ग्रहण के चलते करीब 150 सालों के बाद दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2022) नहीं होकर, एक दिन बाद गोवर्धन पूजा पर्व मनाया जा रहा है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 5 हजार साल पहले भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र के वर्षा रूपी प्रकोप से गोकुल वासियों की रक्षा की थी, और इंद्र के घमंड को तोड़ा था. इसलिए आज के दिन गोवेर्धन पूजा की जाती है.
गोवेर्धन पूजा के दिन छोटी काशी के आराध्यदेव श्री गोविंददेव जी को 102 साल पुरानी पोशाक धारण करवाई गई. जयपुर के पूर्व महाराजा माधोसिंह ने इस पोशाक को धारण करवाया था. सोने-चांदी-जरी से जड़ित पोशाक इस पोशाक को साल में सिर्फ एक बार श्री जी को धारण करवाई जाती है. वहीं आराध्य देव के दरबार में आज बड़े ही धूम-धाम से अन्नकूट महोत्सव मनाया गया. अन्नकूट की झांकी सजाई गई. झांकी का समय दोपहर 12 से 12:30 बजे तक रखा गया था.
इस दौरान सुबह ठाकुर जी का पंचामृत अभिषेक के बाद विशेष 25 तरह के कच्चा भोग, 56 भोग सेवा में अर्पण किया गया. हालांकि आज राजभोग झांकी के दर्शन नहीं होंगे. बाकी झांकियों का समय यथावत रहेगा. मंदिर के पश्चिम द्वार पर पर गोवर्धन पूजा और गाय बछड़े का पूजन किया गया. इसके बाद पुरानी सुनहरी जामा पोशाक धारण करवाई गई.
गोवर्धन पूजा की धूम जयपुरवासियों के घरों में भी है. वहीं वैशालीनगर स्थित स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर परिसर में ठाकुरजी को इस बार 1111 से अधिक पकवानों का भोग अर्पित किया गया. सात्विक व्यंजनों जिसमें राजस्थानी, गुजराती, दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय और अन्य क्षेत्रीय व्यंजन शामिल हैं. सभी व्यंजनों का ठाकुरजी को लगाया गया. अन्नकूट दर्शन का समय दोपहर एक बजे से लेकर रात आठ बजे तक रहेगा. अंत में प्रसादी होगी. अन्नकूट महोत्सव में शिरकत करने के लिए प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र भी पहुंचें.