जयपुर : आज पूरे देश मे रंगों का त्योहार होली काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. हर आम और खास व्यक्ति रंगों के इस त्योहार में अपने-अपने तरीके से मना रहा है, लेकिन राजस्थान में इस बार की होली खास इसलिए भी है कि इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव भी होना तय है. ऐसे में अगली होली से पहले अपने हाथ में सत्ता पर कब्जा करने के लिए बीजेपी कमर कस रही है. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस किसी भी तरह से इस बार एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस का मिथक तोड़ कर अपनी सरकार रिपीट करने का भरसक प्रयास कर रही है. बहरहाल, दोनों पार्टियों के साथ-साथ नेताओं में आपसी अंतर्द्वंद भी शबाब पर है. कांग्रेस पार्टी में गहलोत बनाम पायलट है. वहीं, बीजेपी में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के लिए वसुंधरा राजे बनाम सतीश पूनिया जारी है. इस शह और मात के खेल में कौन किसे और कब पटकनी देगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन दोनों ही पार्टीयों में जमकर वार पलटवार हो रहे हैं.
पायलट के सरकार पर सवाल जारी, लेकिन कुर्सी अब भी दूर की कौड़ी : राजस्थान में बीते 52 महीने से सत्ताधारी दल कांग्रेस में गहलोत बनाम पायलट चला आ रहा है. परंतु पायलट तमाम प्रयासों के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी तक अपनी पहुंच नहीं बना पाए. राजस्थान की राजनीति के जादूगर माने जाने वाले अशोक गहलोत ने कुर्सी पर अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने दी. अब लगता है कि राजस्थान में कोई बड़ा बदलाव नहीं होने जा रहा और पार्टी के नेता अब आगामी चुनाव की रणनीति बनाने में जुट गए हैं. हालांकि, अब भी सचिन पायलट मुद्दों पर अपनी ही सरकार को घेरने से गुरेज नहीं कर रहे हैं और एक दिन पहले ही उन्होंने वीरांगनाओं को न्याय नहीं दिए जाने पर राज्य सरकार को घेरा भी और रात को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर उन्हें न्याय देने की मांग भी रखी, लेकिन इन तमाम प्रयासों के बीच कुर्सी से पायलट की दूरी काफी दूर दिखाई देती है. गहलोत कुर्सी के मामले में सबसे आगे हैं.
पढ़ें : वीरांगनाओं के समर्थन में सचिन पायलट ने सीएम को लिखा पत्र, पुलिसकर्मियों पर एक्शन की मांग
उधर, चुनावी साल में वसुंन्धरा राजे की भक्ति की शक्ति के तोड़ने में पुनिया, शेखावत, बिरला, राठौर स्वयं को डार्क हॉर्स बनने की दौड़ में लगे हैं. कांग्रेस पार्टी की लड़ाई मुख्यमंत्री की कुर्सी की जगह अब चुनाव में टिकट कौन बांटे, उसमें तब्दील होती दिख रही है, लेकिन बीजेपी में लड़ाई सीधे तौर पर मुख्यमंत्री का चेहरा कौन के मुद्दे पर घमासान जारी है. हालांकि, मोदी और अमित शाह की जोड़ी के सामने सारे प्रयास औंधे मुंह गिरेंगे. फिर भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जिस तरह से सालासर बालाजी से अपना शक्ति प्रदर्शन शुरू किया है उससे स्पष्ट है कि राजस्थान में पुनिया कैम्प को तो चिंता में डाल ही दिया है. साथ ही केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत,ओम बिरला राजेंद्र राठौड़ जैसे नेता डार्क हॉर्स बनने के लिए अपने अपने प्रयास तेज कर दिया है. लेकिन जिस तरह से वसुंधरा राजे अपनी भक्ति की शक्ति का प्रदर्शन कर रही है और उसमें बड़ी तादाद में नेता और कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं उससे बीजेपी के मुख्यमंत्री के दावेदार अपनी रणनीति बदलने को मजबूर हो गए हैं.