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गहलोत ही रहेंगे मुख्यमंत्री, आश्वस्त होने पर ही विधायकों ने वापस लिए इस्तीफे...तेवर बरकरार

गहलोत समर्थक विधायकों ने शनिवार को अपना इस्तीफा वापस ले (Gehlot supporters MLAs withdraw resignations) लिया. सभी विधायक एक-एक कर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के निवास पर पहुंचे और अपना इस्तीफा वापस लिए. लेकिन इस दौरान भी विधयकों के तेवर देखते बने और एक के बाद एक बयान दिए गए.

Gehlot supporters MLAs withdraw resignations
Gehlot supporters MLAs withdraw resignations
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Published : Dec 31, 2022, 9:01 PM IST

मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. जितेंद्र सिंह

जयपुर. प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के प्रयास आखिरकार कारगर साबित हुए और शनिवार को एक बार फिर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के निवास पर एक-एक कर (Gehlot supporters MLAs withdraw resignations) इस्तीफा देने वाले विधायक पहुंचे और अपना इस्तीफा वापस ले लिए. हालांकि विधायकों का यह जमावड़ा बीते 25 सितंबर के वाकया को ताजा करने जैसा था, लेकिन तब उनके चेहरों पर आक्रोश और बगावती रवैया था, पर आज सूरत-ए-हाल उल्ट रही और सभी विधायक मुस्कुराते नजर आए.

खैर, ये वही कांग्रेस विधायक थे, जो जिन्होंने 25 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में अपना इस्तीफा दिया था. असल में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद राजस्थान में कांग्रेस के पक्ष में बने माहौल और प्रभारी रंधावा की फीडबैक बैठक के बाद पार्टी आलाकमान ने तत्काल इस्तीफा (Resignation withdrawn after meeting Speaker) वापस लेने का निर्देश दिया था. जिसके बाद विधायक बिना लेटलतीफी किए शनिवार को 49 सिविल लाइन स्थित विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के बंगले पर पहुंचे और अपना इस्तीफा वापस ले लिया. ऐसा इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि विधानसभा सत्र आगामी 23 जनवरी से शुरू होने जा रहा है.

इसे भी पढ़ें - महेश जोशी भी वापस लेंगे इस्तीफा, बोले- गहलोत पेश करेंगे बजट, राजनीति और दबाव का चोली-दामन का साथ

साथ ही गहलोत समर्थक विधायक इस बात को लेकर भी पूरी तरह से आस्वस्थ हैं कि बजट सीएम गहलोत ही पेश करेंगे. ऐसे में आलकमान के निर्देशों को विधायकों ने हाथों हाथ लिया और मंत्री, विधायक अपने इस्तीफे को वापस लेने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के निवास पहुंच गए. वहीं, इस्तीफे वापस लेने से (Rahul Gandhi harat Jodo Yatra) पहले सभी विधायकों ने मुख्य सचेतक महेश जोशी से बात की. इसके बाद वो स्पीकर आवास पर पहुंचे. खैर, भले ही गहलोत समर्थक विधायकों ने इस्तीफे वापस ले लिए हो, लेकिन अब भी उनके तेवर नरम नहीं दिखे. इस बीच कुछ विधायकों ने बयानबाजी भी की और कहा कि सीएम तो अशोक गहलोत ही रहेंगे. इतना ही नहीं विधायकों ने यह भी कहा कि अगर चुनावी साल में नेतृत्व परिवर्तन होता है तो इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता था.

कौन क्या बोला...

सीएम ने 4 साल में किए रिकॉर्ड तोड़ विकास: इस्तीफा वापस लेने के बाद स्पीकर सीपी जोशी के निवास के बाहर मीडियाकर्मियों से रूबरू हुए पूर्व मंत्री व मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आलाकमान जो निर्णय लेगा, वो हर किसी को मंजूर है. लेकिन उनके 35 साल के सियासी करियर में उन्होंने आज तक इतना काम होते कभी नहीं देखा, जितना बीते 4 साल में हुआ है.

सीएम गहलोत को बताया जनता की आवाज: 25 सितंबर को हुए इस्तीफा प्रकरण में मुख्य भूमिका में रहे व कारण बताओ नोटिस पाने वाले राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने साफ कहा कि 23 तारीख से शुरू होने जा रहे बजट को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही पेश करेंगे. आज भी राजस्थान की जनता अशोक गहलोत को ही अपना नेता मानती है. सीएम गहलोत जनता की आवाज हैं.

सीएम बदलता तो पार्टी को नुकसान तय था: कांग्रेस विधायक नागराज मीणा ने तो बाकी नेताओं से एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि हमने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया था. अपनी मर्जी से ही इस्तीफा वापस ले रहे हैं. लेकिन राजस्थान के सभी विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ हैं और राजस्थान में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं हो रहा है. मीणा ने कहा कि चुनाव छाती पर है. ऐसे में क्या नेतृत्व परिवर्तन कर कोई कांग्रेस को खत्म करना है?

विधायक मेवालाल जैन

सीएम बदलने का अब कोई मुद्दा ही नहीं: विधायक मेवाराम जैन ने कहा कि उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा वापस लिया है, क्योंकि अब सब ठीक है. इस्तीफा देने के जो कारण उस समय थे, अब वो कारण ही खत्म हो गया है. यानी सब नॉर्मल है और सीएम बदलने वाला मुद्दा भी खत्म हो गया है.

सभापति राजेंद्र पारीक

सीकर की जनता ने कहा इस्तीफा वापस ले लो: विधानसभा में सभापति राजेंद्र पारीक ने कहा कि इस्तीफा देना और वापस लेना मेरा अधिकार है और अब जब स्पीकर उसे स्वीकार नहीं करें मैं उसे वापस ले सकता था और आज मैंने वापस लिया है. आगे उन्होंने सीधे तौर पर तो गहलोत को लेकर कुछ नहीं कहा, लेकिन यह जरूर कहा कि उन्हें सीकर की जनता ने चुनाव जीता कर विधानसभा में भेजा है. सीकर की जनता की आवाज सुनकर ही वो 25 सितंबर को इस्तीफा दिए थे और अब वापस भी ले रहे हैं.

दरअसल 25 सितंबर को सीएम अशोक गहलोत को हटाए जाने के विरोध में इन सभी विधायकों ने इस्तीफा दिया था. उसके बाद प्रतिपक्ष के उपनेता ने राजस्थान हाईकोर्ट में इन इस्तीफों को मंजूर करने के लिए स्पीकर को निर्देश देने को याचिका दायर की थी. लेकिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राजस्थान कांग्रेस के तमाम नेताओं ने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए एकजुटता दिखाई.

ऊपर से प्रदेश के नए प्रभारी सुखजिंदर रंधावा ने भी पहले सबसे इस्तीफे वापस लेकर उनसे बात करने को कहा. इसके अलावा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बने रहने की हरी झंडी भी आलाकमान की ओर से मिल गई. जिसके बाद सभी विधायकों ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया.

मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. जितेंद्र सिंह

जयपुर. प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के प्रयास आखिरकार कारगर साबित हुए और शनिवार को एक बार फिर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के निवास पर एक-एक कर (Gehlot supporters MLAs withdraw resignations) इस्तीफा देने वाले विधायक पहुंचे और अपना इस्तीफा वापस ले लिए. हालांकि विधायकों का यह जमावड़ा बीते 25 सितंबर के वाकया को ताजा करने जैसा था, लेकिन तब उनके चेहरों पर आक्रोश और बगावती रवैया था, पर आज सूरत-ए-हाल उल्ट रही और सभी विधायक मुस्कुराते नजर आए.

खैर, ये वही कांग्रेस विधायक थे, जो जिन्होंने 25 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में अपना इस्तीफा दिया था. असल में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद राजस्थान में कांग्रेस के पक्ष में बने माहौल और प्रभारी रंधावा की फीडबैक बैठक के बाद पार्टी आलाकमान ने तत्काल इस्तीफा (Resignation withdrawn after meeting Speaker) वापस लेने का निर्देश दिया था. जिसके बाद विधायक बिना लेटलतीफी किए शनिवार को 49 सिविल लाइन स्थित विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के बंगले पर पहुंचे और अपना इस्तीफा वापस ले लिया. ऐसा इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि विधानसभा सत्र आगामी 23 जनवरी से शुरू होने जा रहा है.

इसे भी पढ़ें - महेश जोशी भी वापस लेंगे इस्तीफा, बोले- गहलोत पेश करेंगे बजट, राजनीति और दबाव का चोली-दामन का साथ

साथ ही गहलोत समर्थक विधायक इस बात को लेकर भी पूरी तरह से आस्वस्थ हैं कि बजट सीएम गहलोत ही पेश करेंगे. ऐसे में आलकमान के निर्देशों को विधायकों ने हाथों हाथ लिया और मंत्री, विधायक अपने इस्तीफे को वापस लेने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के निवास पहुंच गए. वहीं, इस्तीफे वापस लेने से (Rahul Gandhi harat Jodo Yatra) पहले सभी विधायकों ने मुख्य सचेतक महेश जोशी से बात की. इसके बाद वो स्पीकर आवास पर पहुंचे. खैर, भले ही गहलोत समर्थक विधायकों ने इस्तीफे वापस ले लिए हो, लेकिन अब भी उनके तेवर नरम नहीं दिखे. इस बीच कुछ विधायकों ने बयानबाजी भी की और कहा कि सीएम तो अशोक गहलोत ही रहेंगे. इतना ही नहीं विधायकों ने यह भी कहा कि अगर चुनावी साल में नेतृत्व परिवर्तन होता है तो इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता था.

कौन क्या बोला...

सीएम ने 4 साल में किए रिकॉर्ड तोड़ विकास: इस्तीफा वापस लेने के बाद स्पीकर सीपी जोशी के निवास के बाहर मीडियाकर्मियों से रूबरू हुए पूर्व मंत्री व मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आलाकमान जो निर्णय लेगा, वो हर किसी को मंजूर है. लेकिन उनके 35 साल के सियासी करियर में उन्होंने आज तक इतना काम होते कभी नहीं देखा, जितना बीते 4 साल में हुआ है.

सीएम गहलोत को बताया जनता की आवाज: 25 सितंबर को हुए इस्तीफा प्रकरण में मुख्य भूमिका में रहे व कारण बताओ नोटिस पाने वाले राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने साफ कहा कि 23 तारीख से शुरू होने जा रहे बजट को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही पेश करेंगे. आज भी राजस्थान की जनता अशोक गहलोत को ही अपना नेता मानती है. सीएम गहलोत जनता की आवाज हैं.

सीएम बदलता तो पार्टी को नुकसान तय था: कांग्रेस विधायक नागराज मीणा ने तो बाकी नेताओं से एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि हमने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया था. अपनी मर्जी से ही इस्तीफा वापस ले रहे हैं. लेकिन राजस्थान के सभी विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ हैं और राजस्थान में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं हो रहा है. मीणा ने कहा कि चुनाव छाती पर है. ऐसे में क्या नेतृत्व परिवर्तन कर कोई कांग्रेस को खत्म करना है?

विधायक मेवालाल जैन

सीएम बदलने का अब कोई मुद्दा ही नहीं: विधायक मेवाराम जैन ने कहा कि उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा वापस लिया है, क्योंकि अब सब ठीक है. इस्तीफा देने के जो कारण उस समय थे, अब वो कारण ही खत्म हो गया है. यानी सब नॉर्मल है और सीएम बदलने वाला मुद्दा भी खत्म हो गया है.

सभापति राजेंद्र पारीक

सीकर की जनता ने कहा इस्तीफा वापस ले लो: विधानसभा में सभापति राजेंद्र पारीक ने कहा कि इस्तीफा देना और वापस लेना मेरा अधिकार है और अब जब स्पीकर उसे स्वीकार नहीं करें मैं उसे वापस ले सकता था और आज मैंने वापस लिया है. आगे उन्होंने सीधे तौर पर तो गहलोत को लेकर कुछ नहीं कहा, लेकिन यह जरूर कहा कि उन्हें सीकर की जनता ने चुनाव जीता कर विधानसभा में भेजा है. सीकर की जनता की आवाज सुनकर ही वो 25 सितंबर को इस्तीफा दिए थे और अब वापस भी ले रहे हैं.

दरअसल 25 सितंबर को सीएम अशोक गहलोत को हटाए जाने के विरोध में इन सभी विधायकों ने इस्तीफा दिया था. उसके बाद प्रतिपक्ष के उपनेता ने राजस्थान हाईकोर्ट में इन इस्तीफों को मंजूर करने के लिए स्पीकर को निर्देश देने को याचिका दायर की थी. लेकिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राजस्थान कांग्रेस के तमाम नेताओं ने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए एकजुटता दिखाई.

ऊपर से प्रदेश के नए प्रभारी सुखजिंदर रंधावा ने भी पहले सबसे इस्तीफे वापस लेकर उनसे बात करने को कहा. इसके अलावा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बने रहने की हरी झंडी भी आलाकमान की ओर से मिल गई. जिसके बाद सभी विधायकों ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया.

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