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अनंत चतुर्दशी पर ढोल-बाजों के साथ आमेर की मावठा झील में गणपति का विसर्जन

जयपुर में अनंत चतुर्दशी के अवसर पर गुरुवार को बड़े धूमधाम से ढोल-बाजों के साथ भगवान गणपति का विसर्जन किया गया. आमेर की मावठा झील में जिले के अलग-अलग स्थानों से आकर सैकड़ों लोगों ने भगवान गणपति की प्रतिमा के विसर्जन कार्यक्रम में शामिल हुए.

ganesh utsav news, जयपुर न्यूज
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Published : Sep 12, 2019, 9:10 PM IST

जयपुर. जिले में अनंत चतुर्दशी के अवसर पर गुरुवार को बड़े धूमधाम से ढोल-बाजों के साथ भगवान गणपति का विसर्जन किया गया. सुबह से ही लोग अपने घरों में विराजमान गणपति की प्रतिमाओं को लेकर नाचते-गाते आमेर की मावठा झील पहुंचे. इसके बाद विधिवत पूजा-अर्चना कर गणपति का मावठा झील में विसर्जन किया.

पढ़ें- कांग्रेस विधायक ने अपनी ही सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा...कहा- मंत्रियों की वजह से फैली है अराजकता

मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक घरों में विराजमान रहने के बाद गणपति बप्पा का जलाशयों में विसर्जन किया जाता है. लोग गणेश चतुर्थी को बड़े धूमधाम से गणेश की प्रतिमा अपने अपने घरों मे स्थापित करते हैं. गणेश उत्सव भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से चतुर्दर्शी तक चलता है. सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय देवता भगवान गणेश को माना जाता है.

अनंत चतुर्दशी पर ढोल-बाजों के साथ हुआ गणपति का विसर्जन

भक्त भगवान गणेश की प्रतिमाओं को गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों के साथ गुलाल उड़ाते हुए होली खेलते हुए विसर्जन करने लेकर जाते हैं. इस दिन लोग आपसी प्रेम और भाईचारे की भी मिशाल देते हैं. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उपवास भी रखा जाता है. इस दिन सभी भगवान विष्णु की पूजा भी करते हैं.

जयपुर. जिले में अनंत चतुर्दशी के अवसर पर गुरुवार को बड़े धूमधाम से ढोल-बाजों के साथ भगवान गणपति का विसर्जन किया गया. सुबह से ही लोग अपने घरों में विराजमान गणपति की प्रतिमाओं को लेकर नाचते-गाते आमेर की मावठा झील पहुंचे. इसके बाद विधिवत पूजा-अर्चना कर गणपति का मावठा झील में विसर्जन किया.

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मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक घरों में विराजमान रहने के बाद गणपति बप्पा का जलाशयों में विसर्जन किया जाता है. लोग गणेश चतुर्थी को बड़े धूमधाम से गणेश की प्रतिमा अपने अपने घरों मे स्थापित करते हैं. गणेश उत्सव भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से चतुर्दर्शी तक चलता है. सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय देवता भगवान गणेश को माना जाता है.

अनंत चतुर्दशी पर ढोल-बाजों के साथ हुआ गणपति का विसर्जन

भक्त भगवान गणेश की प्रतिमाओं को गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों के साथ गुलाल उड़ाते हुए होली खेलते हुए विसर्जन करने लेकर जाते हैं. इस दिन लोग आपसी प्रेम और भाईचारे की भी मिशाल देते हैं. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उपवास भी रखा जाता है. इस दिन सभी भगवान विष्णु की पूजा भी करते हैं.

Intro:जयपुर
एंकर- आज अनंत चतुर्दशी के अवसर पर बड़े धूमधाम से ढोल बाजों के साथ भगवान गणपति का विसर्जन किया गया। आज 10 दिन तक घर में विराजने के बाद गणपति का विसर्जन किया गया। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणपति को घर में विराजमान किया गया था। आमेर के मावठा में जयपुर के विभिन्न जगहों से आकर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने भगवान गणपति की प्रतिमा का विसर्जन किया। Body:सुबह से ही लोग अपने घर में विराजमान गणेश प्रतिमाओं को लेकर ढोल बाजों के साथ नाचते गाते हुए आमेर की मावठा झील पर पहुंचे। इसके बाद विधिवत पूजा अर्चना कर गणपति प्रतिमा का मावठा में विसर्जन किया। लोग गणपति बप्पा मोरिया के जयकारे लगाते हुए डीजे की धुनों पर नाचते गाते भगवान गणेश की प्रतिमाओं को लेकर विसर्जन करने पहुंचे।

मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्दशी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक 10 दिन गणपति बप्पा भक्तो के घरों में विराजमान रहने के बाद उनका जलाशयों में विसर्जन किया जाता है। गणेश चतुर्थी को बड़े धूमधाम से गणेश की प्रतिमा अपने अपने घरों मे स्थापित करते है। गणेश उत्सव भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से चतुर्दर्शी तक चलता है। सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय देवता भगवान गणेश को माना जाता है। 10 दिनों तक भक्त अपने घरों में भगवान गणपति की पूजा अर्चना करते हैं।

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चौदस को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन लोग अपने घरों में विराजमान गणेश प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए सरोवर, तालाबों और जलाशयों में गणेश प्रतिमा का विसर्जन करने से पूर्व उनकी विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान गणेश की प्रतिमा को पुष्प अर्पण कर मोदकों का भोग लगाया जाता है। और इसके बाद उनकी आरती की जाती है। गुलाल उड़ाकर उनको गीत गाकर विदाई दी जाती है। भक्त भगवान गणेश की प्रतिमाओं को गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों के साथ गुलाल उड़ाते हुए होली खेलते हुए विसर्जन करने लेकर जाते हैं। इस दिन लोग आपसी प्रेम और भाईचारे की भी मिशाल देते है। पहुंचते हैं। और वहां उनका विसर्जन करते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उपवास भी रखा जाता है। इस दिन सभी भगवान विष्णु की पूजा भी करते हैं।


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