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Special: जैविक खेती कर युवा किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने गंगाराम, शिक्षा प्राप्त कर कृषि क्षेत्र में बनाया मुकाम

मेरे देश की धरती सोना उगले...यह महज गीत नहीं, सच्चाई है. जी हां...देश की धरती वाकइ में 'सोना' उगलती है बस बढ़िया 'सोनार' होना चाहिए. खेतों में मेहनतकश किसान आज आधुनिक तकनीक अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इन्हीं किसानों में शामिल हैं जयपुर से कुछ दूर स्थित कालख गांव के किसान गंगाराम सेपट. जो जैविक कृषि के क्षेत्र में युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं.

Profits from organic farming, गंगाराम सपेट ने जैविक खेती को चुना करिअर
जैविक कृषि कर गंगाराम बने प्रेरणास्रोत
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Published : Jan 28, 2021, 9:51 PM IST

जयपुर. आधुनिकता की चकाचौंध में लोग पुश्तैनी काम छोड़कर शहर की ओर रुख कर रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे लोग भी भी है जो उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने पुश्तैनी काम को आधुनिक तकनीक के साथ आगे बढ़ा रहे हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही किसान से रूबरू कराने जा रहे हैं जो जयपुर से 35 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से गांव कालख के रहने वाले हैं. जी हां, किसान गंगाराम सेपट ने पढ़ाई पूरी करने के बाद शहर में नौकरियां तलाश करने के बजाए गांव में खेती के पुश्तैनी काम को आधुनिक तकनीक से आगे बढ़ाना ज्यादा बेहतर समझा. उन्होंने ऑर्गेनिक खेती शुरू की और आज वे आसपास के गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं.

जैविक कृषि कर गंगाराम बने प्रेरणास्रोत

गंगाराम सेपट अपने गांव कालख में जैविक खेती कर कम लागत पर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. जैविक खेती के लिए गंगाराम सेपट न केवल मुख्यमंत्री से सम्मानित हो चुके हैं बल्कि कृषि मंत्री भी इनके फॉर्म हाउस का दौरा कर तारीफ कर चुके हैं. गंगाराम सेपट अनाज के अलावा सब्जियों की जैविक खेती करते हैं जो कैंसर को रोकने का काम भी करती है. आर्गेनिक खेती करने वाले गंगाराम सेपट डबल एमए और बीएड किए हुए हैं. ब्रोकली, खीरा, टमाटर, स्ट्रॉबेरी, लीची सहित गंगाराम कई प्रकार की फसलों का उत्पादन करते हैं.

परिवार में 8 से 10 लोग जुड़े हैं जैविक कृषि से

परिवार में आईपीएस और अन्य प्रशासनिक अधिकारी होने के बावजूद उन्होंने सरकारी नौकरी की ओर रुख नहीं किया. उनके परिवार में भी 8 से 10 लोग जैविक खेती ही कर रहे हैं. गंगाराम ने नौकरी करने की बजाय पुश्तैनी काम खेती-बाड़ी को ही अपना व्यवसाय बना लिया है और अब इसी में नाम भी कमा रहे हैं. आज दूसरे किसानों को प्रेरणा देने वाले गंगाराम सेपट को जैविक खेती करने की प्रेरणा अपने मित्र झालावाड़ निवासी रविंद्र स्वामी से मिली. रविन्द्र झालावाड़ में जैविक खेती कर रहे हैं. गंगाराम प्रमुख रूप से स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं, जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा होता है. उनका कहना है कि अपने खेत में अलग-अलग फसलें उगानी चाहिए. एक फसल उगाने से मुनाफा कम होता है जिससे किसान हताश हो जाता है.

Gangaram chose agriculture as a career
गंगाराम ने कृषि को चुना करिअर

पढ़ें: SPECIAL : हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से घर की छत पर उगा ली पेस्टीसाइड्स फ्री सब्जियां...जोधपुर के चार दोस्तों का नवाचार

जैविक कृषि का दे रहे प्रशिक्षण

गंगाराम पास स्थित कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को प्रशिक्षण भी देते हैं और उन्हें जैविक खेती की बारीकियों से भी अवगत कराते हैं. गंगाराम प्रतिदिन सुबह फार्म पर आते हैं और शाम को 6:00 बजे वापस घर लौटते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सारे उद्योग धंधे बंद हो गए तो लोगों ने खेती की तरफ रुख किया और लाभ भी कमाया. गंगाराम सेपट अपने फार्म पर 10 तरह की सब्जियां और 3 तरह के अनाज जैविक खेती के माध्यम से उगा रहे हैं, उनकी ऑर्गेनिक खेती राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त है. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे परंपरागत खेती छोड़कर अलग अलग तरह से खेती करें और लाभ कमाएं.

Organic agriculture better option for youth
युवाओं के जैविक कृषि बेहतर विकल्प

पढ़ें: Special: विलुप्त होती काष्ठ कला की अनदेखी कर रही सरकार, त्रिलोकचंद कर रहे संरक्षित

शुरुआत में ऑर्गेनिक खेती से उत्पादन कम होता है लेकिन धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ने लगता है. रासायनिक खेती के उत्पाद खाने से कई तरह की बीमारियां भी हो जाती हैं लेकिन जैविक खेती से उगी सब्जियां व अनाज स्वास्थ्य वर्धक होते हैं. गंगाराम सेपट बारिश का पानी भी एकत्र करते हैं और उसमें मछली पालन करते हैं. उन्होंने अपील की है कि कृषि से जुड़े छात्र यदि नौकरी नहीं करते हैं तो खेती-बाड़ी जरूर करें.

More benefit in strawberry farming
स्ट्रॉबेरी के खेती में अधिक फायदा

कालख सरपंच शारदा मेहता सेपट ने बताया कि खेती ऐसा व्यवसाय है जो पढ़ाई की प्राथमिकता को कम कर देता है. यदि आप खेतीबाड़ी करते हो तो यह जरूरी नहीं कि आप पढ़े लिखे हो या आपके अंक ज्यादा आए हों. खेती-बाड़ी के लिए अनुभव और सहनशीलता होना आवश्यक है. यदि पहले खेती में आपको नुकसान होता है तो निराश नहीं होना चाहिए. आपको अगली खेती के लिए प्रयास करना चाहिए. उन लोगों को अच्छी खेती करने वाले किसानों से प्रेरणा देनी चाहिए, ताकि उन्हें अधिक मुनाफा हो और आत्मनिर्भर बनें.

जैविक खेती के लिए सरकार देती है सब्सिडी

किसान को ड्रिप लगाकर खेती करनी चाहिए जिसके लिए सरकार सब्सिडी देती है. किसान को अपने खेत में अलग-अलग फसल उगाने चाहिए ताकि उसे अधिक मुनाफा हो. युवा किसान राधेश्याम ने बताया कि आज के युवा रोजगार के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं. इनमें गांव के युवा भी शामिल हैं, जबकि उन्हें ऑर्गेनिक तरीके से खेती-बाड़ी करनी चाहिए और इसी में अपना करियर भी बना सकते हैं.

Profits from organic farming, 10 से अधिक तरह की फसल उगा रहे गंगाराम
जैविक खेती है लाभकारी

पढ़ें: Special : जयपुर में स्कूल को 'स्मार्ट' बनाने के फेर हेरिटेज को किया बेहाल...परकोटे की प्राचीर और बुर्ज ध्वस्त

गंगाराम सेपट ने बताया कि ऑर्गेनिक खेती के उत्पाद कैंसर जैसे रोग से बचाव करते हैं. गहरे कलर की सब्जियां इसमें ज्यादा लाभकारी होती है. लेट्यूस कैंसर के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करने के लिए काम में आती है. ऑर्गेनिक खेती के उत्पाद रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करते हैं. किसानों की ओर से ऑर्गेनिक खेती नहीं करने का कारण बताते हुए गंगाराम सेपट ने कहा कि किसानों को यह नहीं पता कि कौन सी खेती कब करनी चाहिए. पौधों के लगने वाले रोगों के बारे में भी किसान नहीं जानता जिससे उसे नुकसान उठाना पड़ता है.

आज के समय में जहां रासायनिक खेती के उत्पाद खाने से लोग कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं तो दूसरी ओर ऑर्गेनिक खेती के उत्पाद स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं. डॉक्टर और विशेषज्ञ भी लोगों को ऑर्गेनिक उत्पाद खाने की सलाह देते हैं. आर्गेनिक खेती के उत्पाद महंगे होते हैं जिस कारण लोग खरीदने से कतराते हैं और उन्हें इसके फायदे भी पता नहीं होते हैं. इस कारण भी ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा नहीं मिल रहा.

जयपुर. आधुनिकता की चकाचौंध में लोग पुश्तैनी काम छोड़कर शहर की ओर रुख कर रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे लोग भी भी है जो उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने पुश्तैनी काम को आधुनिक तकनीक के साथ आगे बढ़ा रहे हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही किसान से रूबरू कराने जा रहे हैं जो जयपुर से 35 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से गांव कालख के रहने वाले हैं. जी हां, किसान गंगाराम सेपट ने पढ़ाई पूरी करने के बाद शहर में नौकरियां तलाश करने के बजाए गांव में खेती के पुश्तैनी काम को आधुनिक तकनीक से आगे बढ़ाना ज्यादा बेहतर समझा. उन्होंने ऑर्गेनिक खेती शुरू की और आज वे आसपास के गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं.

जैविक कृषि कर गंगाराम बने प्रेरणास्रोत

गंगाराम सेपट अपने गांव कालख में जैविक खेती कर कम लागत पर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. जैविक खेती के लिए गंगाराम सेपट न केवल मुख्यमंत्री से सम्मानित हो चुके हैं बल्कि कृषि मंत्री भी इनके फॉर्म हाउस का दौरा कर तारीफ कर चुके हैं. गंगाराम सेपट अनाज के अलावा सब्जियों की जैविक खेती करते हैं जो कैंसर को रोकने का काम भी करती है. आर्गेनिक खेती करने वाले गंगाराम सेपट डबल एमए और बीएड किए हुए हैं. ब्रोकली, खीरा, टमाटर, स्ट्रॉबेरी, लीची सहित गंगाराम कई प्रकार की फसलों का उत्पादन करते हैं.

परिवार में 8 से 10 लोग जुड़े हैं जैविक कृषि से

परिवार में आईपीएस और अन्य प्रशासनिक अधिकारी होने के बावजूद उन्होंने सरकारी नौकरी की ओर रुख नहीं किया. उनके परिवार में भी 8 से 10 लोग जैविक खेती ही कर रहे हैं. गंगाराम ने नौकरी करने की बजाय पुश्तैनी काम खेती-बाड़ी को ही अपना व्यवसाय बना लिया है और अब इसी में नाम भी कमा रहे हैं. आज दूसरे किसानों को प्रेरणा देने वाले गंगाराम सेपट को जैविक खेती करने की प्रेरणा अपने मित्र झालावाड़ निवासी रविंद्र स्वामी से मिली. रविन्द्र झालावाड़ में जैविक खेती कर रहे हैं. गंगाराम प्रमुख रूप से स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं, जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा होता है. उनका कहना है कि अपने खेत में अलग-अलग फसलें उगानी चाहिए. एक फसल उगाने से मुनाफा कम होता है जिससे किसान हताश हो जाता है.

Gangaram chose agriculture as a career
गंगाराम ने कृषि को चुना करिअर

पढ़ें: SPECIAL : हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से घर की छत पर उगा ली पेस्टीसाइड्स फ्री सब्जियां...जोधपुर के चार दोस्तों का नवाचार

जैविक कृषि का दे रहे प्रशिक्षण

गंगाराम पास स्थित कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को प्रशिक्षण भी देते हैं और उन्हें जैविक खेती की बारीकियों से भी अवगत कराते हैं. गंगाराम प्रतिदिन सुबह फार्म पर आते हैं और शाम को 6:00 बजे वापस घर लौटते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सारे उद्योग धंधे बंद हो गए तो लोगों ने खेती की तरफ रुख किया और लाभ भी कमाया. गंगाराम सेपट अपने फार्म पर 10 तरह की सब्जियां और 3 तरह के अनाज जैविक खेती के माध्यम से उगा रहे हैं, उनकी ऑर्गेनिक खेती राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त है. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे परंपरागत खेती छोड़कर अलग अलग तरह से खेती करें और लाभ कमाएं.

Organic agriculture better option for youth
युवाओं के जैविक कृषि बेहतर विकल्प

पढ़ें: Special: विलुप्त होती काष्ठ कला की अनदेखी कर रही सरकार, त्रिलोकचंद कर रहे संरक्षित

शुरुआत में ऑर्गेनिक खेती से उत्पादन कम होता है लेकिन धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ने लगता है. रासायनिक खेती के उत्पाद खाने से कई तरह की बीमारियां भी हो जाती हैं लेकिन जैविक खेती से उगी सब्जियां व अनाज स्वास्थ्य वर्धक होते हैं. गंगाराम सेपट बारिश का पानी भी एकत्र करते हैं और उसमें मछली पालन करते हैं. उन्होंने अपील की है कि कृषि से जुड़े छात्र यदि नौकरी नहीं करते हैं तो खेती-बाड़ी जरूर करें.

More benefit in strawberry farming
स्ट्रॉबेरी के खेती में अधिक फायदा

कालख सरपंच शारदा मेहता सेपट ने बताया कि खेती ऐसा व्यवसाय है जो पढ़ाई की प्राथमिकता को कम कर देता है. यदि आप खेतीबाड़ी करते हो तो यह जरूरी नहीं कि आप पढ़े लिखे हो या आपके अंक ज्यादा आए हों. खेती-बाड़ी के लिए अनुभव और सहनशीलता होना आवश्यक है. यदि पहले खेती में आपको नुकसान होता है तो निराश नहीं होना चाहिए. आपको अगली खेती के लिए प्रयास करना चाहिए. उन लोगों को अच्छी खेती करने वाले किसानों से प्रेरणा देनी चाहिए, ताकि उन्हें अधिक मुनाफा हो और आत्मनिर्भर बनें.

जैविक खेती के लिए सरकार देती है सब्सिडी

किसान को ड्रिप लगाकर खेती करनी चाहिए जिसके लिए सरकार सब्सिडी देती है. किसान को अपने खेत में अलग-अलग फसल उगाने चाहिए ताकि उसे अधिक मुनाफा हो. युवा किसान राधेश्याम ने बताया कि आज के युवा रोजगार के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं. इनमें गांव के युवा भी शामिल हैं, जबकि उन्हें ऑर्गेनिक तरीके से खेती-बाड़ी करनी चाहिए और इसी में अपना करियर भी बना सकते हैं.

Profits from organic farming, 10 से अधिक तरह की फसल उगा रहे गंगाराम
जैविक खेती है लाभकारी

पढ़ें: Special : जयपुर में स्कूल को 'स्मार्ट' बनाने के फेर हेरिटेज को किया बेहाल...परकोटे की प्राचीर और बुर्ज ध्वस्त

गंगाराम सेपट ने बताया कि ऑर्गेनिक खेती के उत्पाद कैंसर जैसे रोग से बचाव करते हैं. गहरे कलर की सब्जियां इसमें ज्यादा लाभकारी होती है. लेट्यूस कैंसर के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करने के लिए काम में आती है. ऑर्गेनिक खेती के उत्पाद रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करते हैं. किसानों की ओर से ऑर्गेनिक खेती नहीं करने का कारण बताते हुए गंगाराम सेपट ने कहा कि किसानों को यह नहीं पता कि कौन सी खेती कब करनी चाहिए. पौधों के लगने वाले रोगों के बारे में भी किसान नहीं जानता जिससे उसे नुकसान उठाना पड़ता है.

आज के समय में जहां रासायनिक खेती के उत्पाद खाने से लोग कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं तो दूसरी ओर ऑर्गेनिक खेती के उत्पाद स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं. डॉक्टर और विशेषज्ञ भी लोगों को ऑर्गेनिक उत्पाद खाने की सलाह देते हैं. आर्गेनिक खेती के उत्पाद महंगे होते हैं जिस कारण लोग खरीदने से कतराते हैं और उन्हें इसके फायदे भी पता नहीं होते हैं. इस कारण भी ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा नहीं मिल रहा.

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