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क्या होगा पायलट का भविष्य ? AICC में भी गहलोत की पकड़ मजबूत

राजस्थान में पायलट का भविष्य कांग्रेस आलाकमान पर निर्भर नजर आ रहा है. बात गहलोत की करें तो प्रदेश के बाद एआईसीसी में भी उनकी पकड़ मजबूत हुई है. अब सबकी निगाहें चुनाव अभियान समिति पर टिकी हैं. यहां समझिए पूरा समीकरण.

Congress Politics in Rajasthan
कांग्रेस नेता
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Published : Apr 5, 2023, 3:36 PM IST

कांग्रेस नेताओं के बयान...

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट के राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में भविष्य को लेकर अब अनिश्चितता के बादल छाने लगे हैं. अब तक लगातार जो पायलट समर्थक सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने को लेकर आशान्वित नजर आते थे, अब कहीं ना कहीं हर किसी के दिल में यह बात घर कर चुकी है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के समय ऐसा होना मुश्किल होगा. लेकिन अब असली मुसीबत वहां खड़ी हो गई है कि सरकार में कोई स्थान नहीं पा सके पायलट क्या राजस्थान के संगठन में भी आने वाले चुनाव में कोई हिस्सेदारी भी रखेंगे या नहीं.

हर किसी की नजर अब इस बात पर है कि क्या पायलट को कांग्रेस आलाकमान राजस्थान कांग्रेस के संगठन में कोई पद या फिर चुनाव कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाकर पायलट के लिए आगे भविष्य का रास्ता तैयार करेगा या नहीं. हालांकि, अब भी पायलट समर्थकों को उम्मीद है कि कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बना सकता है, लेकिन जिस तरह से खुद सचिन पायलट के 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक के समानांतर बैठक बुलाने वाले नेताओं पर कई बार कार्रवाई करने की मांग के बावजूद उस पर कोई निर्णय नहीं करवा सके हैं, उसके बाद पायलट भी कुछ निराश दिखाई दे रहे हैं.

पढ़ें : रंधावा ने पायलट पर दिखाया रहम तो राजस्थान के बयानवीरों को दी नसीहत

इतना ही नहीं, अब तो वह खुद यह कहते नजर आ रहे हैं कि मुझे आलाकमान को जो कुछ कहना था वह मैं कह चुका हूं. अब अंतिम निर्णय आलाकमान को लेना है और यह निर्णय आलाकमान कब लेगा, यह आलाकमान पर निर्भर है. पायलट की निराशा इस बात से भी झलकती है कि वह कह चुके हैं कि राजस्थान में सरकार रिपीट नहीं होने और बार-बार भाजपा के बाद कांग्रेस और कांग्रेस के बाद भाजपा होने के चलते जो सुझाव उन्हें देने थे, वह उन्होंने दे दिया. बीते साल 25 सितंबर को जो कुछ हुआ, सबके सामने है. उस पर कार्रवाई को लेकर भी एआईसीसी को ही निर्णय लेना है.

ऐसे में साफ है कि सचिन पायलट का भविष्य पूरी तरह से आलाकमान के हाथ में है और जिस तरह से राजस्थान के वर्तमान हालात बन रहे हैं. लगता है कि पायलट का संघर्ष अभी और लंबा खींचने वाला है. उधर पायलट कि नाराजगी भी इन दिनों साफ दिखाई दे रही है, क्योंकि न पायलट राजस्थान में राहुल गांधी को लेकर हुए किसी कार्यक्रम में हिस्सा बने ना ही वह दिल्ली में किसी विरोध-प्रदर्शन में दिखाई दिए. यह बात अलग है कि राहुल गांधी को लेकर उन्होंने मीडिया में अपनी बात रखी. लेकिन मुश्किल इस बात यह है कि अजय माकन के हटने के बाद जिन सुखजिंदर सिंह रंधावा को कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान की कमान सौंपी थी, अब वह भी यह कहते नजर आ रहे हैं कि पायलट अगर कांग्रेस के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं होते हैं तो उसका कोई खास फर्क नहीं पड़ता है.

राजस्थान में मंत्री, विधायक खुलेआम लगा रहे चौथी बार गहलोत सरकार के नारे : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की 25 सितंबर 2022 के बाद एआईसीसी में कुछ पकड़ कमजोर हुई थी, लेकिन अब लग रहा है कि गहलोत के लिए दिल्ली आलाकमान में 'ऑल इज वेल' की स्थिति वापस बन चुकी है. जिस तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 25 सितंबर से पहले कांग्रेस और राहुल गांधी से जुड़े मुद्दों में निर्णायक की भूमिका में थे, अब एक बार फिर वह उसी भूमिका में दिखाई देने लगे हैं और लग रहा है कि जो नुकसान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 25 सितंबर की घटना से हुआ था, अब उसे कांग्रेस आलाकमान भुला चुका है.

यही कारण है कि गहलोत चाहे राहुल गांधी की सजा का मामला हो या फिर उनकी सदस्यता समाप्त होने की बात हो कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार के तौर पर दिखाई दे रहे हैं और राहुल गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर न केवल अपनी बात रख रहे हैं, बल्कि हर जगह दिखाई भी दे रहे हैं. यही कारण है कि गहलोत समर्थक राजस्थान में भी मजबूत हुए हैं और मंत्री विधायक खुलेआम अब चौथी बार गहलोत सरकार के नारे लगाने लगे हैं, तो पायलट के लिए गहलोत के मंत्री जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी करने लगे हैं.

कांग्रेस नेताओं के बयान...

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट के राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में भविष्य को लेकर अब अनिश्चितता के बादल छाने लगे हैं. अब तक लगातार जो पायलट समर्थक सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने को लेकर आशान्वित नजर आते थे, अब कहीं ना कहीं हर किसी के दिल में यह बात घर कर चुकी है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के समय ऐसा होना मुश्किल होगा. लेकिन अब असली मुसीबत वहां खड़ी हो गई है कि सरकार में कोई स्थान नहीं पा सके पायलट क्या राजस्थान के संगठन में भी आने वाले चुनाव में कोई हिस्सेदारी भी रखेंगे या नहीं.

हर किसी की नजर अब इस बात पर है कि क्या पायलट को कांग्रेस आलाकमान राजस्थान कांग्रेस के संगठन में कोई पद या फिर चुनाव कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाकर पायलट के लिए आगे भविष्य का रास्ता तैयार करेगा या नहीं. हालांकि, अब भी पायलट समर्थकों को उम्मीद है कि कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बना सकता है, लेकिन जिस तरह से खुद सचिन पायलट के 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक के समानांतर बैठक बुलाने वाले नेताओं पर कई बार कार्रवाई करने की मांग के बावजूद उस पर कोई निर्णय नहीं करवा सके हैं, उसके बाद पायलट भी कुछ निराश दिखाई दे रहे हैं.

पढ़ें : रंधावा ने पायलट पर दिखाया रहम तो राजस्थान के बयानवीरों को दी नसीहत

इतना ही नहीं, अब तो वह खुद यह कहते नजर आ रहे हैं कि मुझे आलाकमान को जो कुछ कहना था वह मैं कह चुका हूं. अब अंतिम निर्णय आलाकमान को लेना है और यह निर्णय आलाकमान कब लेगा, यह आलाकमान पर निर्भर है. पायलट की निराशा इस बात से भी झलकती है कि वह कह चुके हैं कि राजस्थान में सरकार रिपीट नहीं होने और बार-बार भाजपा के बाद कांग्रेस और कांग्रेस के बाद भाजपा होने के चलते जो सुझाव उन्हें देने थे, वह उन्होंने दे दिया. बीते साल 25 सितंबर को जो कुछ हुआ, सबके सामने है. उस पर कार्रवाई को लेकर भी एआईसीसी को ही निर्णय लेना है.

ऐसे में साफ है कि सचिन पायलट का भविष्य पूरी तरह से आलाकमान के हाथ में है और जिस तरह से राजस्थान के वर्तमान हालात बन रहे हैं. लगता है कि पायलट का संघर्ष अभी और लंबा खींचने वाला है. उधर पायलट कि नाराजगी भी इन दिनों साफ दिखाई दे रही है, क्योंकि न पायलट राजस्थान में राहुल गांधी को लेकर हुए किसी कार्यक्रम में हिस्सा बने ना ही वह दिल्ली में किसी विरोध-प्रदर्शन में दिखाई दिए. यह बात अलग है कि राहुल गांधी को लेकर उन्होंने मीडिया में अपनी बात रखी. लेकिन मुश्किल इस बात यह है कि अजय माकन के हटने के बाद जिन सुखजिंदर सिंह रंधावा को कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान की कमान सौंपी थी, अब वह भी यह कहते नजर आ रहे हैं कि पायलट अगर कांग्रेस के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं होते हैं तो उसका कोई खास फर्क नहीं पड़ता है.

राजस्थान में मंत्री, विधायक खुलेआम लगा रहे चौथी बार गहलोत सरकार के नारे : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की 25 सितंबर 2022 के बाद एआईसीसी में कुछ पकड़ कमजोर हुई थी, लेकिन अब लग रहा है कि गहलोत के लिए दिल्ली आलाकमान में 'ऑल इज वेल' की स्थिति वापस बन चुकी है. जिस तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 25 सितंबर से पहले कांग्रेस और राहुल गांधी से जुड़े मुद्दों में निर्णायक की भूमिका में थे, अब एक बार फिर वह उसी भूमिका में दिखाई देने लगे हैं और लग रहा है कि जो नुकसान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 25 सितंबर की घटना से हुआ था, अब उसे कांग्रेस आलाकमान भुला चुका है.

यही कारण है कि गहलोत चाहे राहुल गांधी की सजा का मामला हो या फिर उनकी सदस्यता समाप्त होने की बात हो कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार के तौर पर दिखाई दे रहे हैं और राहुल गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर न केवल अपनी बात रख रहे हैं, बल्कि हर जगह दिखाई भी दे रहे हैं. यही कारण है कि गहलोत समर्थक राजस्थान में भी मजबूत हुए हैं और मंत्री विधायक खुलेआम अब चौथी बार गहलोत सरकार के नारे लगाने लगे हैं, तो पायलट के लिए गहलोत के मंत्री जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी करने लगे हैं.

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