जयपुर. हाल ही में 3 नवंबर को राजस्थान के डीजीपी का पदभार ग्रहण करने वाले 1989 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी उमेश मिश्रा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अपराधों पर लगाम लगाना, अपराधियों पर नकेल कसने और फोर्स की जरूरतों को पूरा करना प्राथमिकता रहेगी. उन्होंने कड़े शब्दों में बदमाशों को चेतावनी देते हुए कहा है (DGP discuss challenges related to law and order) कि चाहे अपराध छोटा हो या बड़ा किसी भी सूरत में अपराधियों को नहीं बख्शा जाएगा.
उन्होंने बताया कि कमजोर वर्ग पर अपराध, महिला अपराध, बालिका अपराध और साइबर क्राइम पर लगाम लगाना एक बड़ी चुनौती के रूप में राजस्थान पुलिस के सामने हैं. इस पर कई मायनों में काम करना बाकी है.
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पुलिसकर्मियों को वीकली ऑफ देने पर कर रहे कामः डीजीपी उमेश मिश्रा ने कहा कि पुलिसकर्मियों की ओर से काफी लंबे समय से वीकली ऑफ देने की (DGP on Weekly off to policemen) जो मांग की जा रही है, उस पर वह काम कर रहे हैं. पुलिसकर्मियों को वीकली ऑफ देने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. प्रायोगिक तौर पर पहले कुछ जगह पुलिसकर्मियों को वीकली ऑफ दिया जाएगा. पुलिसकर्मियों को वीकली ऑफ देने पर यदि विभाग का काम प्रभावित नहीं होता है तो फिर इसे पूरे प्रदेश में लागू करने की रूपरेखा तैयार की जाएगी. मिश्रा ने कहा कि पुलिसकर्मियों की ओर से पे स्केल बढ़ाने को लेकर भी जो मांग की जा रही है, उसके संबंध में सरकार से आग्रह किया जाएगा. हालांकि पे स्केल बढ़ाना या ना बढ़ाना सरकार के हाथ में है. इसके लिए सरकार को बजट व अन्य तमाम चीजों को भी देखना पड़ता है. मिश्रा ने कहा कि फोर्स की तमाम जरूरतों को ध्यान में रखा जा रहा है और उन्हें हर संभव सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है.
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केवल पॉलिटिकल कारणों से नहीं होता निलंबनः डीजीपी ने कहा कि वह ऐसा नहीं मानते हैं कि केवल पॉलिटिकल कारणों के चलते पुलिसकर्मियों का निलंबन किया जाता है या विभागीय कार्रवाई की जाती है. ठोस कारण होने पर ही इस तरह के कदम उठाए जाते हैं और ऐसा करके अच्छा महसूस भी नहीं होता है. जहां पर यह देखा जाता है कि गलत अन्वेषण करके किसी को झूठा फंसाया गया है या जो कार्रवाई की जा सकती वह नहीं की गई है. तब इस तरह के कदम उठाए जाते हैं. आम जनता, पुलिस की छवि आदि चीजों को देखते हुए कई बार कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं. उन्होंने बताया कि अभी 2 दिन पूर्व एक कांस्टेबल की ओर से एक वृद्ध महिला के साथ दुर्व्यवहार करने का मामला सामने आया. इस पर तुरंत एक्शन लेते हुए उसे सस्पेंड किया गया है. इस तरह के मामले सामने आने पर एसपी, आईजी और डीजीपी का कर्तव्य बनता है कि वह तुरंत एक्शन लेते हुए विभागीय कार्रवाई करें.
प्रदेश में अपराध बढ़ना स्वाभाविकः डीजीपी उमेश मिश्रा ने कहा कि जैसे-जैसे अर्बनाइजेशन बढ़ता है, जनसंख्या बढ़ती है, शहरों में वाहन, आवागमन के साधन व अन्य सुविधाएं पहले की तुलना में काफी विकसित होते हैं. उस अनुपात में पुलिस की नफरी नहीं बढ़ पाती है. ऐसे में शहरों में अपराध का बढ़ना स्वाभाविक है. कई शहरों में पहले की तुलना में अपराध दोगुना से भी ज्यादा हो गए हैं. इसी तरह ट्रैफिक रेगुलेशन में भी समस्या आती है, कई जगहों पर ट्रैफिक पुलिस में नफरी पिछले 20 सालों से वही है. ट्रैफिक रेगुलेशन भी पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है. हालांकि कम संसाधनों से किस तरह से सुविधाओं को मेंटेन किया जाए इस पर पुलिस काम कर रही है. उन्होंने कहा कि बदमाशों पर नकेल कसने के लिए पुलिस की ओर से लगातार विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं. संगठित अपराधों को अंजाम देने वाले बदमाशों पर विशेष फोकस रखा जा रहा है.
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साइबर क्राइम से निपटना बड़ी चुनौतीः डीजीपी उमेश मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में अलवर, मेवात, भरतपुर का कामा व आसपास के कई क्षेत्र साइबर ठगों (DGP on cyber crime) के बड़े गढ़ बन गए हैं. साइबर ठगों पर नकेल कसने के लिए कई परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है. हाल ही में भरतपुर जिले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 18000 सिम कार्ड ब्लॉक करवाए हैं. इस तरह से पुलिस पूरे प्रदेश में अलग-अलग अभियान चलाकर साइबर ठगों पर नकेल कसने का काम कर रही है. इसके साथ ही साइबर थानों में जो स्टाफ कार्यरत है उन्हें भी टेक्नो फ्रेंडली बनाने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है.
युवा वर्ग में नशे का प्रचलन चिंता का विषयः डीजीपी उमेश मिश्रा ने बताया कि युवाओं में नशे का जो प्रचलन बड़ा है वह चिंता का एक बड़ा विषय है. इस पर लगाम लगाने के लिए कई स्तर पर काम करना होगा. एनडीपीएस एक्ट के तहत ड्रग्स तस्करों पर प्रभावी कार्रवाई करनी होगी. साथ ही सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट की मदद से एजुकेशन एंड रिहैबिलिटेशन की दिशा में काम करना होगा. गंगानगर और हनुमानगढ़ जिले में रिहैबिलिटेशन को लेकर कई महत्वपूर्ण काम किए गए हैं लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में बहुत अधिक काम करने की आवश्यकता है.