जयपुर. कभी खत्म ना होने वाले प्लास्टिक के खतरों से आगाह करने के लिए विश्व भर में चिंतन और मंथन होता रहा है. भारत में तो 1 जुलाई से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्लास्टिक के ग्लास, चम्मच और प्लेट से लेकर झंडे-बैनर पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिए गए. लेकिन धरातल पर इस प्रतिबंध का कोई खास असर देखने को नहीं मिला. राजस्थान की बात करें, तो यहां लोगों ने घरों में जो दीपावली की सफाई की, उसमें करीब 1200 टन प्लास्टिक वेस्ट निकला (1200 ton plastic waste in Rajasthan on Diwali) है. यह आंकड़ा प्लास्टिक बैन के दावों को धरातल दिखाने के लिए काफी है.
साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर देश को 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का लक्ष्य रखा (Single use plastic banned in India) था. जिसके बाद युद्ध स्तर पर सभी प्रदेशों में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाते हुए, इसके विकल्प तलाशे गए. लेकिन कोरोना काल में दोबारा पॉलीथिन बैग, प्लास्टिक की बोतलें, फूड पैकेजिंग का धड़ल्ले से इस्तेमाल शुरू हो गया. यही नहीं सब्जी और फल विक्रेता भी कागज की थैलियां छोड़ एक बार फिर पॉलीथिन थैलियों को इस्तेमाल करने लगे हैं.
हालांकि केंद्र सरकार ने इसी साल सिंगल यूज प्लास्टिक पर 1 जुलाई से पूर्ण प्रतिबंध लगाया. लेकिन जिन पर सिंगल यूज प्लास्टिक को रोकने की जिम्मेदारी है, उन्हीं दफ्तरों में सिंगल यूज प्लास्टिक बोतल का इस्तेमाल होता दिखाई देता है. यही नहीं कचरे में करीब 15 से 20 फीसदी प्लास्टिक मौजूद रहता है. जिसे सेग्रीगेट कर निस्तारित करने के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में प्रतिबंध के बावजूद दीपावली की सफाई में हर दिन 1200 टन से ज्यादा प्लास्टिक वेस्ट जनरेट हुआ. हालांकि 2010 में राजस्थान में प्लास्टिक को बैन किया गया था और सख्ती बरतते हुए प्लास्टिक कैरी बैग का इस्तेमाल करने वालों का चालान कर जुर्माना वसूलने और आवश्यकता पड़ने पर सीजर की कार्रवाई की भी शक्तियां दी गईं. लेकिन अभियान के दौरान ही इस पर नकेल लग पाती है.
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प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट की बात की जाए तो :
- प्रदेश में दीपावली के दौरान हर दिन निकला 16 हजार मीट्रिक टन कचरा
- 15 से 20 प्रतिशत प्लास्टिक वेस्ट शामिल
- जयपुर का कुल वेस्ट 2500 मीट्रिक टन
- प्लास्टिक वेस्ट 375 से 450 मीट्रिक टन
- 300 मीट्रिक टन के लिए आरडीएफ
- 300-300 मीट्रिक टन के एमआरएफ का लगा रखा टेंडर
- 700 मीट्रिक टन कचरा वेस्ट टू एनर्जी में इस्तेमाल हो रहा
अकेले राजधानी की अगर बात करें तो दीपावली के दौरान यहां घरों से करीब 2500 मीट्रिक टन से ज्यादा कचरा निकला, जिसमें 375 से 450 मीट्रिक टन तक प्लास्टिक निकला. हालांकि जयपुर में प्लास्टिक वेस्ट को इस्तेमाल करके रिफ्यूज ड्राइ फ्यूल बनाया जा रहा है. जिसका सीमेंट प्लांट में इस्तेमाल हो रहा है. वहीं हेरिटेज निगम की पर्यटन स्थलों पर प्लास्टिक बोतल क्रश मशीन लगाने की भी प्लानिंग थी, जो फिलहाल फाइलों में दब कर रह गई है.
ये हैं सिंगल यूज प्लास्टिक: 40 माइक्रोमीटर या उससे कम स्तर के प्लास्टिक को सिंगल यूज प्लास्टिक में शामिल किया गया है. इसका मतलब प्लास्टिक से बनी वो चीजें हैं, जो एक बार ही उपयोग में लाई जाती हैं और फेंक दी जाती हैं. जिसमें पॉलीथिन कैरीबैग, चाय के प्लास्टिक कप, चाट गोलगप्पे वाली प्लास्टिक प्लेट, बाजार से खरीदी पानी की बोतल, स्ट्रॉ सभी सिंगल यूज प्लास्टिक में शामिल हैं.
बहरहाल, केंद्र सरकार के निर्देश पर प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया. जहां जरूरी है उसके लिए अन्य विकल्प तलाशने की कवायद की गई. लेकिन दीपावली की सफाई ने इस प्रतिबंध की पोल खोल कर रख दी. ऐसे में वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध एक बड़ी चुनौती रहेगी.