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Etv Bharat की खबर पर लगी मुहरः अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही होंगे प्रदेश में महापौर और सभापति के होने वाले चुनाव

ईटीवी भारत की खबर पर मुहर लगी है. सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में प्रदेश में नगर निकाय में होने वाले महापौर और सभापति के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही होंगे.

Election of Mayor and Chairman, ईटीवी भारत की खबर
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Published : Oct 14, 2019, 5:14 PM IST

Updated : Oct 14, 2019, 5:32 PM IST

जयपुर. एक बार फिर ईटीवी भारत की खबर पर मुहर लगी है. प्रदेश में नगर निकाय में महापौर और सभापति के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे, ईटीवी भारत के जरिए सबसे पहले इस खबर को दिखाया गया था कि गहलोत सरकार अपने ही फैसले को बदलते हुए अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने को लेकर निर्णय ले सकती हैं. जिसके बाद सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में ईटीवी भारत की खबर पर मुहर लग गई.

अप्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे देश में महापौर और सभापति के चुनाव

बैठक में राजस्थान की गहलोत सरकार ने एक बार फिर निकाय चुनाव को लेकर लिए गए अपने फैसले को बदल दिया है. प्रदेश में अब अप्रत्यक्ष रूप से महापौर और सभापति के चुनाव होंगे. इससे पहले प्रदेश में गहलोत सरकार बनने के साथ ही पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने की नियमों में संशोधन करते हुए गहलोत सरकार विधानसभा में प्रत्यक्ष प्रणाली के साथ नगर निकाय चुनाव कराने को लेकर देख ले कर आई थी लेकिन सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने अपने ही फैसले को बदल दिया.

गहलोत सरकार की कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. जिनमें सबसे महत्वपूर्ण फैसला लिया गया कि प्रदेश में नवंबर माह में होने वाले निकाय चुनाव में महापौर और सभापति के चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होंगे. यानी अब पार्षद अपने मेयर और सभापति का चुनाव स्वयं करेंगे. दरअसल पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने प्रत्यक्ष रूप से महापौर और सभापति के चुनाव नियम में संशोधन करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने का निर्णय लिया था.
उसके बाद प्रदेश में हुए नगर निकाय चुनाव में अप्रत्यक्ष रूप से सभापति और महापौर चुने गए. 2018 में जैसे ही प्रदेश की सरकार बदली गहलोत सरकार ने पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के वक्त के फैसले को बदलते हुए नगर निकाय चुनाव में महापौर और सभापति का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली यानी सीधे मतदाता द्वारा चुने जाने का निर्णय लिया.

फिलहाल सरकार ने अपने इस महत्वपूर्ण फैसले को बदलते हुए एक बार फिर प्रदेश में अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने का निर्णय आज कैबिनेट बैठक में लिया. हालांकि सरकार की तरफ से इसके पीछे दलील दी जा रही है कि अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने को लेकर जनता और जनप्रतिनिधियों की राय ली गई है. सबकी सहमति मिलने के बाद यह निर्णय लिया गया है.

पढ़ें: बीकानेर-जयपुर हवाई सेवा बंद नहीं होगी, इसे निरंतर जारी रखने का करेंगे पूरा प्रयास : अर्जुन मेघवाल

यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने को इसकी वजह बताया है. इस दौरान शांति धारीवाल ने बीजेपी पर भी सरकार के इस फैसले के बाद आरोप का जवाब देते हुए कहा कि भाजपा को अपने शासनकाल को याद कर लेना चाहिए कि जब प्रदेश में प्रत्यक्ष रूप से महापौर सभापति के चुनाव कराए जा रहे थे तो फिर वसुंधरा सरकार आने के बाद इस नियम को बदला क्यों गया. क्या भाजपा को हार का डर था इसलिए बदला था.

बता दें कि लोकसभा चुनाव में जिस तरीके से प्रदेश में कांग्रेस के हाथ से 25 की 25 सीटें चली गई थी, उसके बाद जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकार को यह फीडबैक दिया गया था कि अगर प्रत्यक्ष प्रणाली के तहत नगर निकाय चुनाव कराए जाते हैं तो प्रदेश में जिस तरह का माहौल है उसमें कांग्रेस के खाते में एक भी बोर्ड नहीं आएगा. संभवत यह भी एक वजह हो सकती है कि कांग्रेस को अप्रत्यक्ष चुनाव करवाने पड़ रहे है.

जयपुर. एक बार फिर ईटीवी भारत की खबर पर मुहर लगी है. प्रदेश में नगर निकाय में महापौर और सभापति के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे, ईटीवी भारत के जरिए सबसे पहले इस खबर को दिखाया गया था कि गहलोत सरकार अपने ही फैसले को बदलते हुए अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने को लेकर निर्णय ले सकती हैं. जिसके बाद सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में ईटीवी भारत की खबर पर मुहर लग गई.

अप्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे देश में महापौर और सभापति के चुनाव

बैठक में राजस्थान की गहलोत सरकार ने एक बार फिर निकाय चुनाव को लेकर लिए गए अपने फैसले को बदल दिया है. प्रदेश में अब अप्रत्यक्ष रूप से महापौर और सभापति के चुनाव होंगे. इससे पहले प्रदेश में गहलोत सरकार बनने के साथ ही पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने की नियमों में संशोधन करते हुए गहलोत सरकार विधानसभा में प्रत्यक्ष प्रणाली के साथ नगर निकाय चुनाव कराने को लेकर देख ले कर आई थी लेकिन सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने अपने ही फैसले को बदल दिया.

गहलोत सरकार की कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. जिनमें सबसे महत्वपूर्ण फैसला लिया गया कि प्रदेश में नवंबर माह में होने वाले निकाय चुनाव में महापौर और सभापति के चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होंगे. यानी अब पार्षद अपने मेयर और सभापति का चुनाव स्वयं करेंगे. दरअसल पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने प्रत्यक्ष रूप से महापौर और सभापति के चुनाव नियम में संशोधन करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने का निर्णय लिया था.
उसके बाद प्रदेश में हुए नगर निकाय चुनाव में अप्रत्यक्ष रूप से सभापति और महापौर चुने गए. 2018 में जैसे ही प्रदेश की सरकार बदली गहलोत सरकार ने पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के वक्त के फैसले को बदलते हुए नगर निकाय चुनाव में महापौर और सभापति का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली यानी सीधे मतदाता द्वारा चुने जाने का निर्णय लिया.

फिलहाल सरकार ने अपने इस महत्वपूर्ण फैसले को बदलते हुए एक बार फिर प्रदेश में अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने का निर्णय आज कैबिनेट बैठक में लिया. हालांकि सरकार की तरफ से इसके पीछे दलील दी जा रही है कि अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने को लेकर जनता और जनप्रतिनिधियों की राय ली गई है. सबकी सहमति मिलने के बाद यह निर्णय लिया गया है.

पढ़ें: बीकानेर-जयपुर हवाई सेवा बंद नहीं होगी, इसे निरंतर जारी रखने का करेंगे पूरा प्रयास : अर्जुन मेघवाल

यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने को इसकी वजह बताया है. इस दौरान शांति धारीवाल ने बीजेपी पर भी सरकार के इस फैसले के बाद आरोप का जवाब देते हुए कहा कि भाजपा को अपने शासनकाल को याद कर लेना चाहिए कि जब प्रदेश में प्रत्यक्ष रूप से महापौर सभापति के चुनाव कराए जा रहे थे तो फिर वसुंधरा सरकार आने के बाद इस नियम को बदला क्यों गया. क्या भाजपा को हार का डर था इसलिए बदला था.

बता दें कि लोकसभा चुनाव में जिस तरीके से प्रदेश में कांग्रेस के हाथ से 25 की 25 सीटें चली गई थी, उसके बाद जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकार को यह फीडबैक दिया गया था कि अगर प्रत्यक्ष प्रणाली के तहत नगर निकाय चुनाव कराए जाते हैं तो प्रदेश में जिस तरह का माहौल है उसमें कांग्रेस के खाते में एक भी बोर्ड नहीं आएगा. संभवत यह भी एक वजह हो सकती है कि कांग्रेस को अप्रत्यक्ष चुनाव करवाने पड़ रहे है.

Intro:जयपुर

ईटीवी भारत की खबर पर लगी मुहर , प्रदेश में होने महापौर और सभापति के चुनाव अप्रत्येक्ष प्रणाली से , कैबिनेट बैठक में हुआ यह फैसला

एंकर:- एक बार फिर ईटीवी भारत की खबर पर मुहर लगी है प्रदेश में नगर निकाय में महापौर और सभापति के चुनाव और प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे ईटीवी भारत में सबसे पहले इस खबर को ब्रेक किया था कि गहलोत सरकार अपने ही फैसले को बदलते हुए अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने को लेकर निर्णय ले सकते हैं आज हुई कैबिनेट बैठक में ईटीवी भारत की खबर पर मुहर लगी , बैठक में राजस्थान की गहलोत सरकार ने एक बार फिर निकाय चुनाव को लेकर लिए गए अपने फैसले को बदल दिया है , प्रदेश में अब अप्रत्यक्ष रूप से महापौर और सभापति के चुनाव होंगे इससे पहले प्रदेश में गहलोत सरकार बनने के साथ ही पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने की नियमों में संशोधन करते हुए गहलोत सरकार विधानसभा में प्रत्यक्ष प्रणाली के साथ नगर निकाय चुनाव कराने को लेकर देख ले कर आई थी , लेकिन आज हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने अपने ही फैसले को बदल दिया ।


Body:VO:- गहलोत सरकार की कैबिनेट बैठक में आज कई अहम फैसले लिए गए जिनमें सबसे महत्वपूर्ण फैसला लिया गया कि प्रदेश में नवंबर माह में होने वाले निकाय चुनाव में महापौर और सभापति के चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होंगे यानी अब पार्षद अपने मेयर और सभापति का चुनाव स्वयं करेंगे , दरअसल पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने प्रत्यक्ष रूप से महापौर और सभापति के चुनाव नियम में संशोधन करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने का निर्णय लिया था उसके बाद प्रदेश में हुए नगर निकाय चुनाव में अप्रत्यक्ष रूप से सभापति और महापौर चुने गए , लेकिन 2018 में जैसे ही प्रदेश की सरकार बदली गहलोत सरकार ने पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के वक्त के फैसले को बदलते हुए नगर निकाय चुनाव में महापौर और सभापति का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली यानी सीधे मतदाता द्वारा चुने जाने का निर्णय लिया , लेकिन गहलोत सरकार ने अपनी इस महत्वपूर्ण फैसले को बदलते हुए एक बार फिर प्रदेश में अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने का निर्णय आज कैबिनेट बैठक में लिया हालांकि सरकार की तरफ से इसके पीछे दलील दी जा रही है कि अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने को लेकर जनता और जनप्रतिनिधियों की राय ली गई है , सबकी सहमति मिलने के बाद यह निर्णय लिया गया है यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कैबिनेट खत्म होने के बाद मीडिया से वार्ता करते हुए बताया कि प्रदेश में अगर प्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराए जाते हैं तो कानून व्यवस्था बिगड़ सकती हैं सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है ऐसे में आम जनता और जनप्रतिनिधियों की भावनाओं को देखते हुए सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने का निर्णय लिया है , इस दौरान शांति धारीवाल ने बीजेपी पर भी हमला बोलते हुए कहा कि सरकार के इस फैसले के बाद बीजेपी आरोप लगा रही है कि हार के डर से कांग्रेस अपना फैसला बदल रही है तो उन्हें पहले अपने शासनकाल को याद कर लेना चाहिए कि जब प्रदेश में प्रत्यक्ष रूप से महापौर सभापति के चुनाव कराए जा रहे थे तो फिर वसुंधरा सरकार आने के बाद इस नियम को बदला क्यों गया , क्या उन्हें भी हार का डर था इसलिए बदला था ,

बाइट:- शांति धारीवाल - यूडीएच मंत्री


Conclusion:VO:- हम आपको बता दें कि ईटीवी भारत में सबसे पहले इस खबर को ब्रेक करते हुए बताया था कि प्रदेश में गहलोत सरकार निकाय चुनाव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कराने के निर्णय में बदलाव कर सकती है लोकसभा चुनाव में जिस तरीके से प्रदेश में कांग्रेस के हाथ से 25 की 25 सीटें चली गई थी उसके बाद जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकार को यह फीडबैक दिया गया था कि अगर प्रत्यक्ष प्रणाली के तहत नगर निकाय चुनाव कराए जाते हैं तो प्रदेश में जिस तरह का माहौल है उसमें कांग्रेस के खाते में एक भी बोर्ड नहीं आएगा , इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनाव कराने को लेकर सभी मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों से राय मशवरा करने के लिए यूट्यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को इसकी जिम्मेदारी दी थी , शांति धारीवाल ने सभी कैबिनेट मंत्रियों मंत्रिमंडल सदस्यों विधायकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से डीडबैक लेकर अपनी रिपोर्ट सीएम गहलोत की थी उस रिपोर्ट में सामने आया था कि सभी की इच्छा है कि चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराई जाए ,
Last Updated : Oct 14, 2019, 5:32 PM IST
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