जयपुर: राजस्थान में कर्मचारी आंदोलन की राह पर उतर (Millions of workers on the path of movement) आए हैं. चुनावी साल से पहले सरकार से टूटती आस ने कर्मचारियों को आंदोलन के लिए मजबूर कर दिया है. अब प्रदेश के नियमित और संविदा कर्मचारी वेतन विसंगति, पेंशन, ग्रामीण सेवा को प्रोत्साहन, प्रोवेशन पीरियड, पदोन्नति और स्थानांतरण नीति जैसी मांगों को लेकर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन कर रहे हैं. इसका आगाज बीते 14 सितंबर को सीएम के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने से हो चुका है. वहीं, 14 अक्टूबर यानी अगले बजट सत्र से पहले संभागवार धरना, राजधानी कूच से लेकर आमरण अनशन और सामूहिक कार्य बहिष्कार कर (Preparation for mass boycott) कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान किया है.
'जब-जब कर्मचारी बोला है, राजसिंहासन डोला है', राजस्थान में कर्मचारियों का ये नारा हमेशा से चर्चाओं में रहा है. ऐसे में एक बार फिर से प्रदेश में लाखों कर्मचारियों ने आवाज दो हम एक हैं के नारे के साथ आंदोलन का एलान किया है. सरकार के 4 साल पूरे होने को हैं, लेकिन नियमितीकरण की बाट जोह रहे संविदा, निविदा, मानदेय भोगी कर्मचारियों को कोई राहत नहीं मिल सकी है.
वहीं, नियमित कर्मचारियों की वेतन भत्तों की विसंगतियों का समाधान (Resolving discrepancies in pay allowances) कमेटियों में अटका हुआ है. यही नहीं कर्मचारियों का आरोप है कि उनकी जायज गैरवित्तीय समस्याओं का भी समाधान नहीं हो पाया है. इधर, वित्त विभाग की ओर से जारी एसीपी नियम संशोधन से लाखों कार्मिकों के मूल वेतन में 900 रुपए प्रतिमाह तक की कमी कर दी गई. ऐसे में अब अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के आह्वान पर प्रदेश व्यापी चरणबद्ध आंदोलन शुरू हो गया है.
चरणबद्ध आंदोलन की रूपरेखा
- सीएम के नाम जिला कलेक्टर्स को ज्ञापन
- 14 अक्टूबर से दिसंबर माह तक 6 संभागों में धरने की तैयारी
- तहसील स्तर पर ज्ञापन सौंपने की तैयारी
- फिर राजधानी में कर्मचारियों का कूच
- बजट सत्र से पहले अनिश्चितकालीन धरना और आमरण अनशन
- आवश्यकता पड़ने पर सामूहिक कार्य बहिष्कार
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राना ने बताया कि सरकार के खिलाफ चिकित्सा विभाग, शिक्षा विभाग, जलदाय, पशुपालन, सिंचाई, यूडीएच, महिला एवं बाल विकास और पंचायती राज विभाग से जुड़े नियमित और संविदा कर्मचारी आंदोलन में उतरेंगे. वहीं, महासंघ के प्रदेश महामंत्री विपिन शर्मा ने बताया कि इस आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है. सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए आंदोलन की चरणबद्ध रूपरेखा तैयार की गई है.
जानें क्या है कर्मचारियों की मांग
- खेमराज कमेटी की लाभकारी सिफारिशों को लागू करते हुए केंद्र के समान वेतन भत्तों में वृद्धि
- राज्य में केंद्र के समान 50% पेंशन परिणाम के लिए निर्धारित नियमित सेवा अवधि 28 साल से घटाकर 20 साल करने की मांग
- ग्रामीण क्षेत्रों में राजकीय सेवाओं को प्रोत्साहित करने को मूल वेतन का 20% ग्रामीण भत्ता देने की मांग
- 2 साल से ज्यादा की संविदा सेवा के बाद उसी पद पर नियमित होने वाले कार्मिकों का प्रोविजनल पीरियड खत्म करना
- सभी विभागों के कार्मिकों को सेवाकाल में न्यूनतम 3 पदोन्नति की नीति बनाना
- राज्य के सभी विभागों में स्थानांतरण नीति
- कर्मचारियों को गैर विभागीय कार्यों से मुक्त रखना
- कर्मचारी कल्याण बोर्ड का गठन करना