जयपुर. भगवान श्रीगणेश की पूजा करने से बुद्धि, विवेक की प्राप्ति होती है. भगवान श्रीगणेश प्रथम पूज्य देवता हैं. किसी भी कार्य को आरंभ करने से पहले श्रीगणेश का स्मरण करने से वह कार्य अवश्य पूर्ण होता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान को मोदक का भोग सबसे अधिक प्रिय है. इसलिए गणेश को प्रसन्न करने के लिए मोदक का भोग लगाया जाता है. मोदक को नारियल और घी से बनाया जाता है. मोदक भगवान गणेश का पसंदीदा माना जाता है. लेकिन इसके पीछे का कारण कुछ और भी है. पुराणों में भी मोदक का जिक्र किया गया है.
मोदक का अर्थ होता है, खुशी और भगवान गणेश को हमेशा खुश रहने वाला माना जाता है. इसी वजह से उन्हें मोदक का भोग लगाया जाता है. मोदक को ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है और भगवान गणेश को ज्ञान का देवता भी माना जाता है. इसलिए भी उनको मोदक का भोग लगता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक गणेश जी और परशुराम जी के बीच युद्ध हुआ था. जिससे गणपति जी के दांत टूट गए थे. दांत टूटने के कारण उनको खाने में काफी तकलीफ हो रही थी. जिसके बाद उनके लिए मां पार्वती ने मोदक बनाए. क्योंकि यह मोदक काफी मुलायम होता है. मुंह में जाते ही घुल जाता है. इसके बाद से मोदक भगवान का सबसे प्रिय भोजन बन गया.