जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग जयपुर- द्वितीय ने बीमा अवधि के दौरान कार चोरी होने के बावजूद भी वाहन मालिक को बीमा क्लेम नहीं देने को इंश्योरेंस कंपनी का सेवा दोष माना है. इसके साथ ही आयोग ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस को आदेश दिए हैं कि वह परिवादी को वाहन की क्लेम राशि 4.90 लाख रुपए परिवाद दायर करने की तारीख से नौ फीसदी ब्याज सहित अदा करे. वहीं आयोग ने परिवादी को हुई शारीरिक व मानसिक परेशानी के लिए बीमा कंपनी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि वह परिवादी को साठ हजार रुपए हर्जाने के तौर पर अलग से अदा करे.
आयोग ने यह आदेश हनुमान सहाय शर्मा के परिवाद पर दिए. आयोग अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना और सदस्य हेमलता अग्रवाल ने कहा कि बीमा कंपनी ने बीमित वाहन की क्षतिपूर्ति न देकर गंभीर सेवा दोष कारित किया है. यह अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस की श्रेणी में आता है. इसलिए बीमा कंपनी पर अलग से हर्जाना लगाया जाना उचित है. परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने अपनी कार का बीमा विपक्षी कंपनी से करवाया था. जिसकी अवधि 14 अप्रैल 2015 से 13 अप्रैल 2016 तक थी.
इस दौरान 13 अगस्त 2015 को कार की चाबी सर्विस सेंटर से गुम हो गई और वह दूसरी चाबी से घर पहुंचा. इस घटना के कुछ दिन बाद वह 24 मई 2015 को गांव महल जयपुर में किसी परिचित की शादी में आया. यहां उसकी कार चोरी हो गई. परिवादी ने तत्काल कार चोरी की रिपोर्ट प्रताप नगर थाने में दर्ज कराते हुए बीमा कंपनी को भी सूचित कर दिया. वहीं जब उसने बीमा कंपनी में क्लेम के लिए आवेदन किया तो बीमा कंपनी ने एक चाबी खोने के आधार पर क्लेम राशि की आधी राशि ही देने की बात कही. परिवादी ने इसे जिला उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी. जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने बीमा राशि ब्याज सहित अदा करने के साथ ही साठ हजार रुपए का हर्जाना भी देने को कहा है.