जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग जयपुर द्वितीय ने ग्राहक की ओर से बैंक में जमा कराई राशि उसके खाते में जमा नहीं करने को बैंक का सेवा दोष माना है. इसके साथ ही आयोग ने राजस्थान ग्रामीण मरूधरा ग्रामीण बैंक को निर्देश दिए हैं कि वह परिवादी को 98 हजार रुपए की जमा राशि नौ फीसदी ब्याज सहित अदा करे. इसके साथ ही बैंक हर्जाने के तौर पर 15 हजार रुपए अलग से अदा करे. आयोग के अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना व सदस्य हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश शंकर लाल माली के परिवाद पर दिए.
आयोग ने कहा कि राजस्थान ग्रामीण मरूधरा ग्रामीण बैंक के मैनेजर ने परिवादी व उसके परिजनों सहित अन्य ग्राहकों के खातों से राशि गबन की है. इस कारण बैंक मैनेजर को निलंबित कर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. मामले के जांच अधिकारी ने भी चार्जशीट में इसे सही माना है. ऐसे में जमा राशि ग्राहक के खाते में जमा नहीं कराना सेवा दोष है. परिवाद में कहा कि उसका विपक्षी बैंक की फागी ब्रांच में बचत खाता है.
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परिवादी ने 17 मार्च 2015 को खाते में 49 हजार रुपए जमा कराए. इसके बाद उसने कई बार बैंक में रुपए जमा कराए, लेकिन बैंक मैनेजर ने यह राशि उसके खाते में जमा नहीं कराई. कई बार संपर्क करने पर उसे बताया कि ब्रांच मैनेजर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है और वह भी गवाही के लिए उपस्थित हो. वह तय तारीख को जांच अधिकारी के पास उपस्थित हो गया और अपने पक्ष के साक्ष्य भी पेश कर दिए, लेकिन फिर भी उसके खाते में न तो 98 हजार रुपए जमा कराए और ना उसे लौटाए. जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने परिवादी को ब्याज सहित जमा राशि लौटाने और हर्जाना भी अदा करने को कहा है.