जयपुर. प्रदेश सरकार ने बाहरी प्रदेशों से आने वाले प्रवासियों को अनिवार्य रूप से क्वॉरेंटाइन करने के निर्देश दिए हैं. उसके लिए जिला उपखंड ग्राम पंचायत और वार्ड स्तर पर क्वॉरेंटाइन प्रबंध समितियों का गठन भी किया गया है. लेकिन प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ का आरोप है की इन समितियों में जनप्रतिनिधियों को महज सदस्य बनाकर उनका अपमान किया गया है. राठौड़ ने इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख कर सरकारी स्तर पर हुई इस भूल में सुधार करने की मांग की है.
राठौड़ ने अपने पत्र में लिखा कि जिला स्तर पर क्वॉरेंटाइन प्रबंध समिति में कलेक्टर को अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं उपखंड स्तरीय समिति में एसडीएम ग्राम पंचायत स्तरीय समिति में प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी और वार्ड स्तरीय समिति में बूथ लेवल अधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है. जबकि इन समितियों में जनप्रतिनिधियों को मैसेज सदस्य के रूप में शामिल किया गया है जो बेहद निंदनीय है. राठौड़ के अनुसार लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनप्रतिनिधि का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान होता है और इन समितियों में नौकरशाहों के अधीनस्थ सदस्य बनाकर सरकार ने लोकतंत्र में चुने हुए जनप्रतिनिधियों का अपमान किया है. ऐसे में सरकार से आग्रह है कि वह सभी वारंटी प्रबंध समितियों में अध्यक्ष जनप्रतिनिधियों द्वारा किए जाने के निर्देश दें.
4 हजार बसों का वादा रहा अधूरा
प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री गहलोत को प्रवासी राजस्थानीओं को लाए जाने के लिए 4000 बसों की व्यवस्था करने का अपना वादा भी याद दिलाया. राठौड़ ने कहा कि अब यह वादा महज पांच ट्रेन में बदल गया है. वहीं मुख्यमंत्री के हाल ही में दिए गए बयान से भी प्रवासी मजदूरों में निराशा आई है. राठौड़ के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा था कि करीब 19 लाख प्रवासियों को देखते हुए इन्हें एक साथ राजस्थान में ला पाना मुश्किल होगा. ऐसे में कई महीनों का समय लग सकता है. जिसके बाद निराश प्रवासी पैदल ही अपने-अपने स्थानों से निकल पड़े. राठौड़ ने अपने पत्र में प्रदेश सरकार से निवेदन किया कि मौजूदा स्थिति में सरकार प्रवासी श्रमिकों को लाने वाले जाने में असमर्थता प्रकट कर, उन्हें अपने ही साधनों और वाहनों से घर आने जाने की अनुमति प्रदान करें. राठौड़ ने अंत में लिखा की उम्मीद है कि मुख्यमंत्री जी मेरे विचारों पर अवश्य कोई कार्रवाई करेंगे और मेरे सुझाव को अन्यथा नहीं लेंगे.