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स्पेशल: 'परमाणु', 'परीक्षण', 'परीक्षा', 'पहचान' और 'परेशानी', कुछ ऐसा रहा पोकरण के खेतोलाई गांव के 22 साल का सफर..

खेतोलाई गांव के नजदीक पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में हुए परमाणु बमों के परीक्षण की आज 22वीं वर्षगांठ है. विश्वस्तर पर अपनी पहचान स्थापित करने वाला ये गांव 22 साल बाद भी सुविधाओं और विकास की दौड़ में काफी पीछे छूट चुका है. ग्रामीणों का कहना है कि यहां परमाणु परीक्षण के बाद कई तरह की बीमारियां देखने को मिली हैं. लेकिन इतने साल बाद भी सरकार की ओर से यहां के लिए कोई खास कदम नहीं उठाए गए. देखिए रिपोर्ट..

22nd anniversary of nuclear testing, Nuclear test in Khetolai village
परमाणु परीक्षण की 22वीं वर्षगांठ
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Published : May 11, 2020, 2:01 PM IST

Updated : May 11, 2020, 3:27 PM IST

पोकरण (जैसलमेर). 11 मई, 1998 का दिन. ये वो दिन है जो भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों के रूप में दर्ज. आज ही के दिन भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना था. परमाणु परीक्षण की आज 22वीं वर्षगांठ है. इस अवसर पर ईटीवी भारत ने परमाणु परीक्षण क्षेत्र में जा कर लोगों से बातचीत की और यहां के हालातों का जायजा लिया. खेतोलाई गांव के नजदीक पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में आज के ही दिन हुए परमाणु बमों के परीक्षण से ये गांव अचानक सुर्खियों में आ गया.

परमाणु परीक्षण की 22वीं वर्षगांठ पर देखिए ये रिपोर्ट

देखते ही देखते गांव ने विश्वस्तर पर अपनी पहचान स्थापित की और बड़े से बड़े सैन्य अधिकारियों, नेताओं, वैज्ञानिकों, प्रशासनिक अधिकारियों और मीडिया के लोगों का यहां जमावड़ा लग गया. लेकिन इन सब के बावजूद आज भी यहां के हालात जस के तस हैं. 22 साल बाद भी सुविधाओं से महरूम खेतोलाई गांव के लोगों से ईटीवी भारत ने बातचीत की और यहां के हालातों को समझा.

22 साल बाद भी सुविधाओं का 'टोटा'

ग्रामीणों का कहना है कि परमाणु परीक्षण स्थल के सबसे नजदीक गांव खेतोलाई को देश के प्रधानमंत्री की ओर से गोद लेने की कई बार मांग की गई. लेकिन इस बारे में ना तो केंद्र सरकार ने सोचा और ना ही राज्य सरकार ने. ग्रामीणों का मानना है कि परीक्षण के बाद से ही क्षेत्र में व्यक्तियों और पशुओं में चर्म रोग, कैंसर, पशुओं में गांठे, गर्भपात जैसी बीमारियां देखने को मिल रही है.

22nd anniversary of nuclear testing, Nuclear test in Khetolai village
परीक्षण सफल होने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

ये भी पढ़ें- स्पेशल: भीलवाड़ा के बाद अब राजस्थान में छाया 'बयाना मॉडल'

ऐसे में सरकार को चाहिए कि प्रत्येक छह माह में क्षेत्र के हवा, पानी, वातावरण, पेड़-पौधों और वनस्पतियों की विशेषज्ञों से जांच करवाएं. ग्रामीणों का मानना है कि परमाणु विकिरण से फैलने वाली बीमारियों को लेकर उपखंड मुख्यालय पर विशेष जांच की व्यवस्था की जानी चाहिए. लेकिन 22 सालों बाद भी कोई इन मांगों पर ध्यान नहीं दे रहा है.

ग्रामीणों का कहना है कि परमाणु परीक्षण के बाद खेतोलाई गांव को सभी लोग भूल गए हैं. यहां अब तक कई लोगों की कैंसर और ह्रदय घात जैसे रोगों से मौत हो चुकी है. लेकिन रेडिएशन जांच की पुख्ता व्यवस्था नहीं होने के कारण यह कह पाना भी मुश्किल है कि इनमें कैंसर और ह्रदय घात जैसे रोग कैसे फैल रहे हैं.

22nd anniversary of nuclear testing, Nuclear test in Khetolai village
11 मई और 13 मई को हुए थे परीक्षण

वर्षगांठ मनाने की मांग, लेकिन सुनवाई नहीं

ग्रामीणों ने 11 मई को राष्ट्रीय गौरव दिवस घोषित कर केंद्र सरकार की ओर से खेतोलाई गांव में राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम आयोजित कर परमाणु परीक्षण की प्रतिवर्ष वर्षगांठ मनाने और गांव में विशेष कार्यक्रम का आयोजन करने की भी कई बार मांग की है. लेकिन उस पर आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई.

खेतोलाई गांव के लोगों का कहना है कि यह दिन उनके लिए गौरवशाली है. इस दिन के बाद ही उनके गांव का नाम विश्व पटल पर आया था. ग्रामीणों ने बताया कि इस वक्त कोरोना संक्रमण के काल में परमाणु परीक्षण की 22वीं वर्षगांठ को सरकारी निर्देशों की पालना करते हुए अपने-अपने घरों में मनाने के लिए लोगों से अपील की जा रही है.

22nd anniversary of nuclear testing, Nuclear test in Khetolai village
पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में जमा भीड़

ये भी पढ़ें- MOTHERS DAY: वृद्धाश्रम में अपनों की राह तकती रही ये बूढ़ी मां...

11 मई, 1998 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत की सामरिक शक्ति का लोहा पूरे विश्व में मनवाते हुए पोकरण की भूमि पर सिलसिलेवार परमाणु परीक्षण किए थे. आज से 22 वर्ष पूर्व 11 और 13 मई को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में लगातार पांच परमाणु बमों के धमाके कर भारत एक बार फिर परमाणु शक्ति के रूप में उभरकर सामने आया था.

इस परीक्षण को परमाणु शक्ति-2 नाम दिया गया था. 1998 में हुए परमाणु परीक्षण के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने पोकरण में सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि एक बार फिर पोकरण की इस पावन धरा पर बुद्ध मुस्कुराया है.

22nd anniversary of nuclear testing, Nuclear test in Khetolai village
परीक्षण के बाद जमीन की स्थिति

पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के निकट किए गए परमाणु धमाकों के बाद विश्वस्तर पर पहचान बना चुके पोकरण उपखंड के खेतोलाई गांव के लोग आज भी उस शौर्य और शक्ति दिवस को याद कर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं.

ये भी पढ़ें- स्पेशल: 51 दिन से बंद है बाबा खाटूश्याम के पट, कोरोड़ों रुपए का हो रहा नुकसान

TV से मिली परमाणु परीक्षण की जानकारी

ईटीवी भारत की टीम ने खेतोलाई गांव पहुंच कर 22 वर्ष पूर्व हुए परमाणु परीक्षण के बारे में लोगों से बातचीत की. इस दौरान लोगों ने बताया कि परमाणु परीक्षण कार्यक्रम को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज के सबसे नजदीक गांव खेतोलाई में बहुत ही गुप्त रखा गया था. इसकी भनक किसी को भी नहीं लगी कि भारत सरकार परमाणु परीक्षण करने जा रही है.

वहीं, जब कुछ ही देर बाद टीवी चैनलों और रेडियो पर प्रधानमंत्री ने पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में किए गए परमाणु परीक्षण की जानकारी दी, तो खेतोलाई गांव के लोगों को पता चला और उनका गांव एकाएक सुर्खियों में आ गया. परमाणु परीक्षण के बाद पोकरण के साथ-साथ खेतोलाई को भी एक नई पहचान मिली. लेकिन परमाणु परीक्षण के 22 साल बाद भी यहां के हालात जस के तस बने हुए हैं. यहां पहचान और विकास के नाम पर सिर्फ और सिर्फ पुरानी यादें हैं.

पोकरण (जैसलमेर). 11 मई, 1998 का दिन. ये वो दिन है जो भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों के रूप में दर्ज. आज ही के दिन भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना था. परमाणु परीक्षण की आज 22वीं वर्षगांठ है. इस अवसर पर ईटीवी भारत ने परमाणु परीक्षण क्षेत्र में जा कर लोगों से बातचीत की और यहां के हालातों का जायजा लिया. खेतोलाई गांव के नजदीक पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में आज के ही दिन हुए परमाणु बमों के परीक्षण से ये गांव अचानक सुर्खियों में आ गया.

परमाणु परीक्षण की 22वीं वर्षगांठ पर देखिए ये रिपोर्ट

देखते ही देखते गांव ने विश्वस्तर पर अपनी पहचान स्थापित की और बड़े से बड़े सैन्य अधिकारियों, नेताओं, वैज्ञानिकों, प्रशासनिक अधिकारियों और मीडिया के लोगों का यहां जमावड़ा लग गया. लेकिन इन सब के बावजूद आज भी यहां के हालात जस के तस हैं. 22 साल बाद भी सुविधाओं से महरूम खेतोलाई गांव के लोगों से ईटीवी भारत ने बातचीत की और यहां के हालातों को समझा.

22 साल बाद भी सुविधाओं का 'टोटा'

ग्रामीणों का कहना है कि परमाणु परीक्षण स्थल के सबसे नजदीक गांव खेतोलाई को देश के प्रधानमंत्री की ओर से गोद लेने की कई बार मांग की गई. लेकिन इस बारे में ना तो केंद्र सरकार ने सोचा और ना ही राज्य सरकार ने. ग्रामीणों का मानना है कि परीक्षण के बाद से ही क्षेत्र में व्यक्तियों और पशुओं में चर्म रोग, कैंसर, पशुओं में गांठे, गर्भपात जैसी बीमारियां देखने को मिल रही है.

22nd anniversary of nuclear testing, Nuclear test in Khetolai village
परीक्षण सफल होने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

ये भी पढ़ें- स्पेशल: भीलवाड़ा के बाद अब राजस्थान में छाया 'बयाना मॉडल'

ऐसे में सरकार को चाहिए कि प्रत्येक छह माह में क्षेत्र के हवा, पानी, वातावरण, पेड़-पौधों और वनस्पतियों की विशेषज्ञों से जांच करवाएं. ग्रामीणों का मानना है कि परमाणु विकिरण से फैलने वाली बीमारियों को लेकर उपखंड मुख्यालय पर विशेष जांच की व्यवस्था की जानी चाहिए. लेकिन 22 सालों बाद भी कोई इन मांगों पर ध्यान नहीं दे रहा है.

ग्रामीणों का कहना है कि परमाणु परीक्षण के बाद खेतोलाई गांव को सभी लोग भूल गए हैं. यहां अब तक कई लोगों की कैंसर और ह्रदय घात जैसे रोगों से मौत हो चुकी है. लेकिन रेडिएशन जांच की पुख्ता व्यवस्था नहीं होने के कारण यह कह पाना भी मुश्किल है कि इनमें कैंसर और ह्रदय घात जैसे रोग कैसे फैल रहे हैं.

22nd anniversary of nuclear testing, Nuclear test in Khetolai village
11 मई और 13 मई को हुए थे परीक्षण

वर्षगांठ मनाने की मांग, लेकिन सुनवाई नहीं

ग्रामीणों ने 11 मई को राष्ट्रीय गौरव दिवस घोषित कर केंद्र सरकार की ओर से खेतोलाई गांव में राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम आयोजित कर परमाणु परीक्षण की प्रतिवर्ष वर्षगांठ मनाने और गांव में विशेष कार्यक्रम का आयोजन करने की भी कई बार मांग की है. लेकिन उस पर आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई.

खेतोलाई गांव के लोगों का कहना है कि यह दिन उनके लिए गौरवशाली है. इस दिन के बाद ही उनके गांव का नाम विश्व पटल पर आया था. ग्रामीणों ने बताया कि इस वक्त कोरोना संक्रमण के काल में परमाणु परीक्षण की 22वीं वर्षगांठ को सरकारी निर्देशों की पालना करते हुए अपने-अपने घरों में मनाने के लिए लोगों से अपील की जा रही है.

22nd anniversary of nuclear testing, Nuclear test in Khetolai village
पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में जमा भीड़

ये भी पढ़ें- MOTHERS DAY: वृद्धाश्रम में अपनों की राह तकती रही ये बूढ़ी मां...

11 मई, 1998 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत की सामरिक शक्ति का लोहा पूरे विश्व में मनवाते हुए पोकरण की भूमि पर सिलसिलेवार परमाणु परीक्षण किए थे. आज से 22 वर्ष पूर्व 11 और 13 मई को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में लगातार पांच परमाणु बमों के धमाके कर भारत एक बार फिर परमाणु शक्ति के रूप में उभरकर सामने आया था.

इस परीक्षण को परमाणु शक्ति-2 नाम दिया गया था. 1998 में हुए परमाणु परीक्षण के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने पोकरण में सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि एक बार फिर पोकरण की इस पावन धरा पर बुद्ध मुस्कुराया है.

22nd anniversary of nuclear testing, Nuclear test in Khetolai village
परीक्षण के बाद जमीन की स्थिति

पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के निकट किए गए परमाणु धमाकों के बाद विश्वस्तर पर पहचान बना चुके पोकरण उपखंड के खेतोलाई गांव के लोग आज भी उस शौर्य और शक्ति दिवस को याद कर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं.

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TV से मिली परमाणु परीक्षण की जानकारी

ईटीवी भारत की टीम ने खेतोलाई गांव पहुंच कर 22 वर्ष पूर्व हुए परमाणु परीक्षण के बारे में लोगों से बातचीत की. इस दौरान लोगों ने बताया कि परमाणु परीक्षण कार्यक्रम को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज के सबसे नजदीक गांव खेतोलाई में बहुत ही गुप्त रखा गया था. इसकी भनक किसी को भी नहीं लगी कि भारत सरकार परमाणु परीक्षण करने जा रही है.

वहीं, जब कुछ ही देर बाद टीवी चैनलों और रेडियो पर प्रधानमंत्री ने पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में किए गए परमाणु परीक्षण की जानकारी दी, तो खेतोलाई गांव के लोगों को पता चला और उनका गांव एकाएक सुर्खियों में आ गया. परमाणु परीक्षण के बाद पोकरण के साथ-साथ खेतोलाई को भी एक नई पहचान मिली. लेकिन परमाणु परीक्षण के 22 साल बाद भी यहां के हालात जस के तस बने हुए हैं. यहां पहचान और विकास के नाम पर सिर्फ और सिर्फ पुरानी यादें हैं.

Last Updated : May 11, 2020, 3:27 PM IST
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