जयपुर. प्रदेश में बढ़ रहे बिजली हादसा को रोकने के लिए अब डिस्कॉम ने सख्त रुख अपना लिया है. खासतौर पर इन हादसों के पीछे होने वाली लापरवाही रोकने के लिए डिस्कॉम ने बकायदा सर्कुलर जारी किया है और यह साफ कर दिया है कि जो इंजीनियर हाथों के पीछे सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे, हर्जाना राशि उनसे ही वसूली जाएगी और उनपर सख्त कानूनी कार्रवाई भी होगी.
बने हैं शटडाउन से जुड़े नियम,नहीं होते फॉलो
दरअसल पिछले कुछ माह में प्रदेश में बिजली से जुड़े हादसे देखने को मिले हैं, जिसमें डिस्कॉम के कर्मचारियों के साथ ही इस काम में जुटे ठेका कर्मियों की भी जान गई है. इस प्रकार के हादसों में डिस्कॉम को भारी भरकम मुआवजा भी देना पड़ता है लेकिन इन हादसों के पीछे एक बड़ी वजह है इंजीनियर और बिजली कर्मियों की लापरवाही. बता दें कि बिजली से जुड़ा काम तभी होता है जब 11 और 33 केवी जीएसएस शट डाउन पर लिया जाता है, जब उसे शटडाउन पर लिया जाए और शट डाउन के लिए पहले से नियम तय हैं.
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जयपुर डिस्कॉम प्रबंध निदेशक ए के गुप्ता के अनुसार शटडाउन हमेशा संबंधित जीएसएस के कनिष्ठ अभियंता ही लेता है और इसका समय भी तय है. जिसकी एंट्री वह रखे लॉगबुक में भी होती है लेकिन कई बार बिजली कर्मचारी या ठेका कर्मी अति उत्साह में पूर्व निर्धारित शटडाउन को ध्यान में रखते हुए ही बिना सूचना दिए बिजली का काम शुरू कर देते हैं और इस प्रकार के हादसे हो जाते हैं. वहीं कई बार कनिष्ठ अभियंता की सूचना के बिना ही जीएसएस के कर्मचारी अपने स्तर पर शटडाउन ले लेते हैं जो भी नियम के अनुरूप गलत है.
बता दें कि11 और 33 केवी जीएसएस की लहरों पर काम के दौरान हुए हादसों में अब तक डिस्कॉम लाखों रुपए मुआवजे के रूप में दे चुका है और बाद में इन प्रकरणों की जांच में यह भी सामने आया है कि लापरवाही डिस्कॉम कर्मचारी या शटडाउन के नियमों के विपरीत हुए काम के कारण हुई है. यही कारण है कि अब तय किया जा रहा है कि इस प्रकार के हादसों में शटडाउन के नियमों की अवहेलना में जिस भी कर्मचारी या इंजीनियर की लापरवाही सामने आएगी उससे इस संपूर्ण घटनाक्रम में हताहत होने वाले लोगों को दिया जाने वाले मुआवजा की राशि वसूल होगी. मुआवजा राशि वसूली के साथ ही कानूनी रूप से कार्रवाई भी की जाएगी ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं ना हो.
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जानकारी के अनुसार शटडाउन के नियम भी बने हैं और काम के दौरान क्या सावधानियां बरतनी है इसकी ट्रेनिंग भी बिजली कर्मियों को समय-समय पर दी जाती है. अब चुकी हादसों की संख्या बढ़ रही है लिहाजा ट्रेनिंग प्रोग्राम भी फिर से शुरू कर दी गई है. वहीं संबंधित सर्किल के ऐसी से लेकर चीफ इंजीनियर तक और एमडी तक अपने क्षेत्र के जीएसएस का औचक निरीक्षण कर इन तमाम व्यवस्थाओं को देख रहे हैं ताकि शटडाउन के नियम भी फॉलो हो और हादसों पर भी लगाम लगाई जा सके.