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प्रदेश में हर साल सड़क हादसों में जान गंवा रहे 10000 लोग, प्रदेश की जीडीपी को हो रहा नुकसानः डीजीपी - सड़क हादसों पर अंकुश

प्रदेश के डीजीपी उमेश मिश्रा का कहना है कि राजस्थान में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों का आंकड़ा बढ़ रहा है. इन हादसों का प्रदेश की जीडीपी पर भी इसका गहरा असर पड़ता है.

DGP Umesh Mishra on road accidents in state, says it effects GDP of state
प्रदेश में हर साल सड़क हादसों में जान गंवा रहे 10000 लोग, प्रदेश की जीडीपी को हो रहा नुकसानः डीजीपी
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Published : Jun 6, 2023, 9:24 PM IST

जयपुर. राजस्थान में लाल होती सड़कों पर तड़पकर जान गंवाने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस पर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) उमेश मिश्रा ने चिंता जताई है और कहा है कि सरल, सुगम और सुरक्षित यातायात पुलिस की प्राथमिकता है. वे मंगलवार को पुलिस मुख्यालय में सड़क सुरक्षा कंसल्टेशन मीटिंग को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि लगातार बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और इनमें मौत के आंकड़ों पर अंकुश लगाने में आमजन की सहभागिता जरूरी है.

पुलिस की यातायात शाखा और स्वयंसेवी संस्था मुस्कान की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में डीजीपी ने कहा कि राजस्थान पुलिस ने साल 2023 के लिए जो पांच प्राथमिकताएं तय की हैं. उनमें सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम करना प्रमुख है. उन्होंने बताया साल 2021 में 9055 जानलेवा हादसे हुए. इसके लिहाज से राजस्थान का देश में छठा स्थान था. राजस्थान में पिछले कई सालों से हर साल करीब 10000 लोगों की मौत सड़क हादसों में हो रही है. साल 2022 में हुए सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों में करीब एक चौथाई लोग 18 से 25 साल की उम्र के थे. इस पर गहरी चिंता जताते हुए डीजीपी ने कहा कि गंभीर सड़क दुर्घटनाओं के कारण प्रदेश की जीडीपी को करीब तीन फीसदी नुकसान हो रहा है.

पढ़ेंः IIT मद्रास लाएगी सड़क हादसों में कमी...जयपुर में ही इस साल अगस्त तक 373 लोगों की मौत

ये हैं सड़क सुरक्षा के चार मजबूत स्तंभः डीजीपी उमेश मिश्रा ने बताया कि सड़क सुरक्षा के चार मजबूत स्तंभ माने जाते हैं. इनमें सड़क और वाहन इंजीनियरिंग, मोटर वाहन अधिनियमों और नियमों की पालना, सड़क पर चलने वाले लोगों की शिक्षा और हादसा होने पर जान बचाने के लिए आपातकालीन देखभाल शामिल है. उन्होंने कहा कि आपातकालीन देखभाल के लिए सभी को जीवन रक्षक अभ्यासों की जानकारी होना जरूरी है. सड़क हादसों पर अंकुश लगाने और सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए सड़क सुरक्षा ऑडिट किया गया है. अल्पकालिक सुधार के साथ ही दीर्घकालीन सुधार भी शुरू हुए हैं. उन्होंने एमएनआईटी के प्रोफेसर बीएल स्वामी और मुस्कान की ट्रस्टी मृदुल भसीन का आभार जताया.

पढ़ेंः लर्निंग लाइसेंस ऑनलाइन होने से हो सकती है सड़क हादसों में बढ़ोतरी : मोटर ड्राइविंग स्कूल एसोसिएशन

संयुक्त राष्ट्र भी है चिंतितः मुस्कान के चेयरमैन व सेवानिवृत्त डीजीपी मनोज भट्ट ने कहा कि व्यापक सामूहिक प्रयासों से सड़क हादसों में होने वाली मौतों के आंकड़े को कम किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक दशक में सड़क हादसों में होने वाली मौतों के आंकड़े को आधा करने का लक्ष्य तय किया था, लेकिन इसे कही भी अर्जित नहीं किया जा सका. राजस्थान में किए गए प्रयासों के परिणाम स्वरूप हादसों में हर साल होने वाली 10 हजार मौतों में कमी लाई जा सकी है. उन्होंने इस दिशा में अधिकाधिक युवाओं को प्रेरित करने पर जोर दिया है.

पढ़ेंः जयपुर में इस साल सड़क हादसों में 500 लोगों की हो चुकी है मौत, यातायात सुरक्षा नियमों को लेकर पुलिस ने शुरू किया जागरूकता अभियान

मरने वालों में 47 फीसदी दुपहिया वाहन चालकः एडीजी (ट्रैफिक) वीके सिंह ने कंसल्टेशन मीटिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी. मुस्कान ट्रस्ट के शांतनु भसीन ने बताया कि मुस्कान संस्था 11 प्रदेशों में सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काम कर रही है. उन्होंने बताया कि सड़क हादसों में 43 फीसदी मौतें दुपहिया वाहन चालकों की होती है और करीब 27 फीसदी लोगों की मौत का कारण हेलमेट नहीं पहनना होता है.

जयपुर. राजस्थान में लाल होती सड़कों पर तड़पकर जान गंवाने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस पर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) उमेश मिश्रा ने चिंता जताई है और कहा है कि सरल, सुगम और सुरक्षित यातायात पुलिस की प्राथमिकता है. वे मंगलवार को पुलिस मुख्यालय में सड़क सुरक्षा कंसल्टेशन मीटिंग को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि लगातार बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और इनमें मौत के आंकड़ों पर अंकुश लगाने में आमजन की सहभागिता जरूरी है.

पुलिस की यातायात शाखा और स्वयंसेवी संस्था मुस्कान की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में डीजीपी ने कहा कि राजस्थान पुलिस ने साल 2023 के लिए जो पांच प्राथमिकताएं तय की हैं. उनमें सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम करना प्रमुख है. उन्होंने बताया साल 2021 में 9055 जानलेवा हादसे हुए. इसके लिहाज से राजस्थान का देश में छठा स्थान था. राजस्थान में पिछले कई सालों से हर साल करीब 10000 लोगों की मौत सड़क हादसों में हो रही है. साल 2022 में हुए सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों में करीब एक चौथाई लोग 18 से 25 साल की उम्र के थे. इस पर गहरी चिंता जताते हुए डीजीपी ने कहा कि गंभीर सड़क दुर्घटनाओं के कारण प्रदेश की जीडीपी को करीब तीन फीसदी नुकसान हो रहा है.

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ये हैं सड़क सुरक्षा के चार मजबूत स्तंभः डीजीपी उमेश मिश्रा ने बताया कि सड़क सुरक्षा के चार मजबूत स्तंभ माने जाते हैं. इनमें सड़क और वाहन इंजीनियरिंग, मोटर वाहन अधिनियमों और नियमों की पालना, सड़क पर चलने वाले लोगों की शिक्षा और हादसा होने पर जान बचाने के लिए आपातकालीन देखभाल शामिल है. उन्होंने कहा कि आपातकालीन देखभाल के लिए सभी को जीवन रक्षक अभ्यासों की जानकारी होना जरूरी है. सड़क हादसों पर अंकुश लगाने और सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए सड़क सुरक्षा ऑडिट किया गया है. अल्पकालिक सुधार के साथ ही दीर्घकालीन सुधार भी शुरू हुए हैं. उन्होंने एमएनआईटी के प्रोफेसर बीएल स्वामी और मुस्कान की ट्रस्टी मृदुल भसीन का आभार जताया.

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संयुक्त राष्ट्र भी है चिंतितः मुस्कान के चेयरमैन व सेवानिवृत्त डीजीपी मनोज भट्ट ने कहा कि व्यापक सामूहिक प्रयासों से सड़क हादसों में होने वाली मौतों के आंकड़े को कम किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक दशक में सड़क हादसों में होने वाली मौतों के आंकड़े को आधा करने का लक्ष्य तय किया था, लेकिन इसे कही भी अर्जित नहीं किया जा सका. राजस्थान में किए गए प्रयासों के परिणाम स्वरूप हादसों में हर साल होने वाली 10 हजार मौतों में कमी लाई जा सकी है. उन्होंने इस दिशा में अधिकाधिक युवाओं को प्रेरित करने पर जोर दिया है.

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मरने वालों में 47 फीसदी दुपहिया वाहन चालकः एडीजी (ट्रैफिक) वीके सिंह ने कंसल्टेशन मीटिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी. मुस्कान ट्रस्ट के शांतनु भसीन ने बताया कि मुस्कान संस्था 11 प्रदेशों में सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काम कर रही है. उन्होंने बताया कि सड़क हादसों में 43 फीसदी मौतें दुपहिया वाहन चालकों की होती है और करीब 27 फीसदी लोगों की मौत का कारण हेलमेट नहीं पहनना होता है.

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