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स्पेशल रिपोर्ट: ई-भुगतान से भगवान को भेंट चढ़ाना भक्तों को आ रहा रास

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Published : Nov 29, 2019, 11:08 PM IST

डिजिटल इंडिया के जमाने में अब भक्त भगवान के चरणों में या दान पेटी में नहीं बल्कि, सीधे भगवान के खाते में भेंट जमा करवा सकते हैं. सदियों से भगवान को भेंट चढ़ाने की परंपरा ने अब समय के साथ नया रूप ले लिया है. पढ़ें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

वेबसाइट के जरिए मंदिरों में चढ़ेगी भेंट, Devotees will be able to donate money to temples through the website
देवस्थान वेबसाइट के जरिए भक्त कर सकेंगे ई-भुगतान

जयपुर. मनोकामना के लिए अपने आराध्य के पास जाकर चरणों में भेंट चढ़ाना अब पुराने जमाने की बात हो गई है. डिजिटल इंडिया के जमाने में अब भक्त भगवान के चरणों में या दान पेटी में नहीं बल्कि, सीधे भगवान के खाते में भेंट जमा करवा सकते हैं. सदियों से भगवान को भेंट चढ़ाने की परंपरा ने अब समय के साथ नया रूप ले लिया है.

पहले भक्तों को अपने भगवान के चरणों में भेंट चढ़ाने के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था. लेकिन देवस्थान विभाग ने गत वर्ष ई-भुगतान से भेंट चढ़ाने की सुविधा शुरू कर भगवान और भक्त के बीच की दूरी को खत्म कर दिया है. अब भक्त जब चाहे तब चंद मिनटों में अपने अनुसार राशि को भेंट स्वरूप चढ़ा सकते हैं.

ई-भुगतान से भगवान को भेंट चढ़ाना भक्तों को आ रहा रास

खास बात यह है कि यह राशि सीधे भगवान के खाते में ही जाती है. राजस्थान में भगवान के नाम पर ऑनलाइन दान करने वाले भक्तों की संख्या अब बढ़ने लगी है. एक साल पहले शुरू की गई योजना अब भक्तों को रास आने लगी है. जिसके तहत एक साल में 1 लाख 3 हजार 175 भक्तों ने ई भुगतान से भेंट अर्पित की है.

पढ़ें- स्पेशल: एक मंदिर...जहां बलि के बाद भी लोग हो जाते थे जिंदा!

बता दें कि देवस्थान विभाग ने अपनी वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन दान देने की व्यवस्था शुरू की है. जिसके तहत विभाग की सूची में अभी केवल राजस्थान के 24 प्रमुख मंदिरों, तीर्थ स्थलों के अलावा 34 देवी-देवताओं को शामिल किया गया है. शुरू में इस योजना को ज्यादा रिस्पांस नहीं मिला, लेकिन अब ये योजना भक्तों को खूब रास आ रही है.

वेबसाइट के जरिए किया गया दान

ई-भुगतान (रु.) नगद (रु.) दान पेटी (रु.) कुल (रु.)
इस महीने 3439 0 0 3439
इस साल 103175 112 101136 204423
अब तक कुल दान 106859 200112 301679 608650

ऑनलाइन रूप से दान करने की यह है प्रकिया...देखें वीडियो

देवस्थान विभाग ने गत वर्ष शुरू की ई-भुगतान से भेंट चढ़ाने की सुविधा

वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन दान देने पर पूरा हिसाब भी रिकॉर्ड पर रहता है. साथ ही ई- भुगतान प्रणाली में मंदिर ट्रस्ट इस भेंट राशि को अपनी मर्जी से खर्च ना कर भक्त के दान करते समय दर्ज किए गए प्रयोजन में ही खर्च करनी होती है. भक्त भगवान का प्रायोजन भोग, गायों को चारा, गरीबों के भोजन, पक्षियों के लिए दाना, वस्त्र से लेकर पुनर्वास तक के लिए ऑनलाइन भेंट कर रहे हैं.

इससे भक्त और मंदिर ट्रस्ट दोनों का ही फायदा हो रहा है. विभाग की वेबसाइट पर जाकर भक्त सूची में शामिल किसी भी मंदिर में ऑनलाइन दान कर सकते हैं. इसमें खास बात यह है कि इसमें दानदाता को दान का उद्देश्य और प्रयोजन भी पूछा जाता है.

जयपुर. मनोकामना के लिए अपने आराध्य के पास जाकर चरणों में भेंट चढ़ाना अब पुराने जमाने की बात हो गई है. डिजिटल इंडिया के जमाने में अब भक्त भगवान के चरणों में या दान पेटी में नहीं बल्कि, सीधे भगवान के खाते में भेंट जमा करवा सकते हैं. सदियों से भगवान को भेंट चढ़ाने की परंपरा ने अब समय के साथ नया रूप ले लिया है.

पहले भक्तों को अपने भगवान के चरणों में भेंट चढ़ाने के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था. लेकिन देवस्थान विभाग ने गत वर्ष ई-भुगतान से भेंट चढ़ाने की सुविधा शुरू कर भगवान और भक्त के बीच की दूरी को खत्म कर दिया है. अब भक्त जब चाहे तब चंद मिनटों में अपने अनुसार राशि को भेंट स्वरूप चढ़ा सकते हैं.

ई-भुगतान से भगवान को भेंट चढ़ाना भक्तों को आ रहा रास

खास बात यह है कि यह राशि सीधे भगवान के खाते में ही जाती है. राजस्थान में भगवान के नाम पर ऑनलाइन दान करने वाले भक्तों की संख्या अब बढ़ने लगी है. एक साल पहले शुरू की गई योजना अब भक्तों को रास आने लगी है. जिसके तहत एक साल में 1 लाख 3 हजार 175 भक्तों ने ई भुगतान से भेंट अर्पित की है.

पढ़ें- स्पेशल: एक मंदिर...जहां बलि के बाद भी लोग हो जाते थे जिंदा!

बता दें कि देवस्थान विभाग ने अपनी वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन दान देने की व्यवस्था शुरू की है. जिसके तहत विभाग की सूची में अभी केवल राजस्थान के 24 प्रमुख मंदिरों, तीर्थ स्थलों के अलावा 34 देवी-देवताओं को शामिल किया गया है. शुरू में इस योजना को ज्यादा रिस्पांस नहीं मिला, लेकिन अब ये योजना भक्तों को खूब रास आ रही है.

वेबसाइट के जरिए किया गया दान

ई-भुगतान (रु.) नगद (रु.) दान पेटी (रु.) कुल (रु.)
इस महीने 3439 0 0 3439
इस साल 103175 112 101136 204423
अब तक कुल दान 106859 200112 301679 608650

ऑनलाइन रूप से दान करने की यह है प्रकिया...देखें वीडियो

देवस्थान विभाग ने गत वर्ष शुरू की ई-भुगतान से भेंट चढ़ाने की सुविधा

वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन दान देने पर पूरा हिसाब भी रिकॉर्ड पर रहता है. साथ ही ई- भुगतान प्रणाली में मंदिर ट्रस्ट इस भेंट राशि को अपनी मर्जी से खर्च ना कर भक्त के दान करते समय दर्ज किए गए प्रयोजन में ही खर्च करनी होती है. भक्त भगवान का प्रायोजन भोग, गायों को चारा, गरीबों के भोजन, पक्षियों के लिए दाना, वस्त्र से लेकर पुनर्वास तक के लिए ऑनलाइन भेंट कर रहे हैं.

इससे भक्त और मंदिर ट्रस्ट दोनों का ही फायदा हो रहा है. विभाग की वेबसाइट पर जाकर भक्त सूची में शामिल किसी भी मंदिर में ऑनलाइन दान कर सकते हैं. इसमें खास बात यह है कि इसमें दानदाता को दान का उद्देश्य और प्रयोजन भी पूछा जाता है.

Intro:अब भक्तों द्वारा चढ़ाई गई भेंट दानपेटी या चरणों में नहीं सीधे भगवान के खाते में जाता है. क्योंकि बदलते समय के साथ परंपरा में भी बदलाव भक्तो को रास आने लगा है. अब ई-भुगतान के जरिए लाखों रुपये की भेंट भगवान को चढ़ाने वालो भक्तो की संख्या बढ़ने लगी है.


Body:जयपुर : मनोकामना के लिए अपने आराध्य समुख जाकर चरणों में भेंट चढ़ाना अब बीते जमाने की बात हो गई है. अब भक्त भगवान के चरणों में या दान पेटी में नहीं सीधे भगवान के खाते में भेंट जमा करवा रहे हैं. सदियों से भगवान और भक्तों के बीच भेंट चढ़ाने की परंपरा ने अब समय के साथ नया रूप ले लिया है. पहले जहां भक्तों को अपने भगवान के चरणों में भेंट चढ़ाने के लिए कोसों की दूरी तय करनी पड़ती थी. लेकिन देवस्थान विभाग ने गत वर्ष ई-भुगतान से भेंट चढ़ाने की सुविधा शुरू कर भगवान व भक्तों की दूरी को खत्म कर दिया है. अब भक्त जब चाहे तब चंद मिनटों में चाहे जितनी राशि भेंट चढ़ा सकता है और खास बात यह है कि यह राशि सीधे भगवान के खाते में ही जाती हैं. राजस्थान में भगवान के नाम पर ऑनलाइन दान करने वाले भक्तों की संख्या बढ़ने लगी है. 1 साल पहले शुरू की गई योजना अब भक्तों को रास आने लगी है. पहले जहां भक्तों को भगवान के दरबार में जाकर भेंट चढ़ाने वाले दिन का इंतजार करना पड़ता था. वहीं अब वक्त जब इच्छा हो तब ही भुगतान से पलक झपकते ही भगवान को भेंट अर्पित कर देते हैं. एक साल में 103175 भक्तों ने ई भुगतान से भेंट अर्पित की है. विभाग की सूची में अभी केवल राजस्थान के 24 प्रमुख मंदिर तीर्थ स्थलों के अलावा 34 देवी-देवताओं को शामिल किया है. शुरू में तो इस योजना को ज्यादा रिस्पांस नहीं मिल रहा था लेकिन अब भक्तों की जब इच्छा हो तब बिना मंदिर के ही दान चढ़ा लगे हैं. इस साल अब तक भक्तों ने ऑनलाइन 204423 रुपये दान किए है. देवस्थान विभाग ने अपनी वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन दान देने की व्यवस्था शुरू की है. शुरू में प्रचार-प्रसार के अभाव में कम भक्तों ने इसका उपयोग किया. लेकिन अब ऑनलाइन दान वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. बिना मंदिर में गए जिस मंदिर या देवी देवताओं के नाम दान देना चाहते हैं, वे चंद सेकेंड में अपनी राशि भगवान के नाम चढ़ जाती हैं. ऑनलाइन होने से पूरा हिसाब भी रिकॉर्ड पर रहता है. कई जगह सीधे मंदिर में दान दे दिया जाता है, जो रिकॉर्ड पर भी नहीं आता. देवस्थान की दानपेटी के दर्शनार्थियों को नजर आती है, जिससे दान पुजारी की थाली में रख दिया जाता है जो रिकॉर्ड में नहीं चढ़ता. दान करने वाले भक्तों की संख्या :- ई-भुगतान (रु) नकद (रु) दान पेटी कुल इस माह 3439 0 0 0 ईस साल 103175 112 101136 204423 अब तक 106859 200112 301679 608650 ई- भुगतान प्रणाली में मंदिर ट्रस्ट इस भेंट राशि को अपनी मर्जी से खर्च ना कर भक्त के दान करते समय दर्ज किए गए प्रयोजन में ही खर्च करनी होती है. भेंट राशि भगवान का प्रायोजन भोग, गायों को चारा, गरीबों के भोजन, पक्षियों के लिए दाना, वस्त्र से लेकर पुनर्वास तक के लिए भक्त ऑनलाइन मंदिरो में भेंट कर रहे हैं. इससे भक् और मंदिर ट्रस्ट दोनों का ही फायदा हो रहा है. विभाग की वेबसाइट पर जाकर भक्त सूची में शामिल किसी भी मंदिर में ऑनलाइन दान कर सकते हैं. इसमें खास बात यह है कि इसमें दानदाता को दान का उद्देश्य और प्रयोजन भी पूछा जाता है. WT- विशाल शर्मा, संवाददाता, जयपुर


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