जयपुर. मनोकामना के लिए अपने आराध्य के पास जाकर चरणों में भेंट चढ़ाना अब पुराने जमाने की बात हो गई है. डिजिटल इंडिया के जमाने में अब भक्त भगवान के चरणों में या दान पेटी में नहीं बल्कि, सीधे भगवान के खाते में भेंट जमा करवा सकते हैं. सदियों से भगवान को भेंट चढ़ाने की परंपरा ने अब समय के साथ नया रूप ले लिया है.
पहले भक्तों को अपने भगवान के चरणों में भेंट चढ़ाने के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था. लेकिन देवस्थान विभाग ने गत वर्ष ई-भुगतान से भेंट चढ़ाने की सुविधा शुरू कर भगवान और भक्त के बीच की दूरी को खत्म कर दिया है. अब भक्त जब चाहे तब चंद मिनटों में अपने अनुसार राशि को भेंट स्वरूप चढ़ा सकते हैं.
खास बात यह है कि यह राशि सीधे भगवान के खाते में ही जाती है. राजस्थान में भगवान के नाम पर ऑनलाइन दान करने वाले भक्तों की संख्या अब बढ़ने लगी है. एक साल पहले शुरू की गई योजना अब भक्तों को रास आने लगी है. जिसके तहत एक साल में 1 लाख 3 हजार 175 भक्तों ने ई भुगतान से भेंट अर्पित की है.
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बता दें कि देवस्थान विभाग ने अपनी वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन दान देने की व्यवस्था शुरू की है. जिसके तहत विभाग की सूची में अभी केवल राजस्थान के 24 प्रमुख मंदिरों, तीर्थ स्थलों के अलावा 34 देवी-देवताओं को शामिल किया गया है. शुरू में इस योजना को ज्यादा रिस्पांस नहीं मिला, लेकिन अब ये योजना भक्तों को खूब रास आ रही है.
वेबसाइट के जरिए किया गया दान
ई-भुगतान (रु.) | नगद (रु.) | दान पेटी (रु.) | कुल (रु.) | |
इस महीने | 3439 | 0 | 0 | 3439 |
इस साल | 103175 | 112 | 101136 | 204423 |
अब तक कुल दान | 106859 | 200112 | 301679 | 608650 |
ऑनलाइन रूप से दान करने की यह है प्रकिया...देखें वीडियो
वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन दान देने पर पूरा हिसाब भी रिकॉर्ड पर रहता है. साथ ही ई- भुगतान प्रणाली में मंदिर ट्रस्ट इस भेंट राशि को अपनी मर्जी से खर्च ना कर भक्त के दान करते समय दर्ज किए गए प्रयोजन में ही खर्च करनी होती है. भक्त भगवान का प्रायोजन भोग, गायों को चारा, गरीबों के भोजन, पक्षियों के लिए दाना, वस्त्र से लेकर पुनर्वास तक के लिए ऑनलाइन भेंट कर रहे हैं.
इससे भक्त और मंदिर ट्रस्ट दोनों का ही फायदा हो रहा है. विभाग की वेबसाइट पर जाकर भक्त सूची में शामिल किसी भी मंदिर में ऑनलाइन दान कर सकते हैं. इसमें खास बात यह है कि इसमें दानदाता को दान का उद्देश्य और प्रयोजन भी पूछा जाता है.