जयपुर. यूडीएच मंत्री ने कुछ दिन पहले शहर के बरामदों का निरीक्षण करने के बाद व्यापारियों को चेतावनी दी थी कि परकोटे के बरामदों में सामान रखने वाले व्यापारियों की दुकानों को सीज किया जाएगा, लेकिन मंत्री के आदेश हवा हो चुके हैं. बरामदों में व्यापारी सामान रख रहे हैं और नगर निगम प्रशासन आंख मूंदे बैठा है. निगम ने यहां कुछ गार्ड भी लगाए हैं, जिनकी ड्यूटी दोपहर 2 बजे से रहती है. ऐसे में कहीं ना कहीं निगम प्रशासन ही व्यापारियों को छूट दे रहा है.
राजधानी के प्रमुख किशनपोल, चांदपोल और त्रिपोलिया बाजार, जो अपने एकरूपता और राहगीरों के चलने के लिए बनाए गए बरामदे की वजह से विख्यात है, लेकिन यहां बार-बार चेताने के बावजूद व्यापारी बरामदे में सामान रखने से बाज नहीं आ रहे. इस संबंध में यूडीएच मंत्री ने तो बरामदे में सामान रखने वाले व्यापारियों की दुकानें तक सील करने के आदेश दिए हुए हैं. वहीं निगरानी के लिए निगम प्रशासन की ओर से 16 होम गार्ड भी तैनात किए हैं.
बावजूद इसके बाजारों में व्यापारी बरामदे में ही अपनी दुकान सजा रहे हैं. वहीं जिन गार्डों को तैनात करने की बात निगम की ओर से की जा रही है, उनकी ड्यूटी दोपहर 2 बजे बाद तय की गई है. ऐसे में कहीं ना कहीं निगम प्रशासन की ओर से ही इन व्यापारियों को तकरीबन 4 घंटे की छूट दी जा रही है. यही नहीं हालात इसके बाद भी लगभग इसी तरह के बने रहते हैं. चांदपोल बाजार की स्थिति तो ये है कि वहां के बरामदे में आधे में दुकानें तो आधे में थड़ियां सजी रहती हैं. जिसके चलते राहगीरों के चलने की जगह भी नहीं बचती.
खास बात यह है कि नगर निगम की सतर्कता शाखा जिस पर हर महीने करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. उसका काम शहर में घूम कर अतिक्रमण को चिन्हित करना और नॉन वेंडिंग जोन से थड़ी ठेलों को हटाना है. मगर ये शाखा भी लालफीताशाही की शिकार हो चुकी है.