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Rajasthan Teachers as BLO: आरटीई प्रावधान और SC का आदेश दरकिनार, बीएलओ ड्यूटी पर लगाए गए 80% शिक्षक - अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत

प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आरटीई के प्रावधानों को ताक पर रखकर शिक्षकों की बीएलओ (Booth Level Officer) ड्यूटी लगाई जा रही है (BLOs duty in Rajasthan). इसका खुलकर विरोध भी हो रहा है. शिक्षक और कर्मचारी संगठन ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से भी गुहार लगाई है. शिक्षकों ने प्रदेश में हर साल बीएलओ की ड्यूटी लगने की स्थिति में बीएलओ का अलग कैडर बनाते हुए भर्ती करने की भी अपील की है.

Rajasthan Teachers as BLO
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Published : Jan 3, 2023, 10:52 AM IST

Updated : Jan 3, 2023, 11:43 AM IST

आरटीई प्रावधान और SC का आदेश दरकिनार

जयपुर. प्रदेश के शिक्षकों को बीएलओ कार्य से मुक्त करने के लिए हाल ही में राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता के साथ अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता कर अपनी बात रखी (Uproar Over BLOs duty in Rajasthan). उन्होंने शिक्षकों का पक्ष रखते हुए कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार शिक्षक को कोई भी गैर शैक्षणिक (बीएलओ) कार्य नहीं कराया जा सकता.

महासंघ का कहना है कि आदेश के बावजूद 80% से ज्यादा बीएलओ शिक्षक वर्ग से हैं. सरकार की ओर से बीएलओ कार्य के लिए 12 वर्गों के कार्मिकों को निश्चित किया गया है. उनके मुताबिक ये शासन और प्रशासन का शिक्षकों के साथ भेदभाव है. जिसे खत्म कर सभी वर्गों श्रेणियों के कार्मिकों को समान अनुपात में बीएलओ लगाए जाने की मांग भी की गई है.

महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष केसर सिंह चंपावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद शिक्षकों की ड्यूटी बीएलओ के तौर पर लगाई जाती है. आलम यह है कि अब प्रदेश में बीएलओ का काम हर साल 12 महीने होने लगा है. इससे सरकारी स्कूलों के छात्रों की शिक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि यदि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जाता है तो वो बेहतर रिजल्ट कैसे दे पाएंगे. ऐसे में राज्य सरकार को बीएलओ का नया कैडर ही तय कर देना चाहिए.

संगठन के महामंत्री जगेश्वर शर्मा ने कहा कि यदि शिक्षकों की बीएलओ की ड्यूटी लगाने की आवश्यकता पड़ती है तो निर्वाचन विभाग के अधिकारी शिक्षक को उसके विद्यालय या आवास के बूथ पर ही बीएलओ लगाए (SC Verdict On Teachers as BLO). विद्यालय की केचमेंट एरिया के बाहर के बूथ पर शिक्षक को बीएलओ नहीं लगाया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि जिन विद्यालय में एकल शिक्षक है, उसे बीएलओ कार्य में नहीं लगाने के लिए सख्ती बरती जाए.

पढ़ें-बीएलओ की ड्यूटी ज्वाइन नहीं करने पर 14 सरकारी कर्मचारी और काम में लापरवाही पर 3 बीएलओ निलंबित

इसके साथ ही शिक्षक और कर्मचारी संगठन ने स्पष्ट मांग रखी कि किसी भी स्थिति में प्रारंभिक शिक्षा के स्कूलों से 50% से अधिक शिक्षक बीएलओ कार्य में नहीं लगाए जाए. वहीं शहरी क्षेत्र को छोड़कर किसी भी महिला शिक्षिका को ग्रामीण क्षेत्र में बीएलओ नहीं लगाया जाए. उन्होंने उम्मीद जताई है कि महासंघ की मांगों पर राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी जल्द प्रदेश के सभी जिला कलेक्टर्स (जिला निर्वाचनअधिकरियों )को निर्देश जारी करेंगे.

आरटीई प्रावधान और SC का आदेश दरकिनार

जयपुर. प्रदेश के शिक्षकों को बीएलओ कार्य से मुक्त करने के लिए हाल ही में राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता के साथ अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता कर अपनी बात रखी (Uproar Over BLOs duty in Rajasthan). उन्होंने शिक्षकों का पक्ष रखते हुए कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार शिक्षक को कोई भी गैर शैक्षणिक (बीएलओ) कार्य नहीं कराया जा सकता.

महासंघ का कहना है कि आदेश के बावजूद 80% से ज्यादा बीएलओ शिक्षक वर्ग से हैं. सरकार की ओर से बीएलओ कार्य के लिए 12 वर्गों के कार्मिकों को निश्चित किया गया है. उनके मुताबिक ये शासन और प्रशासन का शिक्षकों के साथ भेदभाव है. जिसे खत्म कर सभी वर्गों श्रेणियों के कार्मिकों को समान अनुपात में बीएलओ लगाए जाने की मांग भी की गई है.

महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष केसर सिंह चंपावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद शिक्षकों की ड्यूटी बीएलओ के तौर पर लगाई जाती है. आलम यह है कि अब प्रदेश में बीएलओ का काम हर साल 12 महीने होने लगा है. इससे सरकारी स्कूलों के छात्रों की शिक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि यदि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जाता है तो वो बेहतर रिजल्ट कैसे दे पाएंगे. ऐसे में राज्य सरकार को बीएलओ का नया कैडर ही तय कर देना चाहिए.

संगठन के महामंत्री जगेश्वर शर्मा ने कहा कि यदि शिक्षकों की बीएलओ की ड्यूटी लगाने की आवश्यकता पड़ती है तो निर्वाचन विभाग के अधिकारी शिक्षक को उसके विद्यालय या आवास के बूथ पर ही बीएलओ लगाए (SC Verdict On Teachers as BLO). विद्यालय की केचमेंट एरिया के बाहर के बूथ पर शिक्षक को बीएलओ नहीं लगाया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि जिन विद्यालय में एकल शिक्षक है, उसे बीएलओ कार्य में नहीं लगाने के लिए सख्ती बरती जाए.

पढ़ें-बीएलओ की ड्यूटी ज्वाइन नहीं करने पर 14 सरकारी कर्मचारी और काम में लापरवाही पर 3 बीएलओ निलंबित

इसके साथ ही शिक्षक और कर्मचारी संगठन ने स्पष्ट मांग रखी कि किसी भी स्थिति में प्रारंभिक शिक्षा के स्कूलों से 50% से अधिक शिक्षक बीएलओ कार्य में नहीं लगाए जाए. वहीं शहरी क्षेत्र को छोड़कर किसी भी महिला शिक्षिका को ग्रामीण क्षेत्र में बीएलओ नहीं लगाया जाए. उन्होंने उम्मीद जताई है कि महासंघ की मांगों पर राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी जल्द प्रदेश के सभी जिला कलेक्टर्स (जिला निर्वाचनअधिकरियों )को निर्देश जारी करेंगे.

Last Updated : Jan 3, 2023, 11:43 AM IST
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