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जलकर्मियों ने किया 6 साल इंतजार, 7 दिन काली पट्टी बांध सरकार को चेताया और अब मैस बहिष्कार..जानिए क्या है माजरा - Rajasthan Hindi News

सात दिन तक काली पट्टी बांधकर काम करते हुए राजस्थान के करीब 3000 जेलकर्मियों ने सरकार के सामने अपनी मांग को लेकर विरोध दर्ज करवाया. अब सरकार की उदासीनता से परेशान जेलकर्मियों ने मैस का बहिष्कार कर दिया और आंदोलन तेज कर दिया है.

Demands of Rajasthan Jail Workers
7 दिन काली पट्टी बांध सरकार को चेताया और अब मैस बहिष्कार
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Published : Jun 21, 2023, 10:17 PM IST

जयपुर. अपनी एक मांग को लेकर सरकार के साथ हुए समझौते को लागू करने की छह साल से राह देख रहे जेलकर्मियों का धैर्य अब टूटने लगा है. चुनावी साल में अपनी मांग पर सरकार को कोई ठोस निर्णय लेने पर मजबूर करने के लिए जेलकर्मियों ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है. इससे पहले जेलकर्मियों ने 13 जून से सात दिन तक बाजू पर काली पट्टी बांधकर काम करते हुए अपनी मांग की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करवाने का प्रयास किया और सरकार की उदासीनता को लेकर विरोध दर्ज करवाया. लेकिन सुनवाई नहीं हुई तो एक बार फिर आज बुधवार से मैस के बहिष्कार की शुरुआत की गई है. दरअसल, प्रदेश की करीब 100 जेलों में तैनात 300 जेलकर्मियों की मांग है कि उनका वेतन पुलिस और आरएसी के समकक्ष कर करीब 25 साल से चली आ रही वेतन विसंगति को दूर किया जाए.

पहले कांस्टेबल-हेड कांस्टेबल के समान था वेतन : अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि वेतन विसंगति दूर करने की जेलकर्मियों की मांग कई साल पुरानी है. साल 1988 से 1998 तक कारागार विभाग में प्रहरी व मुख्य प्रहरी का वेतनमान पुलिस विभाग के कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल के बराबर था. लेकिन वित्त विभाग की ओर से 1 मार्च 1998 को पुलिस विभाग के कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन किया गया था. इसके बाद से जेल कर्मियों के वेतनमान में असमानता उत्पन्न हुई है और जेलकर्मी इसी वेतन विसंगति को दूर करने की मांग कर रहे हैं. उनकी मांग है कि उनका वेतनमान पुलिस और आरएसी के कांस्टेबल-हेड कांस्टेबल के बराबर किया जाए.

पढ़ें : केंद्रीय कारागार में में भिड़े बंदी, मामला दर्ज...बंदियों ने कारापाल पर लगाया मारपीट का आरोप

जेलकर्मियों के साथ सरकार ने 2017 में किया था समझौता : गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि 2017 में सभी जेल कार्मिकों ने मैस का बहिष्कार किया था और भूखे रहकर ड्यूटी का निर्वहन किया था. इस पर राज्य सरकार व विभाग के उच्च अधिकारियों के बीच 9 जुलाई 2017 को लिखित समझौता हुआ. जिसमें जेल कर्मियों का वेतन पुलिस महकमे के समान करने पर सहमति दी गई थी. लेकिन आज तक इस समझौते की पालना नहीं हुई है. इसी मांग को लेकर अब जेलकर्मी एक बार फिर आंदोलन कर रहे हैं.

पूरा नहीं हुआ मुख्यमंत्री का वादा : वेतन विसंगति दूर करने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे जेलकर्मियों ने इस साल 13 जनवरी को मैस का बहिष्कार करते हुएड्यूटी का निर्वहन किया था. इस पर 18 जनवरी को प्रशानिक अधिकारियों के आश्वासन के बाद मैस का बहिष्कार वापस लिया गया. प्रतिनिधि मंडल से सीएम अशोक गहलोत भी मिले और जेलकर्मियों की मांग पर सकारात्मक कार्रवाई का भरोसा दिलाया था, लेकिन अभी तक समस्या जस की तस हैं. ऐसे में अब जेलकर्मियों ने एक बार फिर आंदोलन शुरू कर दिया है.

जयपुर. अपनी एक मांग को लेकर सरकार के साथ हुए समझौते को लागू करने की छह साल से राह देख रहे जेलकर्मियों का धैर्य अब टूटने लगा है. चुनावी साल में अपनी मांग पर सरकार को कोई ठोस निर्णय लेने पर मजबूर करने के लिए जेलकर्मियों ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है. इससे पहले जेलकर्मियों ने 13 जून से सात दिन तक बाजू पर काली पट्टी बांधकर काम करते हुए अपनी मांग की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करवाने का प्रयास किया और सरकार की उदासीनता को लेकर विरोध दर्ज करवाया. लेकिन सुनवाई नहीं हुई तो एक बार फिर आज बुधवार से मैस के बहिष्कार की शुरुआत की गई है. दरअसल, प्रदेश की करीब 100 जेलों में तैनात 300 जेलकर्मियों की मांग है कि उनका वेतन पुलिस और आरएसी के समकक्ष कर करीब 25 साल से चली आ रही वेतन विसंगति को दूर किया जाए.

पहले कांस्टेबल-हेड कांस्टेबल के समान था वेतन : अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि वेतन विसंगति दूर करने की जेलकर्मियों की मांग कई साल पुरानी है. साल 1988 से 1998 तक कारागार विभाग में प्रहरी व मुख्य प्रहरी का वेतनमान पुलिस विभाग के कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल के बराबर था. लेकिन वित्त विभाग की ओर से 1 मार्च 1998 को पुलिस विभाग के कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन किया गया था. इसके बाद से जेल कर्मियों के वेतनमान में असमानता उत्पन्न हुई है और जेलकर्मी इसी वेतन विसंगति को दूर करने की मांग कर रहे हैं. उनकी मांग है कि उनका वेतनमान पुलिस और आरएसी के कांस्टेबल-हेड कांस्टेबल के बराबर किया जाए.

पढ़ें : केंद्रीय कारागार में में भिड़े बंदी, मामला दर्ज...बंदियों ने कारापाल पर लगाया मारपीट का आरोप

जेलकर्मियों के साथ सरकार ने 2017 में किया था समझौता : गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि 2017 में सभी जेल कार्मिकों ने मैस का बहिष्कार किया था और भूखे रहकर ड्यूटी का निर्वहन किया था. इस पर राज्य सरकार व विभाग के उच्च अधिकारियों के बीच 9 जुलाई 2017 को लिखित समझौता हुआ. जिसमें जेल कर्मियों का वेतन पुलिस महकमे के समान करने पर सहमति दी गई थी. लेकिन आज तक इस समझौते की पालना नहीं हुई है. इसी मांग को लेकर अब जेलकर्मी एक बार फिर आंदोलन कर रहे हैं.

पूरा नहीं हुआ मुख्यमंत्री का वादा : वेतन विसंगति दूर करने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे जेलकर्मियों ने इस साल 13 जनवरी को मैस का बहिष्कार करते हुएड्यूटी का निर्वहन किया था. इस पर 18 जनवरी को प्रशानिक अधिकारियों के आश्वासन के बाद मैस का बहिष्कार वापस लिया गया. प्रतिनिधि मंडल से सीएम अशोक गहलोत भी मिले और जेलकर्मियों की मांग पर सकारात्मक कार्रवाई का भरोसा दिलाया था, लेकिन अभी तक समस्या जस की तस हैं. ऐसे में अब जेलकर्मियों ने एक बार फिर आंदोलन शुरू कर दिया है.

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